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Aaditya L-1 Launch : आदित्य-एल1 को पहुंचने में लगेंगे 125 दिन: इसरो प्रमुख

शनिवार (2 सितंबर) को भारत का पहला सौर मिशन श्रीहरिकोटा अंतरिक्षयान से लगभग 11.50 लांच किया जाएगा. इसरो प्रमुख ने जानकारी दी है कि इसको एल-1 तक पहुंचने में 125 दिन का समय लगेगा.

Aditya L1 Indias first lunar mission launch
आदित्य एल-1
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 8:51 AM IST

Updated : Sep 2, 2023, 9:54 AM IST

तिरुपति : भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल-1 की उल्टी गिनती जारी है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्षयान से आज 2 सितंबर को 11.50 पर भारत का पहला सौर मिशन लांच होगा. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि यह महत्वपूर्ण सौर मिशन है और इसको एल-1 बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. इसके लांच से पहले सोमनाथ ने तिरुपति जिले के चेंगलम्मा मंदिर में पूजा अर्चना की.

सोमनाथ ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि एल-1 मिशन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और यह शनिवार को 11.50 के आसपास लॉच होगा. आदित्य एल-1 उपग्रह हमारे सूर्य का अध्ययन करने के लिए है. इसे एल-1 बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे यह एक महत्वपूर्ण प्रेक्षपण है. हमनें अभी तक ऐसा नही किया है लेकिन जल्द ही हम इसकी घोषणा करेंगे., आदित्य एल-1 के बाद हमारा अगला प्रेक्षपण गगनयान है जो अक्टूबर के पहले सप्ताह तक लॉन्च होगा.

आदित्य एल-1 भारत की पहली अंतरिक्ष सौर वैधशाला है. और इसे पीएसएलवी-57 द्वारा लांच किया जाएगा. यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए सात अलग अलग पेलोड ले जाएगा. उनमें से चार सूर्य के प्रकाश का अध्ययन करेंगे और तीन सीटू पैरामीटर पर प्लाजमा और चुंबकीय क्षेत्र का. आदित्य एल-1 सबसे बड़ा और तकनीकी रुप से चुनौतिपूर्ण विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ( वीईएलसी) है. वीईएलसी को इसरो के सहयोग से होसाकोटे में भारतीय बौतिकी खगोल संस्थान के CREST परिसर में परीक्षण और आशांकित किया गया था.

आदित्य एल-1 को लेग्रेजियन प्वाइंट के चारो और प्रभामंडल कक्ष में स्थापित किया जाएगा. जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है. जिसको चार महीनें में पूरा करने की उम्मीद है.

इस जटिस मिशन के बारे में इसरो ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है इसलिए अन्य ग्रहों की तुलना में इसका विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है. सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारे के बारे में बहुत कुछ सीखा जा सकता है. उम्मीद है कि आदित्य एल-1 के उपकरण सूर्य की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप और सूर्य के धधकने से संबंधित गतिविधियों और इसकी खूबियों,और अंतरिक्ष समस्याओं को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे. आदित्य एल-1 कक्षा पर पहुंचने के बाद जमीनी केंद्र कोे रोज 1440 तस्वीरें भेजेगा.

आदित्य एल-1 को लेकर लोगो में उत्साह : राखंड में आदित्य एल-1 की सफलता के लिए दून योग पीठ के केंद्रो पर सूर्य नमस्कार और पूजा अर्चना की गई. इस दौरान आध्यात्मिक गुरू आचार्य बिपिन जोशी भी मौजूद रहे.एल मिशन की लांचिंग से पहले लोगो में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. लोग इसको देखने के लिए पहुंचना शुरू हो गए है.

(एएनआई)

ये भी पढ़ें :

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ISRO Solar Mission Aditya-L1 : जानिए भारत का पहला सौर मिशन इसरो Aditya-L1 क्या काम करेगा

तिरुपति : भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल-1 की उल्टी गिनती जारी है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्षयान से आज 2 सितंबर को 11.50 पर भारत का पहला सौर मिशन लांच होगा. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि यह महत्वपूर्ण सौर मिशन है और इसको एल-1 बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. इसके लांच से पहले सोमनाथ ने तिरुपति जिले के चेंगलम्मा मंदिर में पूजा अर्चना की.

सोमनाथ ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि एल-1 मिशन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और यह शनिवार को 11.50 के आसपास लॉच होगा. आदित्य एल-1 उपग्रह हमारे सूर्य का अध्ययन करने के लिए है. इसे एल-1 बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे यह एक महत्वपूर्ण प्रेक्षपण है. हमनें अभी तक ऐसा नही किया है लेकिन जल्द ही हम इसकी घोषणा करेंगे., आदित्य एल-1 के बाद हमारा अगला प्रेक्षपण गगनयान है जो अक्टूबर के पहले सप्ताह तक लॉन्च होगा.

आदित्य एल-1 भारत की पहली अंतरिक्ष सौर वैधशाला है. और इसे पीएसएलवी-57 द्वारा लांच किया जाएगा. यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए सात अलग अलग पेलोड ले जाएगा. उनमें से चार सूर्य के प्रकाश का अध्ययन करेंगे और तीन सीटू पैरामीटर पर प्लाजमा और चुंबकीय क्षेत्र का. आदित्य एल-1 सबसे बड़ा और तकनीकी रुप से चुनौतिपूर्ण विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ( वीईएलसी) है. वीईएलसी को इसरो के सहयोग से होसाकोटे में भारतीय बौतिकी खगोल संस्थान के CREST परिसर में परीक्षण और आशांकित किया गया था.

आदित्य एल-1 को लेग्रेजियन प्वाइंट के चारो और प्रभामंडल कक्ष में स्थापित किया जाएगा. जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है. जिसको चार महीनें में पूरा करने की उम्मीद है.

इस जटिस मिशन के बारे में इसरो ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है इसलिए अन्य ग्रहों की तुलना में इसका विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है. सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारे के बारे में बहुत कुछ सीखा जा सकता है. उम्मीद है कि आदित्य एल-1 के उपकरण सूर्य की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप और सूर्य के धधकने से संबंधित गतिविधियों और इसकी खूबियों,और अंतरिक्ष समस्याओं को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे. आदित्य एल-1 कक्षा पर पहुंचने के बाद जमीनी केंद्र कोे रोज 1440 तस्वीरें भेजेगा.

आदित्य एल-1 को लेकर लोगो में उत्साह : राखंड में आदित्य एल-1 की सफलता के लिए दून योग पीठ के केंद्रो पर सूर्य नमस्कार और पूजा अर्चना की गई. इस दौरान आध्यात्मिक गुरू आचार्य बिपिन जोशी भी मौजूद रहे.एल मिशन की लांचिंग से पहले लोगो में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. लोग इसको देखने के लिए पहुंचना शुरू हो गए है.

(एएनआई)

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Last Updated : Sep 2, 2023, 9:54 AM IST
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