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वाराणसी: जब थम गए ट्रेनों के पहिए तो इन वेंडर्स की जिंदगी पर भी लग गया ब्रेक - reduced number of trains in varanasi

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी सीमित ट्रेनों का संचालन होने से वेंडरों की जिंदगी पर ब्रेक लग गया है. पूरी जिंदगी पटरियों पर दौड़ने वाले वेंडर्स के सामने दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो गया है. सरकार से भी इन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है.

वाराणसी रेलवे स्टेशन.
वाराणसी रेलवे स्टेशन.
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Published : Sep 29, 2020, 11:38 AM IST

Updated : Sep 29, 2020, 2:12 PM IST

वाराणसी: कोविड-19 ने सभी की जिंदगी पर ब्रेक लगा दिया. सरकार ने इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए मार्च में लॉकडाउन किया. इस दौरान ट्रेनों का संचालन भी बंद कर दिया गया. हालांकि अब धीरे-धीरे चीजें पटरी पर आ रही हैं, लेकिन अभी गिनी चुनी ट्रेनें ही संचालित हो रही हैं. जिसका बड़ा खामियाजा उन वेंडर्स को भुगतना पड़ रहा है, जिनकी पूरी जिंदगी पटरियों पर दौड़ने वाली ट्रेनों पर ही निर्भर है.

वाराणसी में वेंडर्स के सामने है समस्या

वेंडर्स की हालत है खराब
हाथों में अखबार का बंडल लिए सूरज बीते लगभग 3 सालों से ट्रेनों में अखबार बेचने का काम कर रहे हैं. आम दिनों में जिंदगी बहुत ही अच्छे से चल रही थी. रोज सुबह 6 बजे से लेकर 10 बजे तक वह लगभग 400 से ज्यादा अखबार कैंट रेलवे स्टेशन पर, ट्रेनों में और प्लेटफार्म पर बेचते थे. वह 4 घंटे में ही ठीक-ठाक पैसे कमा लेते थे. लेकिन कोविड-19 का ऐसा कहर बरपा कि ट्रेनों का संचालन रोकने के बाद सूरज की जिंदगी भी थम गई. हालात यह हैं कि अब 50 से 60 अखबार प्रतिदिन बिक रहे हैं. 24 घंटे में 5 से 6 ट्रेनों का संचालन प्लेटफार्म पर होने की वजह से सूरज को अपना और अपने परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो गया है.

प्लेटफार्म पर आइसक्रीम और फल बेचने वाले वेंडर्स की हालत सबसे ज्यादा खराब दिखाई दे रही है. फल बेचने वाले संजीव और सुनील का कहना है कि सरकार की मदद उन तक नहीं पहुंची है. वेंडर्स ने बताया कि उनसे कहा गया था कि कुली से लेकर रेलवे के वेंडर्स तक को 1000 रुपये 3 महीने तक दिए जाएंगे, लेकिन फॉर्म भरने के बाद भी उन्हें कोई पैसे नहीं मिला. सरकारी मदद तो दूर कोई सामाजिक या अन्य संस्था भी उनकी मदद को आगे नहीं आई. 4 महीने घर पर रखे हुए पैसे या फिर कीमती चीजों को बेचकर परिवार का पेट पालना पड़ा.

खुद की जरूरत पूरा करना है मुश्किल
प्लेटफार्म पर आइसक्रीम बेचने वाले अमित के भी बुरे हालात हैं. अमित का कहना है कि वैसी भी लोगों ने ठंडी चीजों से परहेज कर रखा है. ऊपर से गिनी चुनी ट्रेनें बनारस स्टेशन पर पहुंच रही हैं, जिसकी वजह से न तो उसका खर्च निकल रहा है और न ही परिवार का पेट भर रहा है. इससे भी बुरे हालात रेलवे प्लेटफार्म पर फल बेचने वाले मोहम्मद नौशाद के हैं. मोहम्मद नौशाद के घर में कमाने वाले वह और उनके भाई हैं. पहले स्थिति ठीक थी, ज्यादा ट्रेनें चलने की वजह से भरपूर पैसे कमा लेते थे. लेकिन अब जब गिनती की ट्रेनें चल रही हैं, तो घर का खर्च और खुद की जरूरत ही पूरा करना नौशाद के लिए चुनौती हो गया है.

सरकार की तरफ से भी नहीं मिल रही मदद
वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर वर्तमान समय में संचालित कुल 9 प्लेटफार्म पर 80 से ज्यादा वेंडर्स मौजूद हैं. इनमें 10 ठेला गाड़ी पर फल बेचने वाले, 5 खोमचे को सिर पर रखकर फल बेचने वाले, 7 आइसक्रीम बेचने वाले, 30 से ज्यादा न्यूजपेपर हॉकर मौजूद हैं. जबकि सभी प्लेटफार्म पर मिलाकर 45 से ज्यादा स्टॉल संचालित हो रहे हैं. जिनमें खाने-पीने के सामानों से लेकर बच्चों के खिलौने, जरूरत के सामान, बुक स्टॉल, मिल्क बूथ शामिल हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान इन सभी के हालत बेहद खराब थी और अब भी वैसी ही बनी हुई है. मुसीबत में सरकारी मदद न मिलने और रेलवे की तरफ से भी मदद के नाम पर दूरी बना लेने की वजह से सैकड़ों वेंडर्स के आगे रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है.

वाराणसी: कोविड-19 ने सभी की जिंदगी पर ब्रेक लगा दिया. सरकार ने इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए मार्च में लॉकडाउन किया. इस दौरान ट्रेनों का संचालन भी बंद कर दिया गया. हालांकि अब धीरे-धीरे चीजें पटरी पर आ रही हैं, लेकिन अभी गिनी चुनी ट्रेनें ही संचालित हो रही हैं. जिसका बड़ा खामियाजा उन वेंडर्स को भुगतना पड़ रहा है, जिनकी पूरी जिंदगी पटरियों पर दौड़ने वाली ट्रेनों पर ही निर्भर है.

वाराणसी में वेंडर्स के सामने है समस्या

वेंडर्स की हालत है खराब
हाथों में अखबार का बंडल लिए सूरज बीते लगभग 3 सालों से ट्रेनों में अखबार बेचने का काम कर रहे हैं. आम दिनों में जिंदगी बहुत ही अच्छे से चल रही थी. रोज सुबह 6 बजे से लेकर 10 बजे तक वह लगभग 400 से ज्यादा अखबार कैंट रेलवे स्टेशन पर, ट्रेनों में और प्लेटफार्म पर बेचते थे. वह 4 घंटे में ही ठीक-ठाक पैसे कमा लेते थे. लेकिन कोविड-19 का ऐसा कहर बरपा कि ट्रेनों का संचालन रोकने के बाद सूरज की जिंदगी भी थम गई. हालात यह हैं कि अब 50 से 60 अखबार प्रतिदिन बिक रहे हैं. 24 घंटे में 5 से 6 ट्रेनों का संचालन प्लेटफार्म पर होने की वजह से सूरज को अपना और अपने परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो गया है.

प्लेटफार्म पर आइसक्रीम और फल बेचने वाले वेंडर्स की हालत सबसे ज्यादा खराब दिखाई दे रही है. फल बेचने वाले संजीव और सुनील का कहना है कि सरकार की मदद उन तक नहीं पहुंची है. वेंडर्स ने बताया कि उनसे कहा गया था कि कुली से लेकर रेलवे के वेंडर्स तक को 1000 रुपये 3 महीने तक दिए जाएंगे, लेकिन फॉर्म भरने के बाद भी उन्हें कोई पैसे नहीं मिला. सरकारी मदद तो दूर कोई सामाजिक या अन्य संस्था भी उनकी मदद को आगे नहीं आई. 4 महीने घर पर रखे हुए पैसे या फिर कीमती चीजों को बेचकर परिवार का पेट पालना पड़ा.

खुद की जरूरत पूरा करना है मुश्किल
प्लेटफार्म पर आइसक्रीम बेचने वाले अमित के भी बुरे हालात हैं. अमित का कहना है कि वैसी भी लोगों ने ठंडी चीजों से परहेज कर रखा है. ऊपर से गिनी चुनी ट्रेनें बनारस स्टेशन पर पहुंच रही हैं, जिसकी वजह से न तो उसका खर्च निकल रहा है और न ही परिवार का पेट भर रहा है. इससे भी बुरे हालात रेलवे प्लेटफार्म पर फल बेचने वाले मोहम्मद नौशाद के हैं. मोहम्मद नौशाद के घर में कमाने वाले वह और उनके भाई हैं. पहले स्थिति ठीक थी, ज्यादा ट्रेनें चलने की वजह से भरपूर पैसे कमा लेते थे. लेकिन अब जब गिनती की ट्रेनें चल रही हैं, तो घर का खर्च और खुद की जरूरत ही पूरा करना नौशाद के लिए चुनौती हो गया है.

सरकार की तरफ से भी नहीं मिल रही मदद
वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर वर्तमान समय में संचालित कुल 9 प्लेटफार्म पर 80 से ज्यादा वेंडर्स मौजूद हैं. इनमें 10 ठेला गाड़ी पर फल बेचने वाले, 5 खोमचे को सिर पर रखकर फल बेचने वाले, 7 आइसक्रीम बेचने वाले, 30 से ज्यादा न्यूजपेपर हॉकर मौजूद हैं. जबकि सभी प्लेटफार्म पर मिलाकर 45 से ज्यादा स्टॉल संचालित हो रहे हैं. जिनमें खाने-पीने के सामानों से लेकर बच्चों के खिलौने, जरूरत के सामान, बुक स्टॉल, मिल्क बूथ शामिल हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान इन सभी के हालत बेहद खराब थी और अब भी वैसी ही बनी हुई है. मुसीबत में सरकारी मदद न मिलने और रेलवे की तरफ से भी मदद के नाम पर दूरी बना लेने की वजह से सैकड़ों वेंडर्स के आगे रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है.

Last Updated : Sep 29, 2020, 2:12 PM IST
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