वाराणसी : भगवान भास्कर के इंतजार में गंगा नदी में खड़ी व्रती महिलाओं की तरफ से बार-बार यही अनुरोध किया जा रहा था, हे भगवान भास्कर जल्द निकलिए और हमारे इस कठिन व्रत को पूर्ण कर हमें आशीर्वाद प्रदान कीजिए. 18 नवंबर से शुरू हुए चार दिवसीय छठ महापर्व का आज उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया है 36 घंटे के कठिन व्रत को उठाने वाली भर्ती महिलाएं और पुरुषों ने आज सुबह गंगा तट पर सूर्य की पहली किरणों के साथ भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर अपने इस कठिन व्रत को पूरा किया है.
36 घंटे का कड़ा व्रत रखने के बाद श्रद्धालुओं ने कार्तिक शुक्ल सप्तमी शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने इस व्रत को पूर्ण किया है. वाराणसी के गंगा, वरुणा और अन्य कुंड तालाबों पर छठ व्रत का अंतिम अर्घ्य देने के लिए आस्था का जन सैलाब उमड़ा था. शुक्रवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने अपने इस व्रत को आधा पूर्ण किया था, और शनिवार की सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर अपने इस व्रत को पूर्ण कर भगवान भास्कर से व्रती महिलाओं और पुरुषों ने सर्व मंगल की कामना की.
शनिवार की सुबह जैसे-जैसे अर्घ्य का वक्त नजदीक आता गया वैसे-वैसे महिलाओं के अंदर उत्साह और उमंग बढ़ता चला गया. भगवान भास्कर की लालिमा आसमान में नजर आई तो हर हर महादेव का जयघोष और छठी मैया के जय के जय घोष के साथ लोगों ने गंगा में डुबकी लगाना शुरू कर दिया. लगभग 1 घंटे पहले ही महिलाएं जल में उतर गईं थी. महिलाओं ने डुबकी लगाकर भगवान भास्कर का इंतजार करते हुए भीषण ठंड में भी पानी में खड़े होकर यह साबित कर दिया कि आस्था हमेशा सर्वोपरि है. उसके आगे कुछ भी नहीं दिखता. शायद यही वजह है कि 36 घंटे के निर्जला व्रत के कारण पहले ही महिलाओं के अंदर न सिर्फ उत्साह दिखाई दिया, बल्कि उनके चेहरे पर एक चमक भी देखने को मिली.
वहीं इस बार कोविड-19 की वजह से तमाम रोक-टोक के बावजूद भी गंगा घाटों पर जबरदस्त भीड़ उमड़ी और आस्था पूरी तरह से कोविड-19 पर भारी दिखाई दी.