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काशी में लगने लगा सियासतदारों का जमावड़ा, महामारी के बाद गुलजार हुआ पर्यटन

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Published : Feb 20, 2022, 5:34 PM IST

धर्म नगरी काशी धार्मिकता के साथ-साथ अब सियासी चादर को भी ओढ़े हुए है. क्यों कि पूर्वांचल का ये जिला सियासत का केंद्र माना जाता है. ऐसे में एक बार फिर से तीसरे चरण के चुनाव के बाद काशी में सियासी कॉरिडोर सजने लगा है.

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गुलजार हुआ पर्यटन

वाराणसीः काशी में सियासत का कॉरिडोर सजने लगा है. आखिरी चरण यानी 7 मार्च को यहां भी मतदान है. जिसको लेकर सियासी पंडितों का यहां जमावड़ा होने वाला है. जिससे काशी में एक बार फिर टूरिज्म का बाजार सजने लगा है. इसका साफ असर हवाई जहाज के टिकटों से लेकर होटल और ट्रेवल सेक्टर में खासा उत्साह देखा जा रहा है. जिनके फेयर से लेकर बुकिंग तक में ज्यादा उछाल हो रहा है. इस सियासी टूरिज्म से कोरोना काल से शांत पड़े बनारस के बाजार गुलजार हो गये हैं. ऐसे में इस सेक्टर से संबंधित कामगारों के चेहरे पर सियासी मुस्कान देखी जा रही है.

खास बात ये है कि इस सियासी टूरिज्म को पर्यटन कारोबारी एक नया नाम दे रहे हैं, वो है पॉलिटिकल टूरिज्म. दरअसल तीसरे चरण के चुनाव के बाद वाराणसी में सियासतदारों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है. इसका अंदाजा बनारस के होटल, वाहन, व्यापार और हवाई जहाज की टिकटों में बिक्री से लगाया जा सकता है. जहां सबसे ज्यादा बुकिंग सियासी पार्टियों की हो रही है. होटल के रूम 22 तारीख के बाद से पूरे बुक कर दिए गए हैं. गाड़ियों की बुकिंग भी हो चुकी है. इसके साथ ही फ्लाइट के टिकटों के दामों में भी दोगुना इजाफा कर दिया गया है. इससे जुड़े लोग इस कारोबार का नाम पॉलिटिकल टूरिज्म दे रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि ऐसी डिमांड 2014 में देखने को मिली थी और अब 2022 में देखने को मिलने जा रही है. कोरोना काल से शांत पड़े व्यापार को सियासतदारों का सहारा मिल गया है.

गुलजार हुआ पर्यटन
आपको बता दें कि बनारस पूर्वांचल का केंद्र कहा जाता है, जहां से पूर्वांचल के व्यापार और सियासत दोनों संचालित किये जाते हैं. इस बाबत वरिष्ठ पत्रकार रत्नेश राय ने बताया कि वाराणसी से सियासी संदेश पूरे पूर्वांचल में जाता है, जिसका उदाहरण 2014 से देखने को मिल रहा है. जब बीजेपी ने पहली बार इस शहर को सियासत का केंद्र बनाकर यहीं से पूर्वांचल को जीता था. तब से सभी विपक्षी दलों ने भी बनारस से ही पूर्वांचल का सियासी प्रचार या फिर यूं कहें कि चुनावी प्रचार शुरू कर दिया. तीसरे चरण के चुनाव के बाद यही नजारा फिर देखने को मिलेगा. जहां कांग्रेस, एसपी, बीजेपी और बीएसपी सभी नेता और कार्यकर्ता इस तरफ अपना रूख करना शुरू कर देंगे.

इसे भी पढ़ें- राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर साधा निशाना, कहाः राजीव गांधी के समय में होता था भ्रष्टाचार

एक समय था, जब अमेठी और रायबरेली राजनीति का केंद्र हुआ करता था. लेकिन 2014 के बाद तस्वीरें बदली हैं. जिसके कारण वाराणसी में नए बाजार का रास्ता खुला और बाजार का नाम पॉलिटिकल टूरिज्म रखा गया. एक बार फिर से इसमें उछाल है. इसका फायदा सियासी पार्टी को कितना मिला, ये 10 मार्च का रिजल्ट बताएगा. लेकिन निश्चित तौर पर इस उछाल से पर्यटन का व्यापार गुलजार है.

वाराणसीः काशी में सियासत का कॉरिडोर सजने लगा है. आखिरी चरण यानी 7 मार्च को यहां भी मतदान है. जिसको लेकर सियासी पंडितों का यहां जमावड़ा होने वाला है. जिससे काशी में एक बार फिर टूरिज्म का बाजार सजने लगा है. इसका साफ असर हवाई जहाज के टिकटों से लेकर होटल और ट्रेवल सेक्टर में खासा उत्साह देखा जा रहा है. जिनके फेयर से लेकर बुकिंग तक में ज्यादा उछाल हो रहा है. इस सियासी टूरिज्म से कोरोना काल से शांत पड़े बनारस के बाजार गुलजार हो गये हैं. ऐसे में इस सेक्टर से संबंधित कामगारों के चेहरे पर सियासी मुस्कान देखी जा रही है.

खास बात ये है कि इस सियासी टूरिज्म को पर्यटन कारोबारी एक नया नाम दे रहे हैं, वो है पॉलिटिकल टूरिज्म. दरअसल तीसरे चरण के चुनाव के बाद वाराणसी में सियासतदारों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है. इसका अंदाजा बनारस के होटल, वाहन, व्यापार और हवाई जहाज की टिकटों में बिक्री से लगाया जा सकता है. जहां सबसे ज्यादा बुकिंग सियासी पार्टियों की हो रही है. होटल के रूम 22 तारीख के बाद से पूरे बुक कर दिए गए हैं. गाड़ियों की बुकिंग भी हो चुकी है. इसके साथ ही फ्लाइट के टिकटों के दामों में भी दोगुना इजाफा कर दिया गया है. इससे जुड़े लोग इस कारोबार का नाम पॉलिटिकल टूरिज्म दे रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि ऐसी डिमांड 2014 में देखने को मिली थी और अब 2022 में देखने को मिलने जा रही है. कोरोना काल से शांत पड़े व्यापार को सियासतदारों का सहारा मिल गया है.

गुलजार हुआ पर्यटन
आपको बता दें कि बनारस पूर्वांचल का केंद्र कहा जाता है, जहां से पूर्वांचल के व्यापार और सियासत दोनों संचालित किये जाते हैं. इस बाबत वरिष्ठ पत्रकार रत्नेश राय ने बताया कि वाराणसी से सियासी संदेश पूरे पूर्वांचल में जाता है, जिसका उदाहरण 2014 से देखने को मिल रहा है. जब बीजेपी ने पहली बार इस शहर को सियासत का केंद्र बनाकर यहीं से पूर्वांचल को जीता था. तब से सभी विपक्षी दलों ने भी बनारस से ही पूर्वांचल का सियासी प्रचार या फिर यूं कहें कि चुनावी प्रचार शुरू कर दिया. तीसरे चरण के चुनाव के बाद यही नजारा फिर देखने को मिलेगा. जहां कांग्रेस, एसपी, बीजेपी और बीएसपी सभी नेता और कार्यकर्ता इस तरफ अपना रूख करना शुरू कर देंगे.

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एक समय था, जब अमेठी और रायबरेली राजनीति का केंद्र हुआ करता था. लेकिन 2014 के बाद तस्वीरें बदली हैं. जिसके कारण वाराणसी में नए बाजार का रास्ता खुला और बाजार का नाम पॉलिटिकल टूरिज्म रखा गया. एक बार फिर से इसमें उछाल है. इसका फायदा सियासी पार्टी को कितना मिला, ये 10 मार्च का रिजल्ट बताएगा. लेकिन निश्चित तौर पर इस उछाल से पर्यटन का व्यापार गुलजार है.

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