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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में पानी के लिए तरस रहे लोग! - people craving for drinking water in varanasi

बढ़ते तापमान और तपती धरती से इस समय बनारस के लोग परेशान हैं. लोगों को पीने का पानी तक मुहैया नहीं हो पा रहा है. काशीवासियों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी अधिकारियों ने इस बात की सुध तक नहीं ली कि इस गर्मी में बिना पानी के लोग कैसे रह रहे होंगे.

पीने के पानी को तरस रहे लोग.
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Published : Jun 12, 2019, 10:21 AM IST

वाराणसी: 'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून', यह कहावत अपने आप में उन लोगों की व्यथा बताती है, जिनको पानी नसीब नहीं होता है. काशी के लोग शायद इसी सूनेपन से गुजर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र को विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों का बजट केंद्र देता है. बावजूद इसके काशीवासियों को जरूरी सुविधाएं तक मुहैया नहीं हो पा रही हैं.

पीने के पानी को तरस रहे लोग.

क्या है पूरा मामला

  • फुलवरिया गांव के मानस नगर कॉलोनी (कुम्हारपुरा) में कुम्हार परिवार रहते हैं.
  • भीषण गर्मी में पानी की किल्लत ने जिंदगी और व्यापार दोनों पर असर डाला है.
  • अधिकारियों के पास चक्कर काट-काटकर लोग थक गये हैं.
  • कैंट स्टेशन के नजदीक होने के बावजूद समस्या पर नहीं दे रहा कोई ध्यान.
  • राज्य सरकार के मंत्री अनिल राजभर के विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है प्रभावित इलाका.
  • लोगों के मुताबिक राजभर तक शिकायत पहुंचाने के बावजूद अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया.
  • अधिकारियों और पार्षद पर दबाव बनाने के लिए रोज हो रहे धरना प्रदर्शन भी बेकार साबित हो रहा.

पेयजल के लिये तरस रहे लोग-

  • कुम्हारपुरा गांव में शादी का माहौल भी पानी की किल्लत की वजह से दुख और परेशानी के माहौल में बदल जाता है.
  • प्रभावित परिवारों का कहना है कि पानी की सप्लाई का कनेक्शन हर घर में मौजूद है, लेकिन पीने का पानी लेने के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता है.
  • गांव में लगे हैंडपंप भी बेकार साबित हो रहा है.
  • व्यापार बंद हो चुका है, क्योंकि मिट्टी दरक रही है और बिना पानी के सूख कर अब वह किसी काम की नहीं रह गई.
-

कॉलोनी के निवासियों का कहना है कि उन्होंने अपनी बात रखने के लिए कई बार धरना प्रदर्शन भी किया है. अधिकारी आते हैं उनकी बात सुनते हैं और उसके बाद वापस चले जाते हैं, लेकिन पानी आज तक नहीं आया. पानी न हो तो खाने के भी लाले पड़ जाते हैं.

वाराणसी: 'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून', यह कहावत अपने आप में उन लोगों की व्यथा बताती है, जिनको पानी नसीब नहीं होता है. काशी के लोग शायद इसी सूनेपन से गुजर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र को विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों का बजट केंद्र देता है. बावजूद इसके काशीवासियों को जरूरी सुविधाएं तक मुहैया नहीं हो पा रही हैं.

पीने के पानी को तरस रहे लोग.

क्या है पूरा मामला

  • फुलवरिया गांव के मानस नगर कॉलोनी (कुम्हारपुरा) में कुम्हार परिवार रहते हैं.
  • भीषण गर्मी में पानी की किल्लत ने जिंदगी और व्यापार दोनों पर असर डाला है.
  • अधिकारियों के पास चक्कर काट-काटकर लोग थक गये हैं.
  • कैंट स्टेशन के नजदीक होने के बावजूद समस्या पर नहीं दे रहा कोई ध्यान.
  • राज्य सरकार के मंत्री अनिल राजभर के विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है प्रभावित इलाका.
  • लोगों के मुताबिक राजभर तक शिकायत पहुंचाने के बावजूद अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया.
  • अधिकारियों और पार्षद पर दबाव बनाने के लिए रोज हो रहे धरना प्रदर्शन भी बेकार साबित हो रहा.

पेयजल के लिये तरस रहे लोग-

  • कुम्हारपुरा गांव में शादी का माहौल भी पानी की किल्लत की वजह से दुख और परेशानी के माहौल में बदल जाता है.
  • प्रभावित परिवारों का कहना है कि पानी की सप्लाई का कनेक्शन हर घर में मौजूद है, लेकिन पीने का पानी लेने के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता है.
  • गांव में लगे हैंडपंप भी बेकार साबित हो रहा है.
  • व्यापार बंद हो चुका है, क्योंकि मिट्टी दरक रही है और बिना पानी के सूख कर अब वह किसी काम की नहीं रह गई.
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कॉलोनी के निवासियों का कहना है कि उन्होंने अपनी बात रखने के लिए कई बार धरना प्रदर्शन भी किया है. अधिकारी आते हैं उनकी बात सुनते हैं और उसके बाद वापस चले जाते हैं, लेकिन पानी आज तक नहीं आया. पानी न हो तो खाने के भी लाले पड़ जाते हैं.

Intro:वाराणसी। 'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून', यह कहावत अपने आप में उन लोगों की व्यथा बताती है, जिनको पानी नसीब ना हो। अगर इसको संदर्भ में देखा जाए तो वाराणसी के लोग शायद इसी सूनेपन से गुजर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी जहां विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों का बजट केंद्र देती है, लेकिन काशी वासियों को जरूरी सुविधाएं तक मुहैया नहीं हो पा रही है। बढ़ते तापमान और तपती धरती पर इस समय बनारस के लोग बिलख रहे हैं, तो पीने के पानी के लिए गर्मी में बढ़ते तापमान से परेशान। वाराणसी के लोगों के पास पीने का पानी तक मुहैया नहीं हो पा रहा है। काशी वासियों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी अधिकारियों ने इस बात की सुध तक नहीं ली है कि इस गर्मी में बिना पानी के लोग कैसे रह रहे होंगे।


Body:VO1: हम बात कर रहे हैं वाराणसी के फुलवरिया गांव के क्षेत्र कुमार पुरा की यहां वह लोग रहते हैं जो दूसरों के घरों को रोशन कर रहे हैं। मानस नगर कॉलोनी (कुम्हारपुरा) में मिट्टी से बने दियाली बर्तन और खिलौनों को बनाने वाले परिवारों का बसेरा है, लेकिन बढ़ती गर्मी के साथ पिछले दिनों इनके गले भी सूख रहे हैं और व्यापार के लिए आई मिट्टी भी सूख रही है। ना ही व्यापार का कोई काम हो पा रहा है और ना ही गले को तर किया जा पा रहा है। इसकी वजह है जिंदगी से पानी ही गैर मौजूद हो चुका है। वाराणसी में रहने वाले यह निवासी रोजाना ही अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं पर उन्हें कोई ना कोई बहाना कर वापस लौटा दिया जाता है गौरतलब है कि जहां के निवासी हैं। वह जगह वाराणसी के सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाले इलाके कैंट स्टेशन के पास ही स्थित है और यह विधानसभा क्षेत्र है उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री अनिल राजभर का। लोगों का कहना है कि खुद अनिल राजभर तक भी पीने का पानी ना मिलने की शिकायत पहुंचाई जा चुकी है, पर उसके बाद भी इस बात पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। अधिकारियों और पार्षद पर दबाव बनाने के लिए रोज ही धरना प्रदर्शन हो रहा है पर शायद यह लोग कितनी गर्मी में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं इस बात का अंदाजा एसी कमरों में बैठे अधिकारियों को लग नहीं पा रहा है।

बाइट: मुन्नी देवी, निवासी, मानस नगर कॉलोनी, कुम्हारपुरा
बाइट: मोहन, निवासी, मानस नगर कॉलोनी, कुम्हारपुरा
बाइट: सुरेश प्रसाद, निवासी, मानस नगर कॉलोनी, कुम्हारपुरा


Conclusion:VO2: इसी गांव में एक परिवार है जिनके यहां शादी का माहौल है पर उस माहौल में खुशी होने के बजाय परेशानी और दुख के पल ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। वजह है कि घर आए मेहमानों को पानी तक नहीं पूछा जा पा रहा है। परिवार वालों का कहना है की सप्लाई का कनेक्शन हर घर में मौजूद है लेकिन पीने का पानी लेने के लिए दूर दूर तक जाकर पानी खरीदना पड़ता है। गांव में हैंडपंप भी है लेकिन उसको चलाने पर पानी की जगह बालू आती है और अगर कभी पानी आ भी जाता है तो उस पानी के साथ आ रही मिट्टी उसे पीने लायक रहने नहीं देती। बूंद बूंद टपकाते यह हैंडपंप अब किसी काम के रह नहीं गए हैं। व्यापार बंद हो चुका है क्योंकि मिट्टी दरक रही है और बिना पानी के सूख कर अब वह किसी काम की नहीं रह गई। कॉलोनी के निवासियों का कहना है कि उन्होंने अपनी बात रखने के लिए कई बार धरना प्रदर्शन भी किया है। अधिकारी आते हैं उनकी बात सुनते हैं और उसके बाद वापस चले जाते हैं लेकिन पानी आज तक नहीं आयाम पानी ना हो तो खाने के भी लाले पड़ जाते हैं यह बात शायद उन अधिकारियों को समझ नहीं आती जिनके घर रोज पकवान की दावत होती है और गर्मी से बचने को उन्हें छत भी मिली हुई है और पीने को बर्फीला ठंडा पानी भी मुहैया हो जाता है।

नोट: इस खबर के कुछ विजुअल्स और लगातार हो रहे धरने प्रदर्शन के वीडियो ftp से up_vns_11june2019_water problem_7203523 नाम के फोल्डर से भेजे गए हैं, जिन्हे इस्तेमाल करने से खबर अच्छी तरह कैरी होगी, कृपया चेक कर लें।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236
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