वाराणसी: जिले के शिवपुर थाना क्षेत्र के तरना यमुना नगर कालोनी निवासी 45 वर्षीय रीता तिवारी गाय के गोबर से धूप बत्ती बनाने का काम कर रही हैं. रीता ने इस काम से आत्मनिर्भर बनने के साथ साथ कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं. इस काम के चलते उन्होंने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की करीब 300 महिलाओं को रोजगार देने का काम किया है. इस समूह में शामिल हर महिला घर पर ही प्रतिदिन 7 से 8 घंटे में काम करके दो सौ रुपये कमा रही है. रीता तिवारी गाय के गोबर से धूप स्टिक, मूर्ति, दीया, गमला, उपला भी बनाती हैं.
गोबर से सुगन्धित धूप बना रही यह महिलाएं महिलाओं को मिला रोजगाररीता बताती हैं कि वह कई संस्थाओं से जुड़कर काम कर चुकी हैं. कोरोनावायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान गरीबों और दलित बस्तियों में भोजन वितरण के दौरान पिछड़े तबके की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का विचार मन में आया. ऐसे में गौ विज्ञान और अनुसंधान केंद्र नागपुर से संपर्क किया. गाय के गोबर से बनाने वाले उत्पादकों के बारे में जानकारी ली. अप्रैल के अंत तक वहां से धूप स्टिक, मूर्ति, गमले व कप बनाने का सांचा मंगवा लिया. इसी समूह से जुड़ी सविता और कविता के माध्यम से ऐसी बस्तियों और महिलाओं का चयन किया जो काम करने की इच्छुक थीं. उसके बाद सब के घर सांचा भिजवाने के साथ गोबर से खाद बनाने का तरीका भी बताया. पहले तो तीन से चार दर्जन महिलाएं ही जुड़ीं, लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती ही गई.
देसी गाय के गोबर का होता है इस्तेमालरीता का कहना है कि पहले गोशाला से और अब पशुपालकों के घर से गोबर खरीदती हैं. उनका कहना है कि गाय में 33 कोटि देवी देवताओं का वास होता है. ऐसे में केवल देसी गाय के गोबर का ही इस्तेमाल कर उत्पादों को बनाती हैं. गाय का सूखा गोबर ₹10 किलो खरीद कर उसका पाउडर बनाती हैं. इस पाउडर को अलग-अलग सामग्री में मिलाकर उत्पादों का निर्माण करवाती हैं.इस काम में रीता तिवारी के पति का पूरा सहयोग मिला. रीता के पति ग्राम विकास अधिकारी हैं. बेटा आशुतोष भोपाल में रहकर सिविल सेवा की तैयारी कर रहा व बेटी अंकिता जयपुर से एमबीबीएम कर रही है. लॉकडाउन लगने के बाद से ही दोनों बच्चे घर पर हैं और मां के काम में हाथ बटाने का काम करते हैं. जिसमें मां को काफी संतुष्टि मिलती है और इस काम को बढ़ावा भी देते हैं.
गो माता की रक्षा के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है. इसके बावजूद लोग केवल दूध देने तक ही गायों को घर में रखते हैं. दूध नहीं देने वाली गाय का या तो अनादर या छुट्टा छोड़ दिया जाता है. ऐसे में गाय का गोबर जब खरीदा जाने लगा तो लोग गायों की रक्षा भी करेंगे.
-रीता तिवारी, महिला उद्यमी