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वाराणसी: बाढ़ के खतरे को लेकर नौका संचालन पर रोक, रोजी-रोटी का बढ़ा संकट

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Published : Aug 27, 2020, 3:41 PM IST

वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में घाटों के किनारे रोजी रोटी कमाने वालों के लिए बड़ा संकट खड़ा होने वाला है. उनका कहना है कि कोरोना के साथ अब बाढ़ की चेतावनी से रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

काशी में बाढ़ का खतरा
काशी में बाढ़ का खतरा

वाराणसी: जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि अभी यहां गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से थोड़ा नीचे है. परन्तु अभी से ही यह आम जनजीवन को काफी प्रभावित कर रहा है. कोरोना के साथ साथ अब बाढ़ ने आम जनजीवन पर असर डाला है. ऐसे में नाव चालकों के सामने बाढ़ के समय रोजी रोटी का संकट भी मंडरा रहा है.

काशी में बाढ़ का खतरा
देश की विभिन्न नदियों के साथ-साथ इन दिनों गंगा नदी भी अपने उफान पर है. जिले में भी गंगा का जलस्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. गंगा के बढ़ते जलस्तर से घाट किनारे रोजगार करने वाले लोगों के सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. घाट किनारे तराई में रहने वाले लोगों को जहां नया आशियाना तलाशना पड़ रहा है, तो वहीं घाट पर दुकान खोलकर रोजी रोटी चलाने वाले दुकानदारों को भी अब पेट भरने का नया रोजगार ढूंढना पड़ रहा है क्योंकि इन दिनों कोरोना के साथ-साथ आने वाली बाढ़ की विभीषिका लोगों के जीवन के लिए एक नई चुनौती लेकर आयी है.गंगा घाट पर पूजा-अर्चना कर अपनी आजीविका चलाने वाले घाट पुरोहितों ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढ़ने से हम पंडा, पुरोहितों की रोजी-रोटी पूरी तरीके से खतरे में पड़ गई है. कोरोना के कहर के कारण कई महीनों तक हमारे पूजा-पाठ व कर्मकांड पूरी तरीके से बंद थे. कोई यजमान भी नहीं आता था. जहां अब थोड़ी बहुत शुरुआत हुई तो वहीं बाढ़ के कारण सब बंद होने लगा है क्योंकि अब बढ़ते जलस्तर के कारण कोई भी यजमान पूजन के लिए नहीं आ रहा है. फिर से हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.वहीं घाट किनारे चाय की दुकान लगाने वाले ने बताया कि अब फिर से 4 महीने का इंतजार करना होगा. इस बार हम गरीबों पर कुदरत की दोहरी मार पड़ी है. कोरोना पहले से ही खा गया था, बचा खुचा बढ़ती गंगा माता लेकर के जाएंगी. उसने बताया कि बाढ़ आने के बाद घाटों पर मिट्टी जम जाती है और उसके साफ सुथरा होने और वापस से हमारी रोजी-रोटी शुरू होने में कुल 4 महीने का समय लग जाता है. कुछ दिन पहले ही दुकान खुलना शुरू हुआ था. हम जितना कमा कर कर्ज नहीं भर पाए थे अब फिर उससे ज्यादा कर्ज लेकर के खाना होगा.केंद्रीय जल आयोग की माने तो इस समय वाराणसी का जलस्तर 65.71 मीटर रिकॉर्ड किया गया है. घाटों की सभी सीढ़ियां डूबी हुई है. जलस्तर की बात करें तो प्रति घंटा डेढ़ सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है.वहीं वाराणसी में गंगा के चेतावनी बिंदु की बात करें तो 70.26 मीटर है.जबकि 71.26 मीटर जलस्तर खतरे के निशान का परिचायक है.बाढ़ के खतरे को देखते हुए जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने गंगा में नौका संचालन पर पूरी तरीके से रोक लगा दी है. नाविकों को अपनी नौका मंदिर की दीवार के सहारे बांधनी पड़ रही हैं. इसके साथ ही गंगा आरती का स्थल भी लगातार बदलता जा रहा है.

वाराणसी: जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि अभी यहां गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से थोड़ा नीचे है. परन्तु अभी से ही यह आम जनजीवन को काफी प्रभावित कर रहा है. कोरोना के साथ साथ अब बाढ़ ने आम जनजीवन पर असर डाला है. ऐसे में नाव चालकों के सामने बाढ़ के समय रोजी रोटी का संकट भी मंडरा रहा है.

काशी में बाढ़ का खतरा
देश की विभिन्न नदियों के साथ-साथ इन दिनों गंगा नदी भी अपने उफान पर है. जिले में भी गंगा का जलस्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. गंगा के बढ़ते जलस्तर से घाट किनारे रोजगार करने वाले लोगों के सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. घाट किनारे तराई में रहने वाले लोगों को जहां नया आशियाना तलाशना पड़ रहा है, तो वहीं घाट पर दुकान खोलकर रोजी रोटी चलाने वाले दुकानदारों को भी अब पेट भरने का नया रोजगार ढूंढना पड़ रहा है क्योंकि इन दिनों कोरोना के साथ-साथ आने वाली बाढ़ की विभीषिका लोगों के जीवन के लिए एक नई चुनौती लेकर आयी है.गंगा घाट पर पूजा-अर्चना कर अपनी आजीविका चलाने वाले घाट पुरोहितों ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढ़ने से हम पंडा, पुरोहितों की रोजी-रोटी पूरी तरीके से खतरे में पड़ गई है. कोरोना के कहर के कारण कई महीनों तक हमारे पूजा-पाठ व कर्मकांड पूरी तरीके से बंद थे. कोई यजमान भी नहीं आता था. जहां अब थोड़ी बहुत शुरुआत हुई तो वहीं बाढ़ के कारण सब बंद होने लगा है क्योंकि अब बढ़ते जलस्तर के कारण कोई भी यजमान पूजन के लिए नहीं आ रहा है. फिर से हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.वहीं घाट किनारे चाय की दुकान लगाने वाले ने बताया कि अब फिर से 4 महीने का इंतजार करना होगा. इस बार हम गरीबों पर कुदरत की दोहरी मार पड़ी है. कोरोना पहले से ही खा गया था, बचा खुचा बढ़ती गंगा माता लेकर के जाएंगी. उसने बताया कि बाढ़ आने के बाद घाटों पर मिट्टी जम जाती है और उसके साफ सुथरा होने और वापस से हमारी रोजी-रोटी शुरू होने में कुल 4 महीने का समय लग जाता है. कुछ दिन पहले ही दुकान खुलना शुरू हुआ था. हम जितना कमा कर कर्ज नहीं भर पाए थे अब फिर उससे ज्यादा कर्ज लेकर के खाना होगा.केंद्रीय जल आयोग की माने तो इस समय वाराणसी का जलस्तर 65.71 मीटर रिकॉर्ड किया गया है. घाटों की सभी सीढ़ियां डूबी हुई है. जलस्तर की बात करें तो प्रति घंटा डेढ़ सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है.वहीं वाराणसी में गंगा के चेतावनी बिंदु की बात करें तो 70.26 मीटर है.जबकि 71.26 मीटर जलस्तर खतरे के निशान का परिचायक है.बाढ़ के खतरे को देखते हुए जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने गंगा में नौका संचालन पर पूरी तरीके से रोक लगा दी है. नाविकों को अपनी नौका मंदिर की दीवार के सहारे बांधनी पड़ रही हैं. इसके साथ ही गंगा आरती का स्थल भी लगातार बदलता जा रहा है.
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