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सेना भर्ती में डिग्री की अमान्यता से विद्यार्थी परेशान, विवि प्रशासन से लगा रहे मदद की गुहार

संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से शास्त्री की डिग्री को सैन्य मंत्रालय ने अमान्य घोषित कर दिया है. इसके बाद अब विद्यार्थी सेना में जेसीओ के पद के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे. सेना के इस फैसले के बाद विद्यार्थी इन दिनों काफी आक्रोशित हैं.

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Published : Jan 8, 2022, 7:45 PM IST

वाराणसी : कर्मकांड की शिक्षा लेने के बाद विद्यार्थी पूजन-अर्चन के साथ सेना में भी अपनी सेवा देते हैं. लेकिन संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से यह मौका छीना जा रहा है, जिसको लेकर विद्यार्थी इन दिनों काफी आक्रोशित हैं. जी हां, सैन्य मंत्रालय द्वारा संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की शास्त्री की डिग्री को अमान्य घोषित कर दिया है, जिसके बाद विद्यार्थी सेना में जेसीओ के पद के लिए अब आवेदन नहीं कर पाएंगे. इस कारण विद्यार्थी लगातार विरोध कर न्याय की गुहार लगा रहे हैं.


धर्म शिक्षक के रूप में विद्यार्थी सेना में देते हैं सेवा

बता दें, भारतीय सेना में संस्कृत के विद्यार्थी धर्म शिक्षक के लिए आवेदन करते हैं और धर्म शिक्षक के रूप में भारतीय सेना में अपनी सेवा देते हैं. इसके लिए विद्यार्थी को कर्मकांड में स्नातक होना आवश्यक है, इसके साथ ही शास्त्री होने की दशा में उन्हें एक वर्ष का अतिरिक्त कर्मकांड में डिप्लोमा होना आवश्यक है. बात यदि संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री डिग्री की बात करें तो विश्वविद्यालय इसे स्नातक के समक्ष विद्यार्थियों को देता है, लेकिन इस वर्ष भारतीय सेना ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री की डिग्री को स्नातक के समक्ष मानने से अमान्य कर दिया है. इसलिए चयन की प्रक्रिया से शास्त्री डिग्री धारकों को बाहर रखा गया है. इसको लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी लगातार धरना प्रदर्शन कर अपनी बातों को विश्वविद्यालय प्रशासन व रक्षा मंत्रालय के समक्ष रख रहे हैं.

सेना भर्ती में डिग्री की अमान्यता से विद्यार्थी परेशान

विद्यार्थियों ने विवि प्रशासन से लगाई गुहार
डिग्री को अमान्य घोषित करने के बाबत विद्यार्थियों का कहना है कि भारतीय सेना ने धर्म शिक्षकों के लिए आवेदन मांगा था और इसमें शास्त्री डिग्री धारकों ने भी आवेदन किया था. इसके बाद उनका मेडिकल सत्यापन, भौतिक सत्यापन किया गया. लिखित परीक्षा के लिए कॉल लेटर भी आया, परंतु उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है. उन्होंने बताया कि भारतीय सेना मुख्यालय ने संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री की डिग्री स्नातक के समक्ष मानने से इनकार कर दिया है, जिससे हम सभी विद्यार्थी काफी व्यथित हैं. उन्होंने बताया कि हमने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा है, इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय को भी पीएम के जरिए लेटर भेजा है, जिससे वह हमारे समस्याओं का समाधान करें. क्योंकि हमारे डिग्री को यूजीसी ने मान्यता दी है, लेकिन फिर भी सैन्य मुख्यालय हम संस्कृत के विद्यार्थियों की उपेक्षा कर रहा है.


इसे भी पढे़ं- up assembly election 2022: उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में चुनाव होंगे, 10 मार्च को आएंगे नतीजे


रक्षा मंत्रालय को भेजा गया है पत्रक, जल्द होगा समाधान !

इस बाबत विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉक्टर शशीन्द्र मिश्र ने बताया कि यूजीसी ने शास्त्री की डिग्री को स्नातक के समक्ष माना है और उसके पहले भी शास्त्रीय अचार्य डिग्रीधारी सैकड़ों विद्यार्थी सेना में चयनित हो चुके हैं. विश्वविद्यालय के द्वारा राज्यपाल रक्षा मंत्री को पत्र लिख दिया गया है और उनसे अनुरोध किया गया है कि वह इस समस्या का समाधान करें. साथ ही रक्षा मंत्रालय से समय मांगा जा रहा है, समय मिलने पर कुलपति के द्वारा अधिकारियों से मुलाकात कर इस समस्या का स्थायी निदान किया जाएगा, जिससे भविष्य में ये समस्याएं पुनः न शुरू हो.


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वाराणसी : कर्मकांड की शिक्षा लेने के बाद विद्यार्थी पूजन-अर्चन के साथ सेना में भी अपनी सेवा देते हैं. लेकिन संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से यह मौका छीना जा रहा है, जिसको लेकर विद्यार्थी इन दिनों काफी आक्रोशित हैं. जी हां, सैन्य मंत्रालय द्वारा संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की शास्त्री की डिग्री को अमान्य घोषित कर दिया है, जिसके बाद विद्यार्थी सेना में जेसीओ के पद के लिए अब आवेदन नहीं कर पाएंगे. इस कारण विद्यार्थी लगातार विरोध कर न्याय की गुहार लगा रहे हैं.


धर्म शिक्षक के रूप में विद्यार्थी सेना में देते हैं सेवा

बता दें, भारतीय सेना में संस्कृत के विद्यार्थी धर्म शिक्षक के लिए आवेदन करते हैं और धर्म शिक्षक के रूप में भारतीय सेना में अपनी सेवा देते हैं. इसके लिए विद्यार्थी को कर्मकांड में स्नातक होना आवश्यक है, इसके साथ ही शास्त्री होने की दशा में उन्हें एक वर्ष का अतिरिक्त कर्मकांड में डिप्लोमा होना आवश्यक है. बात यदि संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री डिग्री की बात करें तो विश्वविद्यालय इसे स्नातक के समक्ष विद्यार्थियों को देता है, लेकिन इस वर्ष भारतीय सेना ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री की डिग्री को स्नातक के समक्ष मानने से अमान्य कर दिया है. इसलिए चयन की प्रक्रिया से शास्त्री डिग्री धारकों को बाहर रखा गया है. इसको लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी लगातार धरना प्रदर्शन कर अपनी बातों को विश्वविद्यालय प्रशासन व रक्षा मंत्रालय के समक्ष रख रहे हैं.

सेना भर्ती में डिग्री की अमान्यता से विद्यार्थी परेशान

विद्यार्थियों ने विवि प्रशासन से लगाई गुहार
डिग्री को अमान्य घोषित करने के बाबत विद्यार्थियों का कहना है कि भारतीय सेना ने धर्म शिक्षकों के लिए आवेदन मांगा था और इसमें शास्त्री डिग्री धारकों ने भी आवेदन किया था. इसके बाद उनका मेडिकल सत्यापन, भौतिक सत्यापन किया गया. लिखित परीक्षा के लिए कॉल लेटर भी आया, परंतु उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है. उन्होंने बताया कि भारतीय सेना मुख्यालय ने संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री की डिग्री स्नातक के समक्ष मानने से इनकार कर दिया है, जिससे हम सभी विद्यार्थी काफी व्यथित हैं. उन्होंने बताया कि हमने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा है, इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय को भी पीएम के जरिए लेटर भेजा है, जिससे वह हमारे समस्याओं का समाधान करें. क्योंकि हमारे डिग्री को यूजीसी ने मान्यता दी है, लेकिन फिर भी सैन्य मुख्यालय हम संस्कृत के विद्यार्थियों की उपेक्षा कर रहा है.


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रक्षा मंत्रालय को भेजा गया है पत्रक, जल्द होगा समाधान !

इस बाबत विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉक्टर शशीन्द्र मिश्र ने बताया कि यूजीसी ने शास्त्री की डिग्री को स्नातक के समक्ष माना है और उसके पहले भी शास्त्रीय अचार्य डिग्रीधारी सैकड़ों विद्यार्थी सेना में चयनित हो चुके हैं. विश्वविद्यालय के द्वारा राज्यपाल रक्षा मंत्री को पत्र लिख दिया गया है और उनसे अनुरोध किया गया है कि वह इस समस्या का समाधान करें. साथ ही रक्षा मंत्रालय से समय मांगा जा रहा है, समय मिलने पर कुलपति के द्वारा अधिकारियों से मुलाकात कर इस समस्या का स्थायी निदान किया जाएगा, जिससे भविष्य में ये समस्याएं पुनः न शुरू हो.


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