काशी में तीसरा विश्वनाथ मंदिर वाराणसी: धर्म नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ के नाम से तीन शिवलिंग स्थापित हैं. दो मंदिरों के बारे में तो पूरी दुनिया जानती है या सुनती है. ईटीवी भारत आपको काशी के उस तीसरे विश्वनाथ मन्दिर के बारे में बताने जा रहा है, जिसे काशी में 60 के दशक में स्थापित किया गया था.
मंदिर में बैठे पुजारी और पंडा बाबा विश्वनाथ के इस मंदिर की अपनी अलग कहानी और मान्यता है. इसे 60 के दशक में करपात्री महाराज के द्वारा स्थापित किया था. कहा जाता है कि गर्भ गृह में व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने को लेकर के करपात्री महाराज ने आवाज उठाई थी. जिसका वाराणसी में विद्वत परिषद के द्वारा खासा विरोध भी हुआ था. इस विरोध के बाद काशी के मीर घाट पर करपात्री महाराज ने नए विश्वनाथ जी के नाम से तीसरा विश्वनाथ मंदिर स्थापित किया. मंदिर में पूजा करते पूजारी 60 के दशक में जो विवाद था आज वही नियम: यह मंदिर आज भी भव्य स्वरूप में विराजमान है. अन्य दिनों के साथ सावन व महाशिवरात्रि पर इस मंदिर में दर्शन पूजन का अपना अलग महत्व होता है. बड़ी बात यह है कि 60 के दशक में जिस गर्भ गृह में स्पर्श दर्शन को लेकर करपात्री जी महाराज ने नए विश्वनाथ मंदिर को बनाने का निर्णय लिया था. आज पुराने विश्वनाथ मंदिर में प्रशासन के द्वारा कमोबेश वही, व्यवस्था लागू की गई है. कोई बाहरी व्यक्ति मंदिर के अंदर नहीं जा सकता: मैनेजर राकेश दुबे ने बताया कि नए काशी विश्वनाथ जी( तीसरे) की स्थापना 1956 और 1957 के बीच की गई थी. स्वामी करपात्री महराज जी ने इसकी स्थापना की. पुराने विश्वनाथ जी में जब बाहरी लोगों का प्रवेश होने लगा तो इसको ध्यान में रखते हुए नए विश्वनाथ जी की स्थापना की गई थी. हमारे यहां कोई बाहरी व्यक्ति मंदिर के अंदर नहीं जा सकता है. केवल नियुक्त पुजारी ही जा सकते हैं. दर्शनार्थी बाहर से ही दर्शन कर पाते हैं.काशी में तीसरा विश्वनाथ मंदिर रोजाना 250 लोगों को प्रसाद वितरण: उन्होंने बताया कि हमारे यहां पूजा-पाठ कर भंडारा का आयोजन किया जाता है. रोजाना लगभग 200 से 250 लोग प्रसाद पाते हैं. भोर में मंगला आरती होती है. इसके बाद 11 बजे भोग आरती की जाती है. फिर शाम को 6.30 बजे श्रंगार आरती होती है. साढ़े आठ बजे भोग आरती की जाती है. इसके बाद रात 10 बजे शयन आरती होती है. साउथ के लोग भी यहां पर आते हैं. मंदिर में मौजूद पूजारी, पंडा और अन्य विश्व कल्याण और शुद्धता के लिए हुई मंदिर की स्थापना: नए विश्वनाथ मंदिर के पुजारी अजय झा ने बताया कि पुराने विश्वनाथ मंदिर में बाहरी लोग प्रवेश करने लगे, शिवलिंग को स्पर्श करने लगे थे. स्वामी जी कहते थे कि शिवलिंग को स्पर्श करने से शक्ति छीर्ण हो जाती है. विश्व कल्याण और शुद्धता के लिए इस मंदिर की स्थापना की गई थी. मंदिर में आने वाले दर्शनार्थी बाहर से ही बाबा के दर्शन करते हैं. तीसरा काशी विश्वनाथ मंदिर मंदिर में सिले हुए वस्त्र माने जाते हैं अशुद्ध: मंदिर में सिले हुए वस्त्र न पहनने को लेकर उन्होंने बताया कि सिले हुए वस्त्रों को अशुद्ध माना जाता है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मंदिर में प्रसाद और चढ़ावे के लिए यहां के ब्राह्मणों द्वारा खुद ही प्रसाद तैयार किया जाता है. प्रसाद किसी बाहरी दुकान या अन्य जगहों से नहीं मंगाया जाता है.तीसरा काशी विश्वनाथ मंदिर कौन से हैं दो अन्य काशी विश्वनाथ मंदिर: पहला काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी चौक में स्थित है. अहिल्याबाई होल्कर ने सन 1780 में काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार कराया था. इसके लगभग तीन शताब्दी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के विस्तारीकरण और पुनरोद्धार के लिए 8 मार्च 2019 को विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर का शिलान्यास किया था. काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. दूसरा है श्री विश्वनाथ मन्दिर, जो वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है. यह एक प्रसिद्ध शिव मंदिर भी है. इसे 'नया विश्वनाथ मन्दिर' या 'रत्नेश्वर महादेव' भी कहा जाता है. इस मन्दिर का शिखर विश्व में सबसे ऊंचा है.मंदिर में आरती करती महिला श्रद्धालु यह भी पढे़ं:Varanasi में महाशिवरात्रि पर विश्वेश्वर के दर्शन के लिए उमड़ा लोगों का सैलाब