कृष्णा : आंध्र प्रदेश की युवती ने 12 साल की उम्र में मस्ती-मस्ती में बुलेट चलाना सीखा था. किसी को कहां पता था कि एक दिन यह युवती बुलेट चलाकर हिमालय की सबसे ऊंची सड़क पर पहुंचने का रिकॉर्ड बनाएगी. यह लड़की कृष्णा जिले गन्नावरम की रहने वाली इंदु है, जिसने 19 हजार 24 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर बुलेट राइड किया है. इंदु दंत चिकित्सा के तीसरे वर्ष की छात्रा है. उनके पिता गन्नावरम निवासी हरीश कुमार कृष्ण विभाग में अधिकारी हैं जबकि माता गृहिणी हैं. आठ दिन के इस सफर में उन्होंने 2800 कि.मी का सफर पूरा किया. वह ऐसे इलाके में बुलेट चलाकर इतिहास रची, जहां ऑक्सीजन की कमी भी होती है. लेकिन इंदु ने यह कर दिखाया और एक महिला दोपहिया वाहन चालक के रूप में कीर्तिमान स्थापित किया.
इंदु ने 12 साल की उम्र में अपने बड़े भाई की मदद से बुलेट सीखी थी. उसके बाद से जब भी उन्हें समय मिलता वह दो सौ से तीन सौ किलोमीटर की लंबी ड्राइव के लिए निकल जाती थीं. हाल ही में इंदु ने रॉयल एनफील्ड द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने का फैसला किया, जो रॉयल एनफील्ड हिमालयन ओडिसी (Royal Enfield Himalayan Odyssey) के नाम से आयोजित किया गया था. इस राइड में रॉयल एनफील्ड कंपनी ने दुनिया की सबसे ऊंची सड़क 'उमलिंग ला पासवे' (Umling La Passway) पर जाने का फैसला किया. जब इंदु के माता-पिता को इस फैसले के बारे में बताया गया तो उन्होंने शुरुआत में इनकार कर दिया, लेकिन इन प्रयासों को हमेशा प्रोत्साहित करने वाले भाई साईकृष्ण ने उन्हें मना लिया.
भारतीय सीमा पर स्थित उमलिंग ला दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड है. 70 प्रतिभागियों में से केवल छह लड़कियों ने भाग लिया और इंदु उनमें से एक थी. बुलेट पर 19 हजार 24 फीट के सफर पर निकली 30 जून को इंदु दिल्ली से चंडीगढ़ के लिए रवाना हुई. बाइक चलाते समय बरती जाने वाली समस्याओं और सावधानियों के बारे में एक जुलाई को सूचित किये जाने के बाद वह दो जुलाई को चंडीगढ़ से मनाली पहुंचीं. इंदु ने 2800 किमी की दूरी आठ दिनों में पूरी की. इंदु का कहना है कि 20 साल की उम्र में इस तरह के एडवेंचर को पूरा करने से उनमें नया जोश आया है.
कहा जाता है कि ऊंचाई वाले इलाकों में ऑक्सीजन कम होती है और ऐसे इलाकों में बाइक चलाना मुश्किल होता है. विशेषज्ञों के निर्देशानुसार उचित सावधानी बरतते हुए यात्रा जारी रखना चाहिए. बाइक राइडिंग को अपना शौक बताने वाली इंदु का कहना है कि डॉक्टर बनने के बाद वह एक और रिकॉर्ड हासिल करेंगी. उसके माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी जो बचपन से ही हर चीज में बहादुर रही है. वह बाइक की सवारी पूरी करके बहुत खुश है. दादाजी ने प्रसन्नता व्यक्त की कि उन्हें अपनी पोती की सफलता पर बहुत गर्व है. इंदु का कहना है कि माता-पिता को चाहिए कि वह लड़के-लड़कियों को समान रूप से पालें, ताकि बच्चे ऊंचाइयों तक पहुंच सकें. लड़कियों को प्रोत्साहित किया जाए तो वे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं.