नई दिल्ली : बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट में ग्रामीण नौकरी गारंटी योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए बजटीय आवंटन में 30 प्रतिशत की कटौती की गई है. इसे घटाकर अब 61,032.65 करोड़ रुपये कर दिया गया है. यह 2022-23 के संशोधित अनुमान 89,154.65 करोड़ रुपये से 30 फीसदी कम है. यह योजना के बजटीय आवंटन में दूसरी सीधी कटौती है. 2022-23 के बजट में भी मनरेगा के बजटीय आवंटन में 98,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 25 प्रतिशत की कटौती कर 73,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था.
नौकरी गारंटी योजना देश भर के ग्रामीण परिवार को हर वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का वेतन आधारित रोजगार प्रदान करती है. मनरेगा को 2005 में संसदीय अधिनियम के माध्यम से पेश किया गया था, और महिलाओं के लिए एक तिहाई ग्रामीण नौकरियों को निर्धारित किया गया था. वर्षों से, यह योजना गेमचेंजर के रूप में काम कर रही है. लाखों ग्रामीण परिवारों ने इसके माध्यम से रोजगार प्राप्त किया है. कोरोना काल के दौरान, लाखों प्रवासी श्रमिकों को इसके तहत काम मिला था जब वह अपने मूल स्थानों पर लौटने के लिए मजबूर हुए थे. इसके साथ साथ 2023-24 के केंद्रीय बजट में खाद्य और सार्वजनिक वितरण के लिए बजटीय आवंटन को 30 प्रतिशत घटाकर 2,05,513 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बुधवार को पेश बजट के मुताबिक 2023-24 के लिए बजटीय अनुमान 2,05,513 करोड़ रुपये है, जो 2022-23 के संशोधित अनुमान 2,96,303 करोड़ रुपये से 30 फीसदी कम है. केंद्र ने पहले ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को बंद कर दिया है, जिसे कोरोना काल के दौरान मार्च 2020 में शुरू किया था, जिसके तहत सरकार ने 31 दिसंबर, 2022 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्रता के अलावा, प्रत्येक राशन कार्ड धारक को अतिरिक्त 5 किलो मुफ्त खाद्यान्न प्रदान किया. इस योजना को 1 जनवरी, 2023 से बंद कर दिया गया था. इसके स्थान पर केंद्र ने घोषणा की थी कि 1 जनवरी, 2023 से कैलेंडर वर्ष के अंत तक वह सभी अंत्योदय और प्राथमिकता वाले परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति करेगा. इस पर कुल 2 लाख करोड़ रुपये का खर्च सरकार वहन करेगी और इस योजना का नाम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) रखा गया है.
(इनपुट:आईएनएस)
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