ETV Bharat / sukhibhava

फैटी लिवर का संकेत भी हो सकता है मुंह से दुर्गंध आना

मुंह से दुर्गंध आने के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता है लेकिन मुंह से हमेशा एक जैसी दुर्गंध आना फैटी लिवर का संकेत भी हो सकती है. क्या है फैटी लिवर की समस्या और यह शरीर को किस प्रकार से प्रभावित कर सकती है आइए जानते हैं.

फैटी लिवर का संकेत भी हो सकता है मुंह से दुर्गंध आना, bad breath can be a sign of fatty liver, what is fatty liver, what are the symptoms of fatty liver, what are the types of fatty liver
फैटी लिवर का संकेत भी हो सकता है मुंह से दुर्गंध आना
author img

By

Published : Mar 4, 2022, 3:06 PM IST

आमतौर पर माना जाता है कि मुंह की साफ-सफाई सही तरीके से ना होने या खराब हाइजीन के कारण सांसों में दुर्गंध काफी ज्यादा बढ़ जाती है. लेकिन सांसों में दुर्गंध का कारण कई बार खराब सेहत भी हो सकती है. लिवर में खराबी विशेषकर फैटी लिवर की समस्या होने पर भी सांसों से दुर्गंध आने की समस्या काफी बढ़ सकती है.

फैटी लिवर

फैटी लिवर को शुरुआती दौर में वैसे तो गंभीर बीमारियों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है, लेकिन इसका पता चलने के बाद भी यदि इसका इलाज, जरूरी परहेज या देखभाल ना की जाय तो यह लिवर को गंभीर नुकसान भी पहुंचा सकता है. दिल्ली के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि इस समस्या के होने पर हमारे लिवर में अतिरिक्त वसा/चर्बी एकत्रित होनी शुरू हो जाती है. जिससे उसका कार्य प्रभावित होने लगता है.

शुरुआती दौर में फैटी लिवर के लक्षण प्रत्यक्ष रूप में पीड़ित में ज्यादा नजर नहीं आते हैं. लेकिन यदि समस्या बढ़ने लगती है तो कई बार पीड़ित को पेट में दर्द या भारीपन, वजन कम होना, भूख ना लगना, त्वचा या आंखों का रंग बदलना, मतली या उल्टी आने जैसा महसूस होना, बहुत ज्यादा थकान या कमजोरी महसूस होना तथा पैरों में सूजन जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. इस दौरान कई बार पीड़ित के मुंह से अजीब दुर्गंध भी आने लगती है.

डॉ राजेश बताते हैं कि फैटी लिवर की समस्या होने पर लिवर में सूजन आने लगती है तथा उसके उत्तकों (tissues) को नुकसान पहुंचने लगता है, जो ध्यान ना देने पर सिरोसिस, लिवर फेलियर तथा लिवर कैंसर सहित अन्य बीमारियों का कारण भी बन सकती है.

वह बताते हैं कि फैटी लिवर को वैसे तो जीवन शैली आधारित बीमारी माना जाता है. लेकिन कई बार कुछ रोग भी इस समस्या के लिये जिम्मेदार हो सकते हैं. फैटी लिवर को दो श्रेणियों में बांटा जाता है.

  • एल्कोहलिक फैटी लिवर: इस अवस्था में ज्यादातर लोगों को जरूरत से ज्यादा शराब पीने के चलते लिवर में समस्या होने लगती है.
  • नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर : इस श्रेणी के लिए आमतौर पर मोटापा, आसीन जीवन शैली, गलत खान-पान से जुड़ी आदतों टाइप 2 मधुमेह तथा मेटाबॉलिक सिंड्रोम आदि समस्याओं तथा बीमारियों को जिम्मेदार माना जाता है.

फैटी लिवर और सांसों में दुर्गंध

गौरतलब है कि हमारा लिवर हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है क्योंकि यह हमारे मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है, ऊर्जा के संग्रहण में मदद करता है, शरीर के विषैले तथा हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है तथा खून को फिल्टर करने में भी मदद करता है.

डॉ राजेश बताते हैं कि फैटी लिवर की समस्या बढ़ने पर ज्यादातर पीड़ित की सांसों से लगातार बदबू आने की समस्या नजर आ सकती है. दरअसल लिवर में खराबी होने पर शरीर में विषाक्त पदार्थों के फिल्टर होने में समस्या होने लगती है. ऐसे में जो विषाक्त पदार्थ सही तरीके से फिल्टर नहीं हो पाते हैं वह श्वसन प्रणाली या शरीर के अन्य अंगों में पहुंचने लगते हैं. जिसके चलते उत्पन्न समस्याओं व अवस्थाओं के कारण सांसों में अजीब सी गंध जिसे फेटोर हेपेटिकस कहा जाता है. आने वाली यह गंध आमतौर पर ऐसी होती है जो किसी चीज के सड़ने के बाद आती है. ज्यादातर यह बदबू क्षणिक नही होती है बल्कि पीड़ित के मुंह से दिनभर आती रहती है. आमतौर पर इस गंध के लिए डाईमिथाइल सल्फाइड को जिम्मेदार माना जाता है.

जांच जरूरी

डॉ राजेश बताते हैं कि फैटी लिवर होने पर मुंह से आने वाली दुर्गंध सामान्यतः बदलती नहीं है. इसलिए यदि लंबे समय तक मुंह से एक जैसी दुर्गंध आती रहे साथ ही फैटी लिवर से संबंधित लक्षण नजर आए तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा फैटी लिवर की समस्या की पुष्टि होने पर बहुत जरूरी है कि जीवन शैली में अनुशासन लाकर खानपान तथा अन्य अच्छी आदतों को सही, संतुलित तथा नियमित किया जाए. इस समस्या से ग्रसित होने पर शराब या धूम्रपान से परहेज तो जरूरी है ही साथ ही दिनचर्या में अनुशासन, सक्रियता, नियम, चिकित्सक द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन तथा दवाइयों का सेवन भी बहुत जरूरी है.

पढ़ें: घरेलू नुस्खों से दूर करें मुंह की बदबू

आमतौर पर माना जाता है कि मुंह की साफ-सफाई सही तरीके से ना होने या खराब हाइजीन के कारण सांसों में दुर्गंध काफी ज्यादा बढ़ जाती है. लेकिन सांसों में दुर्गंध का कारण कई बार खराब सेहत भी हो सकती है. लिवर में खराबी विशेषकर फैटी लिवर की समस्या होने पर भी सांसों से दुर्गंध आने की समस्या काफी बढ़ सकती है.

फैटी लिवर

फैटी लिवर को शुरुआती दौर में वैसे तो गंभीर बीमारियों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है, लेकिन इसका पता चलने के बाद भी यदि इसका इलाज, जरूरी परहेज या देखभाल ना की जाय तो यह लिवर को गंभीर नुकसान भी पहुंचा सकता है. दिल्ली के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ राजेश शर्मा बताते हैं कि इस समस्या के होने पर हमारे लिवर में अतिरिक्त वसा/चर्बी एकत्रित होनी शुरू हो जाती है. जिससे उसका कार्य प्रभावित होने लगता है.

शुरुआती दौर में फैटी लिवर के लक्षण प्रत्यक्ष रूप में पीड़ित में ज्यादा नजर नहीं आते हैं. लेकिन यदि समस्या बढ़ने लगती है तो कई बार पीड़ित को पेट में दर्द या भारीपन, वजन कम होना, भूख ना लगना, त्वचा या आंखों का रंग बदलना, मतली या उल्टी आने जैसा महसूस होना, बहुत ज्यादा थकान या कमजोरी महसूस होना तथा पैरों में सूजन जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. इस दौरान कई बार पीड़ित के मुंह से अजीब दुर्गंध भी आने लगती है.

डॉ राजेश बताते हैं कि फैटी लिवर की समस्या होने पर लिवर में सूजन आने लगती है तथा उसके उत्तकों (tissues) को नुकसान पहुंचने लगता है, जो ध्यान ना देने पर सिरोसिस, लिवर फेलियर तथा लिवर कैंसर सहित अन्य बीमारियों का कारण भी बन सकती है.

वह बताते हैं कि फैटी लिवर को वैसे तो जीवन शैली आधारित बीमारी माना जाता है. लेकिन कई बार कुछ रोग भी इस समस्या के लिये जिम्मेदार हो सकते हैं. फैटी लिवर को दो श्रेणियों में बांटा जाता है.

  • एल्कोहलिक फैटी लिवर: इस अवस्था में ज्यादातर लोगों को जरूरत से ज्यादा शराब पीने के चलते लिवर में समस्या होने लगती है.
  • नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर : इस श्रेणी के लिए आमतौर पर मोटापा, आसीन जीवन शैली, गलत खान-पान से जुड़ी आदतों टाइप 2 मधुमेह तथा मेटाबॉलिक सिंड्रोम आदि समस्याओं तथा बीमारियों को जिम्मेदार माना जाता है.

फैटी लिवर और सांसों में दुर्गंध

गौरतलब है कि हमारा लिवर हमारे शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है क्योंकि यह हमारे मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है, ऊर्जा के संग्रहण में मदद करता है, शरीर के विषैले तथा हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है तथा खून को फिल्टर करने में भी मदद करता है.

डॉ राजेश बताते हैं कि फैटी लिवर की समस्या बढ़ने पर ज्यादातर पीड़ित की सांसों से लगातार बदबू आने की समस्या नजर आ सकती है. दरअसल लिवर में खराबी होने पर शरीर में विषाक्त पदार्थों के फिल्टर होने में समस्या होने लगती है. ऐसे में जो विषाक्त पदार्थ सही तरीके से फिल्टर नहीं हो पाते हैं वह श्वसन प्रणाली या शरीर के अन्य अंगों में पहुंचने लगते हैं. जिसके चलते उत्पन्न समस्याओं व अवस्थाओं के कारण सांसों में अजीब सी गंध जिसे फेटोर हेपेटिकस कहा जाता है. आने वाली यह गंध आमतौर पर ऐसी होती है जो किसी चीज के सड़ने के बाद आती है. ज्यादातर यह बदबू क्षणिक नही होती है बल्कि पीड़ित के मुंह से दिनभर आती रहती है. आमतौर पर इस गंध के लिए डाईमिथाइल सल्फाइड को जिम्मेदार माना जाता है.

जांच जरूरी

डॉ राजेश बताते हैं कि फैटी लिवर होने पर मुंह से आने वाली दुर्गंध सामान्यतः बदलती नहीं है. इसलिए यदि लंबे समय तक मुंह से एक जैसी दुर्गंध आती रहे साथ ही फैटी लिवर से संबंधित लक्षण नजर आए तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा फैटी लिवर की समस्या की पुष्टि होने पर बहुत जरूरी है कि जीवन शैली में अनुशासन लाकर खानपान तथा अन्य अच्छी आदतों को सही, संतुलित तथा नियमित किया जाए. इस समस्या से ग्रसित होने पर शराब या धूम्रपान से परहेज तो जरूरी है ही साथ ही दिनचर्या में अनुशासन, सक्रियता, नियम, चिकित्सक द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन तथा दवाइयों का सेवन भी बहुत जरूरी है.

पढ़ें: घरेलू नुस्खों से दूर करें मुंह की बदबू

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.