वाराणसी: धर्म, अध्यात्म और पर्यटन की नगरी काशी वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से वीरान पड़ी है. हमेशा 'का गुरु कैसे हौ' के शब्दों से गुलजार रहने वाले गंगा घाट और गलियां सुनसान हैं. मंदिरों के घंट, घड़ियाल और शंख की आवाज भी बंद पड़ी है. इन सब की वजह से सबसे बड़ा नुकसान पर्यटन उद्योग को हुआ है. इसके लिए पर्यटन विभाग अब ईश्वर के भरोसे रहने वाला है. ईश्वर के भरोसे यानी रिलीजियस टूरिज्म के बल पर देसी सैलानियों को यूपी में लाकर पर्यटन को बढ़ावा देने की प्लानिंग तैयार हो गई है.
करीब 500 करोड़ रुपये सालाना के पर्यटन कारोबार महज 2 महीने में जमीन पर आ जाने के कारण सब कुछ बर्बाद होता दिख रहा है. इन सभी दिक्कतों को पीछे छोड़ते हुए पर्यटन को नई ऊंचाइयां देने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है. दरअसल वाराणसी समेत पूर्वांचल और यूपी के कई जिले पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. इनमें सबसे बड़ा सेंटर रिलीजियस टूरिज्म का है. हालांकि विदेशी सैलानियों के न आने के कारण पर्यटन को बड़ा नुकसान पहुंचा है.
पीएम मोदी के आत्मनिर्भर अभियान को दृष्टिगत रखते हुए पर्यटन विभाग ने अब देसी सैलानियों के बल पर पर्यटन को फिर से खड़ा करने की तैयारी की है. पर्यटन विभाग के अधिकारियों की मानें तो करोड़ों रुपये के नुकसान के बाद अब उच्चाधिकारियों के निर्देश पर रिलिजियस टूरिज्म के बल पर पर्यटन को बढ़ावा देना होगा.
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पर्यटन विभाग का मानना है कि वाराणसी में बहुत सारे पर्यटन स्थलों से विभाग को डूबने से बचाया जा सकता है. इनमें गंगा घाट, यहां की आरती, बाबा विश्वनाथ, काल भैरव और बहुत से ऐसे मंदिर है, जहां दर्शन-पूजन के लिए सैलानियों का आना होता है. इसके साथ ही अब पर्यटन विभाग यूपी के चित्रकूट, इलाहाबाद, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली और अन्य जिलों में पड़ने वाले पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण रिलीजियस स्थानों की मैपिंग भी शुरू कर चुका है. पर्यटन विभाग का कहना है कि रिलीजियस टूरिज्म के बल पर एक बार फिर से पर्यटन उद्योग को ऊंचाई पर पहुंचाने की कोशिश की जाएगी.