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वाराणसी: पर्यटन पर लॉकडाउन की मार, सैलानी हुए बेहद कम - people facing problem

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पर्यटन विभाग को लॉकडाउन में खासा नुकसान हो रहा है. विभाग के अनुसार पर्यटकों की संख्या लाख से हजारों में सिमट कर रह गई है.

tourist department facing problem
पर्यटक विभाग को लॉकडाउन में हो रहा घाटा
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Published : May 21, 2020, 4:39 PM IST

Updated : May 22, 2020, 5:03 PM IST

वाराणसी: विश्व भर में कोविड-19 कहर बरपा रहा है. लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हैं और मौत का आंकड़ा भी धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है. हर देश में महामारी से बचने के लिए सरकारों ने लोगों को घरों में कैद कर रखा है. इस लॉकडाउन का सबसे बुरा असर हर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है.

पर्यटन विभाग को लॉकडाउन में हो रहा घाटा

पर्यटक स्थलों पर पसरा सन्नाटा
अतिथि देवो भव: की भावना के साथ हर किसी का बाहें फैलाकर स्वागत करने वाला भारत अब लोगों से दूरी बना रहा है. सबसे बुरा असर भारत के पर्यटन उद्योग पर पड़ा है. इससे भी ज्यादा प्रभावित वह शहर हैं जहां पूरी तरह से सिर्फ पर्यटन से लोगों की गुजर बसर होती है. इनमें से एक शहर धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी भी है.

कारोबारियों को भारी नुकसान
काशी में 90% राजस्व पर्यटन उद्योग से आता है. हर वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार वाराणसी में पर्यटन के बल पर होता है. होटल, टूर एंड ट्रैवल, घाटों पर रहने वाले नाविक, कपड़ा, साड़ी और बाजार सब कुछ पर्यटन पर ही चलता है, लेकिन लगभग 2 महीने से ज्यादा वक्त होने को है और पूरे देश के साथ बनारस में भी लॉकडाउन है. इसका सीधा असर यहां के पर्यटन उद्योग पर पड़ा है और अब तक करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है.

सैलानियों का आवागमन हुआ कम
सबसे बड़ा घाटा होटल और ट्रैवल इंडस्ट्री को हुआ है. मार्च 2021 तक की सभी बुकिंग कैंसिल हो गयी है और आगे की कोई बुकिंग नहीं हो रही है. वर्तमान में लगभग 35 करोड़ रुपये का नुकसान टूर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री को हुआ है. वहीं लगभग 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होटल इंडस्ट्री को हुआ है. इतना ही नहीं बनारसी साड़ी, बनारसी पान, मोटर, बोट और नावें सब कुछ नुकसान की जद में हैं. कुल मिलाकर बनारस में नुकसान का आंकड़ा अब तक 100 करोड़ के आसपास पहुंच चुका है और लगातार सैलानियों के बनारस से दूरी बनाए रखने की वजह से यह बढ़ता ही जा रहा है. इसकी वजह से बनारस में पर्यटन उद्योग से जुड़े हजारों परिवार संकट से जूझ रहे हैं.

हर इंडस्ट्री में हो रहे घाटे के बीच पर्यटन उद्योग को हो रहे नुकसान की भरपाई कैसे होगी यह किसी को समझ नहीं आ रही है. खुद पर्यटन विभाग बीते 5 सालों की तुलना में इस साल को सबसे खतरनाक मान रहा है, क्योंकि पर्यटन उद्योग अर्श से फर्श पर आ गया है. महज मार्च-अप्रैल के 2 महीने में लाखों में रहने वाले सैलानियों के आंकड़े कुछ हजारों में सिमट गए हैं.

बीते 5 सालों में मार्च से अगस्त तक में आए पर्यटकों का आंकड़ा

सालदेसी पर्यटक विदेशी पर्यटक
201554,13,9273,02,370
201656,00,1463,12,519
201759,45,3553,34,860
201859,45,3553,49,270
201964,45,7753,50,000

2020 में हजारों की संख्या में सिमट कर रह गए पर्यटक

सालमाहआंकड़ा
2020मार्च37,972
2020अप्रैल 35,657

वाराणसी: विश्व भर में कोविड-19 कहर बरपा रहा है. लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हैं और मौत का आंकड़ा भी धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है. हर देश में महामारी से बचने के लिए सरकारों ने लोगों को घरों में कैद कर रखा है. इस लॉकडाउन का सबसे बुरा असर हर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है.

पर्यटन विभाग को लॉकडाउन में हो रहा घाटा

पर्यटक स्थलों पर पसरा सन्नाटा
अतिथि देवो भव: की भावना के साथ हर किसी का बाहें फैलाकर स्वागत करने वाला भारत अब लोगों से दूरी बना रहा है. सबसे बुरा असर भारत के पर्यटन उद्योग पर पड़ा है. इससे भी ज्यादा प्रभावित वह शहर हैं जहां पूरी तरह से सिर्फ पर्यटन से लोगों की गुजर बसर होती है. इनमें से एक शहर धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी भी है.

कारोबारियों को भारी नुकसान
काशी में 90% राजस्व पर्यटन उद्योग से आता है. हर वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार वाराणसी में पर्यटन के बल पर होता है. होटल, टूर एंड ट्रैवल, घाटों पर रहने वाले नाविक, कपड़ा, साड़ी और बाजार सब कुछ पर्यटन पर ही चलता है, लेकिन लगभग 2 महीने से ज्यादा वक्त होने को है और पूरे देश के साथ बनारस में भी लॉकडाउन है. इसका सीधा असर यहां के पर्यटन उद्योग पर पड़ा है और अब तक करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है.

सैलानियों का आवागमन हुआ कम
सबसे बड़ा घाटा होटल और ट्रैवल इंडस्ट्री को हुआ है. मार्च 2021 तक की सभी बुकिंग कैंसिल हो गयी है और आगे की कोई बुकिंग नहीं हो रही है. वर्तमान में लगभग 35 करोड़ रुपये का नुकसान टूर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री को हुआ है. वहीं लगभग 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होटल इंडस्ट्री को हुआ है. इतना ही नहीं बनारसी साड़ी, बनारसी पान, मोटर, बोट और नावें सब कुछ नुकसान की जद में हैं. कुल मिलाकर बनारस में नुकसान का आंकड़ा अब तक 100 करोड़ के आसपास पहुंच चुका है और लगातार सैलानियों के बनारस से दूरी बनाए रखने की वजह से यह बढ़ता ही जा रहा है. इसकी वजह से बनारस में पर्यटन उद्योग से जुड़े हजारों परिवार संकट से जूझ रहे हैं.

हर इंडस्ट्री में हो रहे घाटे के बीच पर्यटन उद्योग को हो रहे नुकसान की भरपाई कैसे होगी यह किसी को समझ नहीं आ रही है. खुद पर्यटन विभाग बीते 5 सालों की तुलना में इस साल को सबसे खतरनाक मान रहा है, क्योंकि पर्यटन उद्योग अर्श से फर्श पर आ गया है. महज मार्च-अप्रैल के 2 महीने में लाखों में रहने वाले सैलानियों के आंकड़े कुछ हजारों में सिमट गए हैं.

बीते 5 सालों में मार्च से अगस्त तक में आए पर्यटकों का आंकड़ा

सालदेसी पर्यटक विदेशी पर्यटक
201554,13,9273,02,370
201656,00,1463,12,519
201759,45,3553,34,860
201859,45,3553,49,270
201964,45,7753,50,000

2020 में हजारों की संख्या में सिमट कर रह गए पर्यटक

सालमाहआंकड़ा
2020मार्च37,972
2020अप्रैल 35,657
Last Updated : May 22, 2020, 5:03 PM IST
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