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कोरोना के खौफ का गांवों में दिखा असर, ग्रामीण पुरानी मान्यताओं से कर रहे भगवान से प्रार्थना - गोरखपुर खबर

गोरखपुर में कोरोना से जंग जीतने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पुरानी मान्यता और सभ्यता के साथ भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पीढ़ियों से चली आ रही पूजा और कड़ाही चढ़ाने की परंपरा को बड़े पैमाने पर निभा हैं. वहीं लोगों का मानना है कि दवा, इलाज अपनी जगह है, लेकिन दवा के साथ दुआ भी काम आती है.

ग्रामीणों ने पुरानी मान्यताओं से की भगवान से प्रार्थना
ग्रामीणों ने पुरानी मान्यताओं से की भगवान से प्रार्थना
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Published : May 11, 2021, 8:33 PM IST

गोरखपुर: कोरोना से जंग जीतने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पुरानी मान्यता और सभ्यता के साथ जुटे नजर आ रहे हैं. यह लोग अपने इष्ट देवता को प्रसन्न करने के लिए पीढ़ियों से चली आ रही पूजा और कड़ाही चढ़ाने की परंपरा को बड़े पैमाने पर निभाते देखे जा रहे हैं. इसमें ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी बड़े पैमाने पर हो रही है. लोग अपने देवी-देवताओं की अराधना करके उन्हें धार-कपूर चढ़ाने के साथ कड़ाही चढ़ाकर पूजा- अर्चना से प्रसन्न करने में जुटे हैं. लोगों का मानना है कि दवा, इलाज अपनी जगह है, लेकिन लगातार हो रही मौतों को रोकने में दवा के साथ दुआ भी काम आती है. इसलिए जो परम्परा उनके कुल खानदान वर्षों से होती चली आ रही है, उसे निभाने में क्या बुराई है.

ग्रामीणों ने पुरानी मान्यताओं से की भगवान से प्रार्थना

पूर्व की महामारी से निपटने में अपनाए गए पूजा पद्धति को अपना रहे ग्रामीण
पूजा पाठ का यह बड़ा और अद्भुत दृश्य चौरी चौरा के गौनर गांव का है. इस गांव के आस-पास में करीब बीस लोग कोरोना से जान गवां बैठे हैं. जिससे लोगों में इस महामारी को लेकर खौफ है. लोगों का कहना है इस पूजा-पाठ से मौत का सिलसिला रुकेगा. यह लगातार नहीं चलेगा. दवा, इलाज, नियम कानून के साथ पूजा पाठ के माध्यम से लोग महामारी से निजात पाना चाह रहे हैं. ऐसे में जब कोरोना वायरस ने महामारी का रुप ले लिया है. इससे बचाव के उपाय भी इंसान की जान बचाने में असफल साबित हो रहे हैं, तो लोग अपना वर्षों पुराना यह नुस्खा भी अपना रहे हैं. ऐसा नहीं है कि देश में महामारी पहली बार आई है. यह अक्सर किसी न किसी रूप में आती रही है, लेकिन हर बार इस कोरोना ने सभी को तबाह कर दिया है. महामारी को अलग-अलग नामों से लोग जानते रहे हैं. कभी हैजा, कभी तावन कभी प्लेग तो कभी चेचक के नाम और आज कल कोरोना के नाम से लोग जान रहे हैं. हर बार दवा के साथ लोगों ने आस्था पर ज्यादा विश्वास किया है. लोग उस हमय तरह तरह के टोटके किया करते थे. जिससे लोगों के मन में बीमारी का भय कम होता था. पहले जब किसी के घर में हैजा होता था, तो उससे लोग तुरंत दूरी बनाकर रहना चालू कर देते थे. कहीं-कहीं तो लोग अपना मोहल्ला ही छोड़कर अपना घर खेत में बना लेते थे.

इसे भी पढ़ें-गरीब रामबदन की जान ले गया सीएम का प्रोटोकॉल !

गांव के दरवाजों पर टंगी नीम की पत्ती, खुद से लोग अपना रहे सोशल डिस्टेंसिंग का नियम
गांव के स्थानीय देवता डीहबाबा आदि की पूजा करके अपना बचाव के साथ स्वच्छता का भी लोग पालन करते थे. उसी प्रकार से जिस घर में चेचक निकलती थी, उस घर के रास्ते से लोगों का आना जाना बंद हो जाता था. उनके घर किसी प्रकार का आवागमन नहीं होता था. अपने दरवाजे पर नीम के पत्ते के साथ उसकी टहनी अपने दरवाजे पर टागं देते थे. जिससे किसी का आवागमन नहीं होता था. आज फिर उसी रूप में गोरखपुर जनपद के गौनर ग्राम सभा के आस-पास के गांवों में कोरोना महामारी कहर देखने को मिला है. इससे बचने के लिए गांव की महिलाएं कड़ाही चढ़ाकर अपने-अपने दरवाजे पर नीम के पत्ते के साथ टहनी टागंकर लोगों को मैसेज दिया गया है कि कोई किसी के घर नहीं जाएगा. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी देखने को मिल रहा है. पहले बच्चे दिन भर गांव में घुमते थे. वहीं अब डर से कोई बच्चा नहीं घूम रहा है.

गोरखपुर: कोरोना से जंग जीतने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पुरानी मान्यता और सभ्यता के साथ जुटे नजर आ रहे हैं. यह लोग अपने इष्ट देवता को प्रसन्न करने के लिए पीढ़ियों से चली आ रही पूजा और कड़ाही चढ़ाने की परंपरा को बड़े पैमाने पर निभाते देखे जा रहे हैं. इसमें ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी बड़े पैमाने पर हो रही है. लोग अपने देवी-देवताओं की अराधना करके उन्हें धार-कपूर चढ़ाने के साथ कड़ाही चढ़ाकर पूजा- अर्चना से प्रसन्न करने में जुटे हैं. लोगों का मानना है कि दवा, इलाज अपनी जगह है, लेकिन लगातार हो रही मौतों को रोकने में दवा के साथ दुआ भी काम आती है. इसलिए जो परम्परा उनके कुल खानदान वर्षों से होती चली आ रही है, उसे निभाने में क्या बुराई है.

ग्रामीणों ने पुरानी मान्यताओं से की भगवान से प्रार्थना

पूर्व की महामारी से निपटने में अपनाए गए पूजा पद्धति को अपना रहे ग्रामीण
पूजा पाठ का यह बड़ा और अद्भुत दृश्य चौरी चौरा के गौनर गांव का है. इस गांव के आस-पास में करीब बीस लोग कोरोना से जान गवां बैठे हैं. जिससे लोगों में इस महामारी को लेकर खौफ है. लोगों का कहना है इस पूजा-पाठ से मौत का सिलसिला रुकेगा. यह लगातार नहीं चलेगा. दवा, इलाज, नियम कानून के साथ पूजा पाठ के माध्यम से लोग महामारी से निजात पाना चाह रहे हैं. ऐसे में जब कोरोना वायरस ने महामारी का रुप ले लिया है. इससे बचाव के उपाय भी इंसान की जान बचाने में असफल साबित हो रहे हैं, तो लोग अपना वर्षों पुराना यह नुस्खा भी अपना रहे हैं. ऐसा नहीं है कि देश में महामारी पहली बार आई है. यह अक्सर किसी न किसी रूप में आती रही है, लेकिन हर बार इस कोरोना ने सभी को तबाह कर दिया है. महामारी को अलग-अलग नामों से लोग जानते रहे हैं. कभी हैजा, कभी तावन कभी प्लेग तो कभी चेचक के नाम और आज कल कोरोना के नाम से लोग जान रहे हैं. हर बार दवा के साथ लोगों ने आस्था पर ज्यादा विश्वास किया है. लोग उस हमय तरह तरह के टोटके किया करते थे. जिससे लोगों के मन में बीमारी का भय कम होता था. पहले जब किसी के घर में हैजा होता था, तो उससे लोग तुरंत दूरी बनाकर रहना चालू कर देते थे. कहीं-कहीं तो लोग अपना मोहल्ला ही छोड़कर अपना घर खेत में बना लेते थे.

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गांव के दरवाजों पर टंगी नीम की पत्ती, खुद से लोग अपना रहे सोशल डिस्टेंसिंग का नियम
गांव के स्थानीय देवता डीहबाबा आदि की पूजा करके अपना बचाव के साथ स्वच्छता का भी लोग पालन करते थे. उसी प्रकार से जिस घर में चेचक निकलती थी, उस घर के रास्ते से लोगों का आना जाना बंद हो जाता था. उनके घर किसी प्रकार का आवागमन नहीं होता था. अपने दरवाजे पर नीम के पत्ते के साथ उसकी टहनी अपने दरवाजे पर टागं देते थे. जिससे किसी का आवागमन नहीं होता था. आज फिर उसी रूप में गोरखपुर जनपद के गौनर ग्राम सभा के आस-पास के गांवों में कोरोना महामारी कहर देखने को मिला है. इससे बचने के लिए गांव की महिलाएं कड़ाही चढ़ाकर अपने-अपने दरवाजे पर नीम के पत्ते के साथ टहनी टागंकर लोगों को मैसेज दिया गया है कि कोई किसी के घर नहीं जाएगा. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी देखने को मिल रहा है. पहले बच्चे दिन भर गांव में घुमते थे. वहीं अब डर से कोई बच्चा नहीं घूम रहा है.

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