वाराणसी: हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस (world hepatitis day 2022) मनाया जाता है. हेपेटाइटिस वायरस को पांच प्रकार (kind of hepatitis) ए, बी, सी, डी और ई के रूप में जाना जाता है. यह सभी यकृत को प्रभावित करते हैं. अगर, ये बीमारी गर्भवती महिलाओं में हो जाए तो यह समस्या गम्भीर हो जाती है. हेपेटाइटिस के दौरान गर्भवती महिलाएं कैसे रखें ध्यान, क्या करें उपाय, जानने के लिए देखे ये रिपोर्ट.
हेपेटाइटिस के बारे में जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि वर्ष 1967 में अमेरिकी डॉक्टर बारूक सैमुअल ब्लमबर्ग (Baruch Samuel Blumberg) ने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज (Hepatitis B virus) की थी. नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक के सम्मान में उनके जन्मदिन को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाया जाता है.
इस दिवस को हेपेटाइटिस के विभिन्न रूपों और उनके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. इसका उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस के साथ-साथ संबंधित बीमारियों के प्रबंधन, पता लगाने और रोकथाम में सुधार करना है. इस साल विश्व हेपेटाइटिस दिवस की थीम (world hepatitis day 2022 theme) ‘आई कांट वेट’ (I can’t wait) यानि ‘मैं इंतजार नहीं कर सकता हूं’ है. इसका मतलब है कि हेपेटाइटिस की जांच के लिए ज्यादा इंतजार न करें. समय रहते इसकी जांच और डॉक्टर के परामर्शानुसार उपचार कराएं.
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सीएमओ ने कहा कि हेपेटाइटिस नियंत्रण के लिए सरकार ने वर्ष 2030 तक देश से हेपेटाइटिस वायरस का उन्मूलन करने की पहल की है. इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिलकर राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम वर्ष 2018 में शुरू किया गया. इसका प्रमुख उद्देश्य हेपेटाइटिस का मुकाबला करते हुए वर्ष 2030 तक संपूर्ण देश से 'हेपेटाइटिस सी' का उन्मूलन करना, हेपेटाइटिस 'बी' व 'सी' से होने वाला संक्रमण, उसके परिणामस्वरूप सिरोसिस और लीवर कैंसर के कारण होने वाली रुग्णता एवं मृत्यु में कमी लाना, हेपेटाइटिस 'ए' और 'ई' से होने वाले जोखिम, रुग्णता एवं मृत्यु में कमी लाना है.
गर्भावस्था और हेपेटाइटिस बी
शहरी सीएचसी दुर्गाकुंड की अधीक्षक व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सारिका राय ने कहा कि गर्भावस्था और गर्भस्थ शिशु को हेपेटाइटिस बी से बचाव (hepatitis b pregnancy treatment) के लिए समय-समय जांच अवश्य करानी चाहिए. समय से जांच, उपचार और डॉक्टर से परामर्श से प्रसव के समय कोई समस्या नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि पॉजिटिव होने पर प्रसव के दौरान यह वायरस मां से शिशु तक पहुंचने की संभावना होती है. ऐसे में नॉर्मल और सिजेरियन दोनों तरह की प्रसव कराना संभव है. इसके अतिरिक्त कोई अन्य जटिलताएं नहीं होती हैं.
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शिशु का ऐसे रखें ध्यान
डॉ. सारिका ने बताया कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए. यदि शिशु किसी कारणों से संक्रमित हो गया है तो यह टीका उससे बचाव करेगा. हेपेटाइटिस बी होने पर इन बातों की संभावना रहती है.
• समय पूर्व शिशु का जन्म
• गर्भपात
• कम वजन का शिशु
• गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) होना
कारण
- दूषित भोजन-अशुद्ध पानी के सेवन से हेपेटाइटिस ए और ई संभावित.
- असुरक्षित यौन संबंध से हेपेटाइटिस-बी और सी संभावित.
- सुरक्षित इंजेक्शन-उपचार से हेपेटाइटिस बी और सी संभावित.
- गर्भवती के बच्चे को भी काला पीलिया संभावित.
बचाव
- शौच से पहले, खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं.
- ठीक से पका हुआ भोजन, पानी उबालने के बाद ठंडा कर पिएं.
- रक्त चढ़वाना है तो लाइसेंस प्राप्त रक्त सेंटर से लें.
- सुई-रेजर किसी अन्य के साथ साझा न करें.
- सुरक्षित यौन संबंध बनाएं.
- बच्चे के जन्म के तुरंत बाद हेपेटाइटिस-बी का टीका लगवाएं.
यह भी जानना है जरूरी
- हेपेटाइटिस का उपचार और रोकथाम संभव है.
- हेपेटाइटिस के इलाज में लापरवाही से लिवर कैंसर हो सकता है.
- जिला अस्पताल सहित अन्य केंद्रों में जन्म लेने वाले शिशुओं का हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण होता है.
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