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उफ्फ... गर्मी ने किया बेहाल, राहतदेय आम का पन्ना और प्याऊ भी नदारद

कोरोना कहर के साथ ही अब गर्मी का प्रकोप भी बढ़ने लगा है. प्रदेश का वाराणसी जिला भी इससे अछूता नहींं है. लगातार बढ़ रही गर्मी और तेज धूप की वजह से जहां हर कोई बेहाल है तो वहीं गर्मी में राहत देने वाला आम का पन्ना और शरबत भी मार्केट से गायब है.

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गर्मी ने किया लोगों को बेहाल.
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Published : May 25, 2020, 7:31 PM IST

Updated : May 25, 2020, 7:44 PM IST

वाराणसी: एक तरफ वैश्विक महामारी कोरोना का कहर तो दूसरी तरफ गर्मी का प्रकोप. कुछ ऐसा ही आलम इन दिनों देश के अधिकांश शहरों में देखने को मिल रहा है. इस तपिश में धर्मनगरी वाराणसी भी इससे अछूती नहीं हैं, क्योंकि यहां बीते चार दिनों से गर्मी ने कहर ढा रखा है. 41 डिग्री से लेकर 45 डिग्री के बीच तापमान बना हुआ है. लगातार बढ़ रही गर्मी और तेज धूप की वजह से हर कोई बेहाल है. इस बार गर्मी का दंश इसलिए भी ज्यादा समझ में आ रहा है, क्योंकि हर गर्मी में राहत देने वाला आम का पन्ना, शरबत नदारद है. इन्हीं चीजों से बाहर निकलने वाले लोगों को राहत महसूस होती थी. वहीं इस बार इनके न मिलने की वजह से लोग गर्मी से बेहाल होते दिख रहे हैं.

गर्मी ने किया बेहाल.
दरअसल वाराणसी हर साल गर्मी से कुछ ज्यादा ही बेहाल रहती है. तेजी से कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा शहर इस गर्मी को हर साल बढ़ाता ही जा रहा है. इस साल गर्मी देरी से आई, लेकिन चार दिनों में ही गर्मी के इस प्रचंड रूप ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. एक तरफ जहां बाहर काम से निकलने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं महामारी कोरोना से लोगों को बचाने के लिए जुटे कोरोना वारियर्स भी बेहाल हैं. चौराहे पर ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मियों का हाल सबसे ज्यादा खराब है. तेज धूप में लगातार ड्यूटी देने की वजह से बॉडी टेंपरेचर लगातार बढ़ रहा है.

ये भी पढ़ें- राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने वेबिनार को किया संबोधित, कहा- श्रमिकों के हुनर से करेंगे प्रदेश का विकास

इन सबके बीच दुकानदार भी परेशान हैं, क्योंकि नियम के मुताबिक सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक की दुकानों को खोलने की अनुमति है. प्रचंड गर्मी की वजह से लोग 11 बजे से लेकर चार बजे तक घरों से ही नहीं निकलना चाह रहे हैं. मजबूरी में जो लोग अपनी ड्यूटी पर निकल रहे हैं, उनके सामने भी परेशानियां कम नहीं हैं. गर्मी और लू के थपेड़ों से बचने के लिए हर बार ठेले-खोमचे पर बिकने वाले राहत के सामान भी गायब हैं. लोग इधर-उधर पानी भी नहीं पीना चाह रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि हर बार जहां वाराणसी में लगभग 200 से ज्यादा अस्थाई प्याऊ का प्रबंध किया जाता था, जिसमें सामाजिक संस्थाएं भी इसकी व्यवस्था करती थी. वह भी इस बार पूरी तरह से नदारद हैं, जिसकी वजह से बाहर निकलने वाले लोगों को इस बेतहाशा गर्मी में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

वाराणसी: एक तरफ वैश्विक महामारी कोरोना का कहर तो दूसरी तरफ गर्मी का प्रकोप. कुछ ऐसा ही आलम इन दिनों देश के अधिकांश शहरों में देखने को मिल रहा है. इस तपिश में धर्मनगरी वाराणसी भी इससे अछूती नहीं हैं, क्योंकि यहां बीते चार दिनों से गर्मी ने कहर ढा रखा है. 41 डिग्री से लेकर 45 डिग्री के बीच तापमान बना हुआ है. लगातार बढ़ रही गर्मी और तेज धूप की वजह से हर कोई बेहाल है. इस बार गर्मी का दंश इसलिए भी ज्यादा समझ में आ रहा है, क्योंकि हर गर्मी में राहत देने वाला आम का पन्ना, शरबत नदारद है. इन्हीं चीजों से बाहर निकलने वाले लोगों को राहत महसूस होती थी. वहीं इस बार इनके न मिलने की वजह से लोग गर्मी से बेहाल होते दिख रहे हैं.

गर्मी ने किया बेहाल.
दरअसल वाराणसी हर साल गर्मी से कुछ ज्यादा ही बेहाल रहती है. तेजी से कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा शहर इस गर्मी को हर साल बढ़ाता ही जा रहा है. इस साल गर्मी देरी से आई, लेकिन चार दिनों में ही गर्मी के इस प्रचंड रूप ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. एक तरफ जहां बाहर काम से निकलने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं महामारी कोरोना से लोगों को बचाने के लिए जुटे कोरोना वारियर्स भी बेहाल हैं. चौराहे पर ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मियों का हाल सबसे ज्यादा खराब है. तेज धूप में लगातार ड्यूटी देने की वजह से बॉडी टेंपरेचर लगातार बढ़ रहा है.

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इन सबके बीच दुकानदार भी परेशान हैं, क्योंकि नियम के मुताबिक सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक की दुकानों को खोलने की अनुमति है. प्रचंड गर्मी की वजह से लोग 11 बजे से लेकर चार बजे तक घरों से ही नहीं निकलना चाह रहे हैं. मजबूरी में जो लोग अपनी ड्यूटी पर निकल रहे हैं, उनके सामने भी परेशानियां कम नहीं हैं. गर्मी और लू के थपेड़ों से बचने के लिए हर बार ठेले-खोमचे पर बिकने वाले राहत के सामान भी गायब हैं. लोग इधर-उधर पानी भी नहीं पीना चाह रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि हर बार जहां वाराणसी में लगभग 200 से ज्यादा अस्थाई प्याऊ का प्रबंध किया जाता था, जिसमें सामाजिक संस्थाएं भी इसकी व्यवस्था करती थी. वह भी इस बार पूरी तरह से नदारद हैं, जिसकी वजह से बाहर निकलने वाले लोगों को इस बेतहाशा गर्मी में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

Last Updated : May 25, 2020, 7:44 PM IST
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