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संस्कृत विश्वविद्यालयों को उपवेदों के अध्यापन का मिलना चाहिए अधिकार

नवीन शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों की तैयारियों पर वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय, संस्कृत भारती एवं भारतीय शिक्षण मंडल गुरुकुल प्रकल्प में वेबीनार का आयोजन किया गया. इसमें विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया.

अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामता
अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामता
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Published : Dec 15, 2020, 2:49 PM IST

वाराणसी: नवीन शिक्षा नीति के आधार पर सभी संस्कृत विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों को बहुविषयक बनाया जाए. इस नीति को कार्यान्वित करने के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में क्या तैयारी है और क्या तैयारी की आवश्यकता है. इस विषय पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा भारत के सभी संस्कृत विश्वविद्यालय और संस्कृत भारती एवं भारतीय शिक्षण मंडल गुरुकुल प्रकल्प में सोमवार को एक दिवसीय विचार वेबीनार का आयोजन किया गया. इसमें भारत के सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित रहे.



उपवेदों के अध्यापन का मिले अधिकार

कार्यक्रम में संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामता ने कहा कि संस्कृत भाषा में निहित जो विद्याएं हैं उनको संस्कृत भाषा में ही पढ़ाया जाए, तभी संस्कृत विश्वविद्यालयों को बहुविषयक बनाने का प्रयोजन सिद्ध होगा. संस्कृत विश्वविद्यालय में वेदों का अध्यापन होता है परंतु उपवेदों का अध्यापन करने का अधिकार नहीं दिया गया है. जैसे कि स्थापत्यवेद, धनुर्वेद, गंधर्ववेद और आयुर्वेद. इन विषयों का भी अध्यापन संस्कृत विश्वविद्यालयों में वेद वेदांगों की तरह होने की आवश्यकता है. इसके लिए सरकार संस्कृत विश्वविद्यालयों को उन विषयों को अध्यापन करने के लिए स्वतंत्र करे.

संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने दिए राय

कार्यक्रम के माध्यम से सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने नवीन शिक्षा नीति को संस्कृत विश्वविद्यालयों में लागू करने तथा संस्कृत विश्वविद्यालयों को बहूविषयक विवि बनाने के संबंध में अपना-अपना मत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के समापन सत्र में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि संस्कृत विवि उन सभी गुरुकुलों को संस्कृत महाविद्यालयों में संपर्क करने की आवश्यकता है, जिन गुरुकुलों में आज भी पारंपरिक रीति से कलाओं का अभ्यास कराया जा रहा है. डॉ. कानिटकर ने कहा कि संस्कृत माध्यम से अभियांत्रिकी चिकित्सा सहित समस्त पाठ्यक्रमों को संस्कृत विश्वविद्यालयों में लागू करने की आवश्यकता है. यदि पाठ्यक्रम हमारे पास तैयार न हो तो पाठ्यक्रम निर्माण के लिए सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों को तैयार रहने की आवश्यकता है. आधुनिक विज्ञान के अध्यापन के साथ-साथ संस्कृत विश्वविद्यालयों में लागू होने वाले पाठ्यक्रमों में भारतीयता की पूर्णता अपेक्षित है.


भारतीयता के साथ लागू हो नई शिक्षा नीति

आयुर्वेद, स्थापत्यवेद, धनुर्वेद तथा सभी कलाओं का अध्यापन संस्कृत महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों में होने के लिए अपेक्षित संसाधनों की तैयारी विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय और उनको कार्यान्वित करने के लिए अपेक्षित स्वातंत्र्य देने की तैयारी सरकार को करनी चाहिए. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने नई शिक्षा नीति को सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों मे भारतीयता के साथ लागू करने पर जोर दिया.

वाराणसी: नवीन शिक्षा नीति के आधार पर सभी संस्कृत विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों को बहुविषयक बनाया जाए. इस नीति को कार्यान्वित करने के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में क्या तैयारी है और क्या तैयारी की आवश्यकता है. इस विषय पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा भारत के सभी संस्कृत विश्वविद्यालय और संस्कृत भारती एवं भारतीय शिक्षण मंडल गुरुकुल प्रकल्प में सोमवार को एक दिवसीय विचार वेबीनार का आयोजन किया गया. इसमें भारत के सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित रहे.



उपवेदों के अध्यापन का मिले अधिकार

कार्यक्रम में संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामता ने कहा कि संस्कृत भाषा में निहित जो विद्याएं हैं उनको संस्कृत भाषा में ही पढ़ाया जाए, तभी संस्कृत विश्वविद्यालयों को बहुविषयक बनाने का प्रयोजन सिद्ध होगा. संस्कृत विश्वविद्यालय में वेदों का अध्यापन होता है परंतु उपवेदों का अध्यापन करने का अधिकार नहीं दिया गया है. जैसे कि स्थापत्यवेद, धनुर्वेद, गंधर्ववेद और आयुर्वेद. इन विषयों का भी अध्यापन संस्कृत विश्वविद्यालयों में वेद वेदांगों की तरह होने की आवश्यकता है. इसके लिए सरकार संस्कृत विश्वविद्यालयों को उन विषयों को अध्यापन करने के लिए स्वतंत्र करे.

संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने दिए राय

कार्यक्रम के माध्यम से सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने नवीन शिक्षा नीति को संस्कृत विश्वविद्यालयों में लागू करने तथा संस्कृत विश्वविद्यालयों को बहूविषयक विवि बनाने के संबंध में अपना-अपना मत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के समापन सत्र में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि संस्कृत विवि उन सभी गुरुकुलों को संस्कृत महाविद्यालयों में संपर्क करने की आवश्यकता है, जिन गुरुकुलों में आज भी पारंपरिक रीति से कलाओं का अभ्यास कराया जा रहा है. डॉ. कानिटकर ने कहा कि संस्कृत माध्यम से अभियांत्रिकी चिकित्सा सहित समस्त पाठ्यक्रमों को संस्कृत विश्वविद्यालयों में लागू करने की आवश्यकता है. यदि पाठ्यक्रम हमारे पास तैयार न हो तो पाठ्यक्रम निर्माण के लिए सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों को तैयार रहने की आवश्यकता है. आधुनिक विज्ञान के अध्यापन के साथ-साथ संस्कृत विश्वविद्यालयों में लागू होने वाले पाठ्यक्रमों में भारतीयता की पूर्णता अपेक्षित है.


भारतीयता के साथ लागू हो नई शिक्षा नीति

आयुर्वेद, स्थापत्यवेद, धनुर्वेद तथा सभी कलाओं का अध्यापन संस्कृत महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों में होने के लिए अपेक्षित संसाधनों की तैयारी विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय और उनको कार्यान्वित करने के लिए अपेक्षित स्वातंत्र्य देने की तैयारी सरकार को करनी चाहिए. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने नई शिक्षा नीति को सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों मे भारतीयता के साथ लागू करने पर जोर दिया.

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