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BHU में चलाई जा रही 15 दिवसीय कार्यशाला, शोध के गुर सीख रहे छात्र - study the research topic in varanasi

यूपी के वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में शोध प्रविधि की कार्यशाला चलाई जा रही है. इस कार्यशाला में शोध कर रहे छात्रों को शोध के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी जा रही हैं.

बीएचयू के उर्दू विभाग में कार्यशाला का आयोजन
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Published : Oct 1, 2019, 7:22 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में 20 सितंबर से शोध प्रविधि कार्यशाला चल रही है. मंगलवार को 13वां दिन शोध विषय के अध्ययन और उसकी चुनौतियां पर केंद्रित रहा. इस कार्यशाला में प्रतिभागियों में मौलिक प्रश्नों की अनिवार्यता के साथ ही शोध विधि बताई गई.

शोध विषय का अध्ययन और उसकी चुनौतियों पर चलाई जा रही कार्यशाला.

इसे भी पढ़ें-लखनऊ पहुंचीं मिस दीवा यूनिवर्स 2019 का खिताब जीतने वाली वर्तिका, फैंस को दिया यह संदेश

शोध विषय का अध्ययन और उसकी चुनौतियां
बीएचयू उर्दू विभाग में 20 सितंबर से शुरू हुए 'शोध विषय का अध्ययन और उसकी चुनौतियां' कार्यशाला में छात्र-छात्राओं ने शोध के मूल तत्व को जाना है. आज के समय में समाज के हित पर शोध नहीं हो रहे हैं. छात्रों को बताया गया कि आपके शोध में मौलिक बातों का उल्लेख होना चाहिए. शोध पूर्ण रूप से समाज के हित के लिए होना चाहिए. शोध कार्यशाला में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे और उन्होंने शोध की बारीकियों को जाना.

कार्यशाला में बताई गई शोध की प्रमुख बातें
बहुत से छात्रों को यही नहीं पता होता कि शोध कार्य कैसे किया जाए. जब आपको यही नहीं पता होगा कि जाना कहां है तो आप एक बेहतर शोध कार्य नहीं कर पाएंगे. किसी अर्जित परंपरा को विस्तार देना भी अनुसंधान होता है. एक शोधार्थी को अपने शोध के शीर्षक का विभाजन करना चाहिए. शोध विज्ञान की तर्ज पर होना चाहिए.

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में 20 सितंबर से शोध प्रविधि कार्यशाला चल रही है. मंगलवार को 13वां दिन शोध विषय के अध्ययन और उसकी चुनौतियां पर केंद्रित रहा. इस कार्यशाला में प्रतिभागियों में मौलिक प्रश्नों की अनिवार्यता के साथ ही शोध विधि बताई गई.

शोध विषय का अध्ययन और उसकी चुनौतियों पर चलाई जा रही कार्यशाला.

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शोध विषय का अध्ययन और उसकी चुनौतियां
बीएचयू उर्दू विभाग में 20 सितंबर से शुरू हुए 'शोध विषय का अध्ययन और उसकी चुनौतियां' कार्यशाला में छात्र-छात्राओं ने शोध के मूल तत्व को जाना है. आज के समय में समाज के हित पर शोध नहीं हो रहे हैं. छात्रों को बताया गया कि आपके शोध में मौलिक बातों का उल्लेख होना चाहिए. शोध पूर्ण रूप से समाज के हित के लिए होना चाहिए. शोध कार्यशाला में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे और उन्होंने शोध की बारीकियों को जाना.

कार्यशाला में बताई गई शोध की प्रमुख बातें
बहुत से छात्रों को यही नहीं पता होता कि शोध कार्य कैसे किया जाए. जब आपको यही नहीं पता होगा कि जाना कहां है तो आप एक बेहतर शोध कार्य नहीं कर पाएंगे. किसी अर्जित परंपरा को विस्तार देना भी अनुसंधान होता है. एक शोधार्थी को अपने शोध के शीर्षक का विभाजन करना चाहिए. शोध विज्ञान की तर्ज पर होना चाहिए.

Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में शोध प्रविधि कार्यशाला का 13वां दिन शोध विषय का अध्ययन और उसकी चुनौतियां विषय पर केंद्रित इस कार्यशाला में प्रतिभागियों में मौलिक प्रश्नों की अनिवार्यता के साथ शोध विधि बताई गई।


Body:बीएचयू उर्दू विभाग में 20 सितंबर से शुरू हुए "शोध विषय का अध्ययन और उसकी चुनौतियां" कार्यशाला में छात्र-छात्राओं ने शोध के मूल चीज को जाना तो कि आज के समय में समाज के हित पर शोध नहीं हो रहे हैं छात्रों को बताया गया कि मौलिक बातों का उल्लेख आपके शोध में होना चाहिए और शोध पूर्ण रूप से समाज के हित के लिए होना चाहिए। शोध कार्यशाला में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे और उन्होंने शोध की बारीकियों को जाना।


Conclusion:डॉ आभा गुप्ता ठाकुर ने बताया कार्यशाला इस मायने में बहुत ही महत्वपूर्ण है बहुत से छात्रों को यह नहीं पता कि शोध कार्य कैसे किया जाए। जिस रास्ते पर आप को चलना है जब आपको पता नहीं होता है कि कहां जाया जाए उसी तर्ज पर आप इस किताब उस किताब से मैटर लेकर अपने शोध कार्य को पूरा करते हैं। कार्यशाला उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने जायसी और उनके ग्रंथों की खोज की आचार्य शुक्ल के लिए यह न सिर्फ नए सत्य की खोज थी, बल्कि वह आस्वादन के मानदंड की स्थापित करते हैं। मसलन जायसी को किस तरह पढ़ा जाए और उन्हें किस संदर्भ में समझा जाए।किसी अर्जित परंपरा को विस्तार देना भी अनुसंधान होता है उन्होंने एक शोधार्थी को अपने शोध के शीर्षक का विभाजन करना चाहिए जिससे एक मुख्य शीर्षक को और उसके जुड़कर कुछ उप-शीर्षक। विज्ञान शोध का कला के शोध पर बहुत ही ज्यादा दबाव है क्योंकि हमारा जो शोध है वह विज्ञान की तर्ज पर होना चाहिए इन सब बातों का यहां पर चर्चा किया जा रहा है।

बाईट :-- डॉ आभा गुप्ता ठाकुर, असिस्टेंट प्रोफेसर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय

अशुतोष उपाध्याय
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