ETV Bharat / sukhibhava

डेंगू से बचना है तो मच्छरों से रहें सावधान

बरसात के मौसम की शुरुआत होते ही डेंगू जैसे मच्छरों के काटने से होने या फैलने वाले रोगों के होने की आशंका काफी ज्यादा बढ़ जाती है. गंभीर डेंगू ना सिर्फ लोगों की जान के लिए घातक हो सकता है बल्कि इसके शरीर पर कई अन्य प्रभाव भी नजर आ सकते हैं, इसलिए इस संक्रमण से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि इस मौसम में मच्छरों से बचने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं.

मच्छरों से रहें सावधान, what is dengue, how to prevent dengue, what are the symptoms of dengue, what causes dengue, which mosquito causes dengue, mosquito borne diseases, monsoon diseases
डेंगू से बचना है तो मच्छरों से रहें सावधान
author img

By

Published : Jun 24, 2022, 4:50 PM IST

बरसात का मौसम शुरू हो गया है. इस मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ ही जाता है. साथ ही बढ़ जाती है मच्छर जनित बीमारियों के फैलने की आशंका. यही कारण है कि बरसात के मौसम को डेंगू तथा अन्य मच्छर जनित रोगों का मौसम भी कहा जाता है. पिछले कुछ सालों में इस मौसम में डेंगू ने लोगों को काफी परेशान किया है. यहां तक कि इस रोग के चलते कई लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में हर साल लगभग 500,000 लोग डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं. सिर्फ भारत की बात करें तो पिछले कुछ सालों में इस संक्रमण के पीड़ितों की संख्या काफी ज्यादा रही है. नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम यानी एनवीबीडीसीपी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में सिर्फ भारत में डेंगू के 67,000 से भी अधिक मामले दर्ज किए गए थे.

क्यों होता है डेंगू
डेंगू के बारे में ज्यादा जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने गाजियाबाद के वरिष्ठ जनरल फिजीशियन डॉ राकेश सिंह से बात की. डॉ राकेश बताते हैं कि डेंगू एक वायरल इंफेक्शन है जो संक्रमित मादा एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. दरअसल इस संक्रमण के लिए डेंगू वायरस (डीईएनवी) को जिम्मेदार माना जाता है. जिसके चार सेरोटाइप होते हैं, डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4.

जब मादा एडीज मच्छर पहले से संक्रमित किसी व्यक्ति को काटती है तो वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है. और जब वह मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, और इस संक्रमण का वायरस व्यक्ति के रक्त प्रवाह के जरिये उसके शरीर में फैल जाता है. वह बताते हैं कि इस वायरस के शरीर में पहुंचने के बाद लगभग 4 से 7 दिन में पीड़ित में डेंगू के लक्षण नजर आने शुरू हो सकते हैं.

पढ़ें: मॉनसून में त्वचा को बीमारियों से बचाकर रखना जरूरी

डेंगू के लक्षण
डॉ राकेश बताते हैं कि डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है क्योंकि इसमें तेज बुखार के साथ हड्डियों तक में तेज दर्द होता है. वह बताते हैं कि डेंगू बुखार तीन प्रकार के होता हैं- हल्का डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डेंगू हेमरेजिक फीवर या डीएचएफ) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस).

इसके सामान्य लक्षणों की बात करें तो डेंगू के होने के शुरुआती दौर में पीड़ित को तेज बुखार के साथ सिरदर्द, शरीर में दर्द विशेषकर मांसपेशियों एवं जोड़ों में तीव्र दर्द होता है तथा त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते नजर आने लगते हैं. इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं जो पीड़ित में नजर आ सकते हैं जैसे आंखों में दर्द, जी मिचलाना तथा उल्टी लगना, ग्रंथियों में सूजन आदि.

लेकिन यदि पीड़ित की स्थिति गंभीर होने लगे तो उसका प्रभाव उसके शरीर के कई अंगों पर पड़ने लगता है, जिसके चलते उसके शरीर की रक्त वाहिकाओं के क्षतिग्रस्त होने, रक्त में प्लेटलेट काउंट कम होने तथा कुछ अंगों के फेलियर का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • पेट में तेज दर्द
  • मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव
  • लगातार उल्टी होना
  • मल, मूत्र या उल्टी में खून आना
  • त्वचा के नीचे रक्तस्राव होने से शरीर पर नील जैसे निशान बन जाना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • थकान, चिड़चिड़ापन या बेचैनी महसूस करना

लक्षणों को ना करें नजरअंदाज
डॉ. राकेश बताते हैं कि डेंगू के किसी भी लक्षण को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इस रोग के इलाज में थोड़ी सी भी देरी होने पर यह गंभीर रूप ले सकता है और कई बार पीड़ित की जान के लिए घातक भी हो सकता है. वह बताते हैं कि गंभीर डेंगू का कोई सटीक इलाज नहीं है. इस संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति का इलाज उसके लक्षणों के आधार पर ब्लड या प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन, इंट्रावेनस फ्लूइड और ऑक्सीजन थेरेपी तथा दवाइयों द्वारा किया जाता है.

डॉ राकेश बताते हैं कि डेंगू ही नहीं मच्छरों के काटने से होने वाले सभी रोगों से बचाव के लिए तमाम सावधानियों को अपनाने के साथ ही जरूरी है कि लोग अच्छा तथा सेहतमंद आहार ग्रहण करें, भरपूर मात्रा में पानी पिए तथा व्यायाम करें. इससे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. यदि शरीर अंदर से स्वास्थ्य होगा तो डेंगू ही नहीं किसी भी प्रकार के वायरस या बैक्टीरिया जनित संक्रमणों से काफी हद तक बचा रहेगा.

डेंगू से बचाव
डॉ राकेश बताते हैं कि डेंगू से बचाव के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचाव किया जाए. इसके लिए मच्छरों से बचाने वाली क्रीम, मॉस्किटो रेपलेंट्स स्प्रे, कॉइल व मॉस्किटो रेपलेंट्स मशीन तथा मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए. इनके अलावा भी मच्छरों से बचाव के लिए हर संभव तरीके अपनाने चाहिए. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • डेंगू के मच्छर सुबह या शाम को अधिक सक्रिय होते हैं, इसलिए ऐसे समय में बाहर निकलने से बचे. यदि बाहर जाना ही हो या बच्चे खेलने के लिए जा रहे हों तो ऐसे कपड़े पहने जिनसे शरीर पूरी तरह से ढका हो.
  • यदि संभव हो घर के अंदर तथा आसपास फॉगिंग या ऐसे कीटनाशक का स्प्रे करें या करवाएं जिससे मच्छर कम हो जाएं.
  • यदि घर में काफी पेड़पौधे लगे हों या घर के आसपास लंबी घास हो वहां कीटनाशक स्प्रे जरूर कराना चाहिए. यदि संभव हो तो घर के आसपास की घास को कटवा देना चाहिए.
  • अपने घर में या घर के आसपास पानी इकट्ठा ना होने दें. यदि घर के आसपास खुली नालियां हैं तो उनकी साफ सफाई कराएं. किसी भी बर्तन में पानी खुला ना छोड़े, पानी को ढक कर रखें. विशेषकर कूलर का पानी बदलते रहें.

बरसात का मौसम शुरू हो गया है. इस मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ ही जाता है. साथ ही बढ़ जाती है मच्छर जनित बीमारियों के फैलने की आशंका. यही कारण है कि बरसात के मौसम को डेंगू तथा अन्य मच्छर जनित रोगों का मौसम भी कहा जाता है. पिछले कुछ सालों में इस मौसम में डेंगू ने लोगों को काफी परेशान किया है. यहां तक कि इस रोग के चलते कई लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में हर साल लगभग 500,000 लोग डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं. सिर्फ भारत की बात करें तो पिछले कुछ सालों में इस संक्रमण के पीड़ितों की संख्या काफी ज्यादा रही है. नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम यानी एनवीबीडीसीपी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में सिर्फ भारत में डेंगू के 67,000 से भी अधिक मामले दर्ज किए गए थे.

क्यों होता है डेंगू
डेंगू के बारे में ज्यादा जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने गाजियाबाद के वरिष्ठ जनरल फिजीशियन डॉ राकेश सिंह से बात की. डॉ राकेश बताते हैं कि डेंगू एक वायरल इंफेक्शन है जो संक्रमित मादा एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. दरअसल इस संक्रमण के लिए डेंगू वायरस (डीईएनवी) को जिम्मेदार माना जाता है. जिसके चार सेरोटाइप होते हैं, डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4.

जब मादा एडीज मच्छर पहले से संक्रमित किसी व्यक्ति को काटती है तो वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है. और जब वह मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, और इस संक्रमण का वायरस व्यक्ति के रक्त प्रवाह के जरिये उसके शरीर में फैल जाता है. वह बताते हैं कि इस वायरस के शरीर में पहुंचने के बाद लगभग 4 से 7 दिन में पीड़ित में डेंगू के लक्षण नजर आने शुरू हो सकते हैं.

पढ़ें: मॉनसून में त्वचा को बीमारियों से बचाकर रखना जरूरी

डेंगू के लक्षण
डॉ राकेश बताते हैं कि डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है क्योंकि इसमें तेज बुखार के साथ हड्डियों तक में तेज दर्द होता है. वह बताते हैं कि डेंगू बुखार तीन प्रकार के होता हैं- हल्का डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डेंगू हेमरेजिक फीवर या डीएचएफ) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस).

इसके सामान्य लक्षणों की बात करें तो डेंगू के होने के शुरुआती दौर में पीड़ित को तेज बुखार के साथ सिरदर्द, शरीर में दर्द विशेषकर मांसपेशियों एवं जोड़ों में तीव्र दर्द होता है तथा त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते नजर आने लगते हैं. इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं जो पीड़ित में नजर आ सकते हैं जैसे आंखों में दर्द, जी मिचलाना तथा उल्टी लगना, ग्रंथियों में सूजन आदि.

लेकिन यदि पीड़ित की स्थिति गंभीर होने लगे तो उसका प्रभाव उसके शरीर के कई अंगों पर पड़ने लगता है, जिसके चलते उसके शरीर की रक्त वाहिकाओं के क्षतिग्रस्त होने, रक्त में प्लेटलेट काउंट कम होने तथा कुछ अंगों के फेलियर का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी स्थिति कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • पेट में तेज दर्द
  • मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव
  • लगातार उल्टी होना
  • मल, मूत्र या उल्टी में खून आना
  • त्वचा के नीचे रक्तस्राव होने से शरीर पर नील जैसे निशान बन जाना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • थकान, चिड़चिड़ापन या बेचैनी महसूस करना

लक्षणों को ना करें नजरअंदाज
डॉ. राकेश बताते हैं कि डेंगू के किसी भी लक्षण को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इस रोग के इलाज में थोड़ी सी भी देरी होने पर यह गंभीर रूप ले सकता है और कई बार पीड़ित की जान के लिए घातक भी हो सकता है. वह बताते हैं कि गंभीर डेंगू का कोई सटीक इलाज नहीं है. इस संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति का इलाज उसके लक्षणों के आधार पर ब्लड या प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन, इंट्रावेनस फ्लूइड और ऑक्सीजन थेरेपी तथा दवाइयों द्वारा किया जाता है.

डॉ राकेश बताते हैं कि डेंगू ही नहीं मच्छरों के काटने से होने वाले सभी रोगों से बचाव के लिए तमाम सावधानियों को अपनाने के साथ ही जरूरी है कि लोग अच्छा तथा सेहतमंद आहार ग्रहण करें, भरपूर मात्रा में पानी पिए तथा व्यायाम करें. इससे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. यदि शरीर अंदर से स्वास्थ्य होगा तो डेंगू ही नहीं किसी भी प्रकार के वायरस या बैक्टीरिया जनित संक्रमणों से काफी हद तक बचा रहेगा.

डेंगू से बचाव
डॉ राकेश बताते हैं कि डेंगू से बचाव के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचाव किया जाए. इसके लिए मच्छरों से बचाने वाली क्रीम, मॉस्किटो रेपलेंट्स स्प्रे, कॉइल व मॉस्किटो रेपलेंट्स मशीन तथा मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए. इनके अलावा भी मच्छरों से बचाव के लिए हर संभव तरीके अपनाने चाहिए. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • डेंगू के मच्छर सुबह या शाम को अधिक सक्रिय होते हैं, इसलिए ऐसे समय में बाहर निकलने से बचे. यदि बाहर जाना ही हो या बच्चे खेलने के लिए जा रहे हों तो ऐसे कपड़े पहने जिनसे शरीर पूरी तरह से ढका हो.
  • यदि संभव हो घर के अंदर तथा आसपास फॉगिंग या ऐसे कीटनाशक का स्प्रे करें या करवाएं जिससे मच्छर कम हो जाएं.
  • यदि घर में काफी पेड़पौधे लगे हों या घर के आसपास लंबी घास हो वहां कीटनाशक स्प्रे जरूर कराना चाहिए. यदि संभव हो तो घर के आसपास की घास को कटवा देना चाहिए.
  • अपने घर में या घर के आसपास पानी इकट्ठा ना होने दें. यदि घर के आसपास खुली नालियां हैं तो उनकी साफ सफाई कराएं. किसी भी बर्तन में पानी खुला ना छोड़े, पानी को ढक कर रखें. विशेषकर कूलर का पानी बदलते रहें.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.