वाराणसी: तपती धूप और भीषण गर्मी का तांडव अपनी चरम सीमा पर है. भीषण गर्मी की ज्वाला ने देश की सबसे पवित्र नदी को अपनी आगोश में ले लिया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं गंगा नदी की. जिसका जलस्तर दिनोंदिन गिरता जा रहा है और गंगा नदी तेजी के साथ घाट से दूर होती जा रही है.
घाट पर लोगों को नहाने के लिए पानी की जगह केवल रेत दिखाई देती है. पीने के लिए पानी की मात्रा कम होती जा रही है. काशी के लोगों को आने वाले दिनों में पेयजल की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. हालत यह है कि शहर के जलकल विभाग के अधिकारियों ने आने वाले दिनों में स्थिति और ज्यादा गंभीर होने के अनुमान जाहिर किेये हैं.
आसमान से बरसते अंगारों ने शहर में पानी की सप्लाई करने वाली भदैनी वाटर स्टेशन के चार पंपों में से दो पंपों को बेकार बना दिया है. बचे हुए दो पंप भी काफी मुश्किल से चल रहे हैं. आने वाले दो तीन दिनों में बनारस में पानी नहीं बरसा तो हालात और भी बेकाबू हो सकते हैं. ऐसे में काशी के लोगों की प्यास बुझानी मुश्किल हो सकती है.
गंगा के जलस्तर में लगातार कमी दर्ज की जा रही है. अगर हम बीते छह दिनों की बात करें तो गंगा नदी का जलस्तर 58.29 मीटर से घटकर 57.99 मीटर तक पहुंच चुका है.
गंगा नदी में पानी नहीं है, जिसकी वजह से मशीन पानी नहीं उठा पा रही है. ऐसी स्थिति में पंप खराब होने का डर है.
संकठा प्रसाद, जलकल कर्मचारीफिलहाल हालात से निपटने के लिये जलकल की तरफ से सिंचाई विभाग को कानपुर बैराज और उत्तराखंड से गंगा में पानी छोड़ने के लिये पत्र लिखा जा चुका है. लेकिन अभी तक इस मामले में कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला है.
नीरज गौड़, जीएम, जलकल विभागजल है तभी जीवन है. जरुरत है कि हम सब इस बात की अहमियत अभी से समझ लें और पूरी तन्मयता के साथ जल संरक्षण में जुट जाएं.
वाराणसी से ईटीवी भारत के लिये गोपाल मिश्रा की रिपोर्ट...