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बाबरी विध्वंस मामला: फैसले पर काशीवासियों की प्रतिक्रिया, जानें किसने क्या कहा... - वाराणसी समाचार

यूपी के वाराणसी में लोगों ने बाबरी विध्वंस मामले में सभी आरोपियों के बरी होने पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है. यहां किसी ने इस फैसले का स्वागत किया तो किसी ने कहा कि सरकार के दबाव में डिसीजन लिया गया. वहीं किसी ने इसे न्याय व्यवस्था की हार बताया.

बाबरी विध्वंस मामले के फैसले पर प्रतिक्रिया.
बाबरी विध्वंस मामले के फैसले पर प्रतिक्रिया.
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Published : Oct 2, 2020, 7:16 PM IST

वाराणसी: अयोध्या में बाबरी विध्वंस मामले में 28 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती सहित कुल 32 आरोपियों को बरी कर दिया था. इस फैसले के बाद पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया था. कोर्ट के इस फैसले पर राजनीति जगत की मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है. बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़े लोगों ने जहां इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं असदुद्दीन औवैसी और विपक्ष के लोगों ने इसका विरोध किया है. इस पर वाराणसी में लोगों ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी. प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस फैसले के बाद किसी ने इसका स्वागत किया तो किसी ने इसे न्याय व्यवस्था की हार बताया.

बाबरी विध्वंस मामले के फैसले पर प्रतिक्रिया.
बाबरी विध्वंस मामले में फैसले के बाद वाराणसी के लोगों का कहना है की फैसला देरी से आया, लेकिन सही आया. वहीं कुछ लोग इसे गलत बता रहे हैं. मोहम्मद मुस्तकीम का कहना था कि 1992 में जो हुआ वह ठीक नहीं था. कोर्ट को इस मामले में इतना जल्दी फैसला किसी के पक्ष में नहीं देना चाहिए था. मामले की जांच अभी और भी होनी चाहिए थी. वही आरके सिंह का कहना है कि 27 साल बाद इतने लंबे वक्त के बाद आए फैसले ने यह साबित कर दिया है कि यह न्याय व्यवस्था की हार है. वहीं युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव अमित राय का कहना है कि यह फैसला सरकार के दबाव में लिया गया है. इतने लंबे समय के बाद यदि रिहा ही करना था तो पहले ही कर दिया जाना चाहिए था. यानी कुल मिलाकर वाराणसी के लोग इस फैसले के बाद कहीं संतुष्ट तो कहीं असंतुष्ट दिखाई दे रहे हैं.

वाराणसी: अयोध्या में बाबरी विध्वंस मामले में 28 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती सहित कुल 32 आरोपियों को बरी कर दिया था. इस फैसले के बाद पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया था. कोर्ट के इस फैसले पर राजनीति जगत की मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है. बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़े लोगों ने जहां इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं असदुद्दीन औवैसी और विपक्ष के लोगों ने इसका विरोध किया है. इस पर वाराणसी में लोगों ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी. प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस फैसले के बाद किसी ने इसका स्वागत किया तो किसी ने इसे न्याय व्यवस्था की हार बताया.

बाबरी विध्वंस मामले के फैसले पर प्रतिक्रिया.
बाबरी विध्वंस मामले में फैसले के बाद वाराणसी के लोगों का कहना है की फैसला देरी से आया, लेकिन सही आया. वहीं कुछ लोग इसे गलत बता रहे हैं. मोहम्मद मुस्तकीम का कहना था कि 1992 में जो हुआ वह ठीक नहीं था. कोर्ट को इस मामले में इतना जल्दी फैसला किसी के पक्ष में नहीं देना चाहिए था. मामले की जांच अभी और भी होनी चाहिए थी. वही आरके सिंह का कहना है कि 27 साल बाद इतने लंबे वक्त के बाद आए फैसले ने यह साबित कर दिया है कि यह न्याय व्यवस्था की हार है. वहीं युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव अमित राय का कहना है कि यह फैसला सरकार के दबाव में लिया गया है. इतने लंबे समय के बाद यदि रिहा ही करना था तो पहले ही कर दिया जाना चाहिए था. यानी कुल मिलाकर वाराणसी के लोग इस फैसले के बाद कहीं संतुष्ट तो कहीं असंतुष्ट दिखाई दे रहे हैं.
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