वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक कोर्ट) द्वारा पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के आदेश के खिलाफ जिला जज की अदालत में दाखिल निगरानी याचिका वापस ले ली गई है. बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद पुरातात्विक सर्वेक्षण मामले में निगरानी याचिका अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा दाखिल की गई थी.
गुरुवार को विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) राजेंद्र प्रसाद त्रिपाठी की अदालत में इस निगरानी याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं ने न्यायालय को बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की जा चुकी है. ऐसे में दायर निगरानी याचिका को वापस ले रहे हैं.
बता दें कि ज्ञानवापी मामले में सिविल कोर्ट ने 8 अप्रैल 2021 को फैसला सुनाते हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करने के बाद मामले की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी थी. कोर्ट ने इस मामले में 5 लोगों की टीम बनाकर पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया था, जिसमें मुस्लिम पक्ष से भी 2 लोगों को शामिल किया जाना था. सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज ने ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए सर्वे करते हुए विवादित स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने, खुदाई कराने और उसकी आख्या न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए आदेश जारी किया था.
इसे भी पढ़ें- काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी केस में कोर्ट का आदेश, पुरातत्व विभाग करेगा सर्वे
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने निगरानी याचिका वापस ली
पिछली सुनवाई पर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता तौहीद खान, अभय नाथ यादव, अंजूमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता रईस अहमद अंसारी और मुमताज अहमद को अपना पक्ष रखना था. जिस पर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद द्वारा प्रति उत्तर शपथ पत्र दाखिल किया गया था. जिस पर वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा. जिस पर कोर्ट ने अगली तिथि 12 अगस्त निर्धारित की थी. आज की सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस पूरे मामले पर दाखिल निगरानी याचिका को वापस ले लिया है.
वर्ष 1991 में दायर किया गया था मुकदमा
इस मामले को लेकर वादी पक्ष की ओर से बात करते हुए अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने बताया था कि जो ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू विशेश्वर का मंदिर है इसके लिए वाद संख्या 610 सन् 1991 में दाखिल किया गया है और न्यायालय से यह निवेदन किया गया है कि यह घोषित कर दिया जाए कि यह जो विवादित स्थल है वह स्वयंभू विशेश्वर के मंदिर का एक अंश है. हिंदुओं को इसमें पूजा-पाठ करने, मरम्मत करने, मंदिर का नवनिर्माण इत्यादि करने का अधिकार है.