ETV Bharat / state

मणिकर्णिंका घाट का सूरत-ए-हाल, सड़कों पर सीवर के पानी से लोग बेहाल

यूपी के वाराणसी स्थित मणिकर्णिका घाट की स्थिति इन दिनों एकदम दयनीय हो गई है. चारों और बह रहा सीवर और गंदा पानी ना सिर्फ गलियों में भरा हुआ है, बल्कि घाटों की सीढ़ियों से होता हुआ यह पानी सीधे गंगा में जा रहा है. हालांकि इस हालात के लिए विश्वनाथ कॉरिडोर को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

मणिकर्णिंका घाट पर बहता सीवर का पानी
मणिकर्णिंका घाट पर बहता सीवर का पानी
author img

By

Published : Sep 16, 2021, 4:08 PM IST

वाराणसी: काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है और मोक्ष के लिए काशी के मणिकर्णिका घाट को प्रधान तीर्थ के रूप में जाना जाता है. यह घाट अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि यहां पर माता पार्वती और भगवान शंकर की मौजूदगी में महादेव के कानों के कुंडल की मणि गिरी थी. जिसकी वजह से इस स्थान का नाम मणिकर्णिका घाट पड़ गया. मोक्ष के लिए सबसे महत्वपूर्ण इस घाट की स्थिति इन दिनों बद से बदतर हो गई है. जिसकी बड़ी वजह बाबा विश्वनाथ मंदिर विस्तार के नाम पर तैयार कराए जा रहे विश्वनाथ कॉरिडोर को बताया जा रहा है.

हालात यह है कि यहां आने वाले तीर्थ यात्री, शव यात्री या फिर पर्यटक हर वक्त बहने वाले सीवर के गंदे पानी से होते हुए गुजरने के लिए मजबूर हैं. शहर दक्षिणी विधानसभा की स्थिति इस समय एकदम दयनीय हो गई है.

मणिकर्णिंका घाट पर बहता सीवर का पानी

गंगा भी हो रही प्रदूषित

मणिकर्णिका घाट पर दूर-दूर से लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए आते हैं. पिंडदान या फिर अन्य श्राद्ध कर्म करने के लिए भी यह घाट महत्वपूर्ण है. बड़ी संख्या में दक्षिण भारत समेत देश के अलग-अलग हिस्से से लोग यहां पर पूजा-पाठ व श्राद्ध कर्म कराने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों इस मोक्ष घाट की हालत बद से बदतर है. चारों और बह रहा सीवर और गंदा पानी ना सिर्फ गलियों में भरा हुआ है, बल्कि घाटों की सीढ़ियों से होता हुआ यह सीवर का गंदा पानी सीधे गंगा में जा रहा है. यह हाल तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में बनारस से सांसद बनने के बाद मां गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के दावे किए थे. इसके बाद भी बाबा विश्वनाथ से सटे इस इलाके में सीवर का पानी गंगा में तो जा ही रहा है साथ ही यहां आने वाले लोगों की आस्था से भी खिलवाड़ हो रहा है.

सड़कों पर बहता नाले का पानी.
सड़कों पर बहता नाले का पानी.

इसे भी पढ़ें- बारिश का कहर: बीएचयू अस्पताल में भरा पानी, मरीज परेशान

आस्था पर गहरी चोट

गंगा स्नान करने के बाद मंदिर जाना या फिर शवदाह के लिए आने वाले लोगों को इसी गंदे पानी से होकर अन्य धार्मिक कृत्य पूरे करने पड़ते हैं, जो अपने आप में झकझोर देने वाला है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि स्थानीय पार्षद भी इस पूरे प्रकरण पर कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं. उनका साफ तौर पर कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों से कहते कहते थक चुका हूं, लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं है. स्थानीय लोग भी इस दुर्दशा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

गंगा में जाता सीवर का पानी
गंगा में जाता सीवर का पानी

इसे भी पढ़ें- घाट किनारे रहने वालों की बढ़ी मुश्किलें, फिर से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर

कॉरिडोर में एक सीवर बंद, दूसरे को कर दिया पैक

इस बारे में हमने विश्वनाथ कॉरिडोर के चीफ इंजीनियर से बातचीत की. उनका साफ तौर पर कहना था कि ललिता घाट पर एक सीवर लाइन बंद हो गई है, जबकि दूसरी सिविल लाइन को कनेक्ट करने के लिए वहां काम चल रहा है जल्द से जल्द इस समस्या का निराकरण कर दिया जाएगा.

वाराणसी: काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है और मोक्ष के लिए काशी के मणिकर्णिका घाट को प्रधान तीर्थ के रूप में जाना जाता है. यह घाट अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि यहां पर माता पार्वती और भगवान शंकर की मौजूदगी में महादेव के कानों के कुंडल की मणि गिरी थी. जिसकी वजह से इस स्थान का नाम मणिकर्णिका घाट पड़ गया. मोक्ष के लिए सबसे महत्वपूर्ण इस घाट की स्थिति इन दिनों बद से बदतर हो गई है. जिसकी बड़ी वजह बाबा विश्वनाथ मंदिर विस्तार के नाम पर तैयार कराए जा रहे विश्वनाथ कॉरिडोर को बताया जा रहा है.

हालात यह है कि यहां आने वाले तीर्थ यात्री, शव यात्री या फिर पर्यटक हर वक्त बहने वाले सीवर के गंदे पानी से होते हुए गुजरने के लिए मजबूर हैं. शहर दक्षिणी विधानसभा की स्थिति इस समय एकदम दयनीय हो गई है.

मणिकर्णिंका घाट पर बहता सीवर का पानी

गंगा भी हो रही प्रदूषित

मणिकर्णिका घाट पर दूर-दूर से लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए आते हैं. पिंडदान या फिर अन्य श्राद्ध कर्म करने के लिए भी यह घाट महत्वपूर्ण है. बड़ी संख्या में दक्षिण भारत समेत देश के अलग-अलग हिस्से से लोग यहां पर पूजा-पाठ व श्राद्ध कर्म कराने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों इस मोक्ष घाट की हालत बद से बदतर है. चारों और बह रहा सीवर और गंदा पानी ना सिर्फ गलियों में भरा हुआ है, बल्कि घाटों की सीढ़ियों से होता हुआ यह सीवर का गंदा पानी सीधे गंगा में जा रहा है. यह हाल तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में बनारस से सांसद बनने के बाद मां गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के दावे किए थे. इसके बाद भी बाबा विश्वनाथ से सटे इस इलाके में सीवर का पानी गंगा में तो जा ही रहा है साथ ही यहां आने वाले लोगों की आस्था से भी खिलवाड़ हो रहा है.

सड़कों पर बहता नाले का पानी.
सड़कों पर बहता नाले का पानी.

इसे भी पढ़ें- बारिश का कहर: बीएचयू अस्पताल में भरा पानी, मरीज परेशान

आस्था पर गहरी चोट

गंगा स्नान करने के बाद मंदिर जाना या फिर शवदाह के लिए आने वाले लोगों को इसी गंदे पानी से होकर अन्य धार्मिक कृत्य पूरे करने पड़ते हैं, जो अपने आप में झकझोर देने वाला है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि स्थानीय पार्षद भी इस पूरे प्रकरण पर कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं. उनका साफ तौर पर कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों से कहते कहते थक चुका हूं, लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं है. स्थानीय लोग भी इस दुर्दशा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

गंगा में जाता सीवर का पानी
गंगा में जाता सीवर का पानी

इसे भी पढ़ें- घाट किनारे रहने वालों की बढ़ी मुश्किलें, फिर से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर

कॉरिडोर में एक सीवर बंद, दूसरे को कर दिया पैक

इस बारे में हमने विश्वनाथ कॉरिडोर के चीफ इंजीनियर से बातचीत की. उनका साफ तौर पर कहना था कि ललिता घाट पर एक सीवर लाइन बंद हो गई है, जबकि दूसरी सिविल लाइन को कनेक्ट करने के लिए वहां काम चल रहा है जल्द से जल्द इस समस्या का निराकरण कर दिया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.