वाराणसी: भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की कामना के लिए तो कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए व्रत करती हैं और भगवान शिव की आराधना करती हैं. इस व्रत को बड़े ही त्याग और तपस्या के साथ किया जाता है. यह बेहद ही कठिन व्रत माना जाता है. इसमें फलाहार का सेवन तो दूर जल तक ग्रहण नहीं किया जाता. इस व्रत को अखंड सौभाग्य का रक्षक व्रत भी माना जाता है. इस बार यह व्रत 21 अगस्त यानी कि शुक्रवार को है.
बाजारों में लौटी रौनक
हरतालिका तीज को लेकर जहां बाजार सज गए हैं तो वहीं महिलाओं की तैयारी भी शुरू हो गई है. इस व्रत को सुहागिनों का व्रत कहा जाता है. महिलाएं साड़ी, चूड़ी, मेहंदी के साथ-साथ सोलह श्रृंगार के सामान खरीदने में जुटी हुई हैं. कोई महिला साड़ी खरीद रही हैं तो कोई मेहंदी लगवा रही है. इसमें कच्ची मिट्टी के शंकर, पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा की जाती है तो बाजार में मूर्तियों की दुकानें भी सजी हैं.
शिफॉन की साड़ियों को किया जा रहा पसंद
ईटीवी भारत ने जब साड़ी के दुकानदार से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि महिलाएं हरे रंग में शिफॉन व चुनरी की साड़ियां सबसे ज्यादा पसंद कर रही हैं, क्योंकि यह गर्मी में काफी आरामदेह साड़ी होती है. इस बार इसमें कई सारी वैरायटी भी आई हैं. हालांकि हर साल जितनी भीड़ नहीं है और न ही उतनी आमदनी है.
'घर पर रहकर करेंगे भगवान की आराधना'
प्रिया विश्वकर्मा ने कहा कि इस बार हम सब घरों में रहकर ही भगवान की आराधना करेंगे. हर वर्ष हम लोग इकठ्ठा होकर मन्दिरों में पूजा करते थे. वहीं गुंजन नंदा ने बताया कि कोविड-19 से हमारे बजट पर भी असर पड़ा है. इस बार हमें सोचना पड़ रहा है. इस पूजा को हम सब निर्जल रहकर करते हैं. इसमें थाल तैयार करते हैं, जिसमें श्रृंगार के सामान के अलावा मेवा, फल, शिव-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा व पुष्प शामिल होता है.
ज्योतिषाचार्य ने दी जानकारी
ज्योतिषाचार्य पण्डित प्रकाश मिश्र ने बताया कि शुभ मुहूर्त प्रातः 5:54 से 8:30 बजे तक व प्रदोष काल 6:54 से 9:06 तक है. महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं. शादीशुदा महिलाओं संग कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को करती हैं. इससे उन्हें लक्ष्य की प्राप्ति होती है.
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