वाराणसी: अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल सारनाथ स्थित वट थाई मंदिर 9 नवम्बर यानी कल से खुल जाएगा. इसके लिए मंदिर के प्रबंधकीय विभाग द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. मंदिर के प्रबंधक भंते मांगलिको ने बताया कि प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत लोगों को मंदिर परिसर में प्रवेश दिया जाएगा. इसके लिए मंदिर में प्रवेश स्थल सहित परिसर में गोला का निशान बना दिया गया गया. प्रवेश गेट पर थर्मल स्कैनर मशीन से प्रवेश करने वाले पर्यटकों की चेकिंग की जाएगी. साथ ही सेनिटाइजर भी उपलब्ध रहेगा. बिना मास्क के पर्यटकों का प्रवेश मंदिर परिसर में प्रतिबंधित रहेगा.
कोरोना वायरस के चलते मार्च माह से ही वट थाई मंदिर को बंद कर दिया गया था. पुरातात्विक उत्खनन परिसर, चौखडी स्तूप, संग्रहालय, मूलगंध कुटी बिहार और सारनाथ चिड़िया घर पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. वहीं सात महीनों से बंद चल रहा सारनाथ स्थित वट थाई मंदिर भी 9 नंवबर से पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा. केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के मद्देनजर लोगों को मंदिर में प्रवेश दिया जायेगा.
मंदिर के प्रबंधक भिक्षु मांगलिको ने बताया कि भगवान बुद्ध की विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति अफगानिस्तान के काबुल में 2001 में जेहादी संगठन तालीबानियो द्वारा डायनामाइट से उड़ा दिया गया था. जिसके बाद सारनाथ स्थित वट थाई मंदिर में भगवान बुद्ध की चलायमान मुद्रा में चुनार से लाए गए पत्थरों से बनी प्रतिमा का अनावरण 16 मार्च 2011 में हुआ था.
इस प्रतिमा में कुल 815 पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. चलायान अभय मुद्रा की भारत में सबसे बड़ी मंदिर परिसर में 80 फिट 6 इंच ऊंची भगवान बुद्ध की चलायमान मुद्रा (अभय मुद्रा) में प्रतिमा है. यह पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है. भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा भारत में सबसे ऊंची है.