शशि थरूर की दलीलों से असहज हुई सरकार ! जजों से जुड़े कानून में संशोधन का मामला

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केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों से जुड़े कानून में संशोधन की पहल की है. विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Congress MP Shashi Tharoor lok sabha) ने उच्चतम न्यायालय में लंबित कुछ विवादित मामलों का उल्लेख किया जिस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आपत्ति जताई. व्यवस्था के प्रश्न का हवाला देते हुए सत्ता पक्ष ने कहा कि शीर्ष अदालत में लंबित मामलों पर यहां टिप्पणी नहीं की जा सकती. इस पर पीठासीन सभापति ए राजा ने कहा कि वह इसे देखेंगे और अगर कुछ भी संसदीय कार्यवाही की प्रक्रिया के विपरीत लगा तो उसे हटा दिया जाएगा. थरूर ने दावा किया कि कि न्यायपालिका ने हाल के वर्षों में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), नोटबंदी और सरकार के कई अन्य कदमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने में विलंब किया है. उन्होंने कहा कि 'संविधान का उल्लंघन करने वाले कई कदमों और कानूनों पर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई नहीं की.' उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार के कदमों के साथ न्यायपालिका की सहमति है? उन्होंने कहा कि न्यायपालिका और विधायिका की शक्तियों में स्पष्ट अंतर होना चाहिए. थरूर ने कहा कि न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद कोई पद नहीं दिया जाना चाहिए, बल्कि इसके लिए तीन-चार साल का 'कूलिंग पीरियड' होना चाहिए. बता दें कि लोक सभा में पेश किए गए उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन और सेवा की शर्तें) संशोधन विधेयक, 2021 (The High Court and Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Amendment Bill, 2021) के माध्यम से केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और सेवा की शर्तों में संशोधन का प्रस्ताव किया है.
Last Updated : Dec 7, 2021, 7:42 PM IST

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