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देव दीपावलीः काशी के घाटों पर उतरा देवलोक, लाखों की संख्या में उमड़े श्रद्धालु

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जल प्रकाश उत्सव के रूप में विश्‍व विख्यात देव दीपावली धुमधाम से मनाई जा रही है. इस मौके पर मां गंगा के घाटों पर इस खास तरह के नजारे देखने के लिए देश-विदेशों से लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है.

वाराणसी की विश्‍व विख्यात देव दीपावली.
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Published : Nov 12, 2019, 7:32 PM IST

Updated : Nov 12, 2019, 7:48 PM IST

वाराणसी : भगवान शिव की नगरी काशी में अनूठे जल प्रकाश उत्सव के रूप में विश्‍व विख्यात देव दीपावली मनाई जा रही है. इस मौके पर उत्तरवाहिनी मां गंगा के घाटों पर इस खास नजारा देखने के लिए लोगों का हुजूम दोपहर बाद से ही घाटों पर इकट्ठा होना शुरू हो गया था. लाखों लोगों का हुजूम मां गंगा की अनुपम और अनोखी छवि को देखने और अपनी स्मृतियों में कैद करने के लिए आतुर हैं.

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काशी के घाटों पर उतरा देवलोक.

काशी की देव दीपावली में देश विदेश से आने वाले सैलानियों से घाट गलियां और नदी शाम ढ़लने से पूर्व ही पटी नजर आने लगीं. सूर्य अस्‍त होते ही आस्‍था का रेला गंगा धार की ओर दीयों की रोशनी अर्पित करने के लिए उमड़ पड़ा.

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काशी के घाटों पर उतरा देवलोक.

भगवान शिव को स‍मर्पित इस विशिष्‍ट आयोजन में काशी विश्‍वनाथ मंदिर के अलावा अंचलों में मारकंडेय महादेव, तिलभांडेश्‍वर महादेव, सारंगनाथ महादेव, में भी शाम होते ही असंख्‍य दीपों की लडियों ने प्रकाश पर्व के आयोजन को और गति दी. वहीं राजघाट पर लेजर शो के आयोजन ने मानो देव दीवाली पर गंगा तट पर चार चांद लगा दिए.

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काशी के घाटों पर उतरा देवलोक.

इसे भी पढ़ें- बनारस मना रहा देव दीपावली, सज गए घाट, सुरक्षा चाक चौबंद

गोधूलि बेला के साथ ही एक - एक कर दीपों की अनगिन श्रृंखला पूर्णिमा के चांद की चांदनी को चुनौती देने के लिए बेकरार हो चले. दीपों की अनगिन कतारों से घाटों की अर्धचंद्राकार श्रृंखला दिन ढलते ही नहा उठी.

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काशी के घाटों पर उतरा देवलोक.

वाराणसी : भगवान शिव की नगरी काशी में अनूठे जल प्रकाश उत्सव के रूप में विश्‍व विख्यात देव दीपावली मनाई जा रही है. इस मौके पर उत्तरवाहिनी मां गंगा के घाटों पर इस खास नजारा देखने के लिए लोगों का हुजूम दोपहर बाद से ही घाटों पर इकट्ठा होना शुरू हो गया था. लाखों लोगों का हुजूम मां गंगा की अनुपम और अनोखी छवि को देखने और अपनी स्मृतियों में कैद करने के लिए आतुर हैं.

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काशी के घाटों पर उतरा देवलोक.

काशी की देव दीपावली में देश विदेश से आने वाले सैलानियों से घाट गलियां और नदी शाम ढ़लने से पूर्व ही पटी नजर आने लगीं. सूर्य अस्‍त होते ही आस्‍था का रेला गंगा धार की ओर दीयों की रोशनी अर्पित करने के लिए उमड़ पड़ा.

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काशी के घाटों पर उतरा देवलोक.

भगवान शिव को स‍मर्पित इस विशिष्‍ट आयोजन में काशी विश्‍वनाथ मंदिर के अलावा अंचलों में मारकंडेय महादेव, तिलभांडेश्‍वर महादेव, सारंगनाथ महादेव, में भी शाम होते ही असंख्‍य दीपों की लडियों ने प्रकाश पर्व के आयोजन को और गति दी. वहीं राजघाट पर लेजर शो के आयोजन ने मानो देव दीवाली पर गंगा तट पर चार चांद लगा दिए.

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काशी के घाटों पर उतरा देवलोक.

इसे भी पढ़ें- बनारस मना रहा देव दीपावली, सज गए घाट, सुरक्षा चाक चौबंद

गोधूलि बेला के साथ ही एक - एक कर दीपों की अनगिन श्रृंखला पूर्णिमा के चांद की चांदनी को चुनौती देने के लिए बेकरार हो चले. दीपों की अनगिन कतारों से घाटों की अर्धचंद्राकार श्रृंखला दिन ढलते ही नहा उठी.

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काशी के घाटों पर उतरा देवलोक.
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भगवान शिव की तीनों लोकों से न्‍यारी मानी जाने वाली नगरी काशी में अनूठे जल प्रकाश उत्सव के रूप में विश्‍व विख्यात देव दीपावली के मौके पर उत्तरवाहिनी मां गंगा के घाटों पर एक खास नजारा देखने के लिए देश -दुनिया से लोगों का हुजूम दोपहर बाद ही घाटों की ओर बढ़ चला। लाखों लोगों के कदम घाटों की ओर ऐसे बढ़ चले मानो मां गंगा की अनुपम और अनोखी छवि को लंबे समय के लिए लोग नजरों में कैद कर लेने को व्‍याकुल हों।



आस्‍था का रेला ऐसा कि देश विदेश से आने वाले सैलानियों से घाट गलियां और नदी शाम ढ़लने से पूर्व ही पटी नजर आने लगीं। जैसे जैसे भगवान भाष्‍कर अस्‍ताचलगामी हुए वैसे वैसे ही आस्‍था का रेला गंगा धार की ओर दीयों की रोशनी अर्पित करने स्‍वत: स्‍फूर्त भाव से बढ़ चला। भगवान शिव को स‍मर्पित इस विशिष्‍ट आयोजन में काशी विश्‍वनाथ मंदिर के अलावा अंचलों में मारकंडेय महादेव, तिलभांडेश्‍वर महादेव, सारंगनाथ महादेव, बीएचयू स्थित विश्‍वनाथ मंदिर और दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर में भी शाम होते ही असंख्‍य दीपों की लडियों ने प्रकाश पर्व के आयोजन को और गति दी। वहीं राजघाट पर लेजर शो के आयोजन ने मानो देव दीवाली पर गंगा तट पर शमां बांध दी।



सूर्य अस्‍त होते ही माटी के दीपों में तेल की धार बह चली और रुई की बाती तर होते ही प्रकाशित होने को आतुर नजर आई। गोधूलि बेला के साथ ही एक - एक कर दीपों की अनगिन श्रृंखला पूर्णिमा के चांद की चांदनी को चुनौती देने के लिए बेकरार हो चले। दीपों की अनगिन कतारों से घाटों की अर्धचंद्राकार श्रृंखला दिन ढलते ही नहा उठी और मुख्‍य घाट पर आयोजन में शामिल उजाला मानो चंद्रहार में लॉकेट की भांति नदी के दूसरे छोर से प्रकाशित नजर आने लगा। 


Conclusion:
Last Updated : Nov 12, 2019, 7:48 PM IST
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