वाराणसी: मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरी बार प्रदेश की कमान संभालने वाले योगी आदित्यनाथ लगातार जनता दर्शन और जनता की समस्याओं के निवारण के लिए काफी सजग दिखाई देते हैं. शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री स्वयं जनता दरबार लगाते हैं. वह जनता की समस्याओं को सुनते हैं और उसका निस्तारण तुरंत करवाते हैं. अभी 1 दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में जनता दरबार लगाकर कई फरियादियों की समस्याओं का निराकरण किया. इसके पहले मुख्यमंत्री ने दूसरी बार शपथ लेने के बाद अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि 10 बजे से 12 बजे तक सुबह हर अधिकारी जनता दर्शन के लिए अपने कार्यालय में मौजूद रहेगा और लोगों की समस्याओं का निराकरण हर हाल में किया जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में क्या हाल है, क्या बनारस के सरकारी कार्यालयों में समय से अधिकारी जनता की फरियाद सुनने पहुंच रहे हैं. इसकी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने सबसे महत्वपूर्ण नगर निगम विभाग की सच्चाई जाना. यहां ईटीवी भारत की टीम सुबह 10 बजे से पहले ही पहुंच गई और इंतजार करने लगे अधिकारियों और कर्मचारियों के आने का. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम 1 घंटा से ज्यादा समय कर्मचारियों और अधिकारियों के इंतजार में निकाल दिया.
दरअसल, वाराणसी के नगर निगम में पब्लिक का सबसे ज्यादा काम होता है. गली, सड़क, सीवर, पानी, स्ट्रीट लाइट न जाने कितनी समस्याओं के निस्तारण के लिए जनता यहां चक्कर लगाती है. हाउस टैक्स से लेकर अन्य कई तरह के कर का भुगतान करना और चीजों में सुधार के साथ ही कई अन्य जन समस्याओं से अधिकारियों को रु-ब-रु करवाने के लिए स्थानीय पार्षद और स्थानीय नागरिक हर रोज यहां पहुंचते हैं. जनता से मिलने का समय भी 10:00 बजे से 12:00 बजे तक निर्धारित है, लेकिन हालात यह हैं कि जनता दरबार यह जनता दर्शन के लिए यहां निर्धारित हो कोई अधिकारी मौजूद ही नहीं रहता.
ईटीवी भारत की टीम ने सुबह 10:00 से लेकर 10:30 बजे तक लगातार अधिकारियों के कमरों में टहल कर यह देखने की कोशिश की कि क्या अधिकारी आ चुके हैं, लेकिन न ही नगर आयुक्त, न अपर नगर आयुक्त, न ही सहायक नगर आयुक्त और न ही उद्यान अधिकारी से लेकर अन्य विभागों में अधिकारियों की कुर्सियों का कोई बैठा दिखा और सभी कुर्सियां खाली थीं और कुछ के तो दरवाजे के ताले तक नहीं खुले थे.
इन सबके बीच एक कमरा ऐसा था. जिसमें एक अधिकारी हमें बैठे दिखाई दिए. अपर नगर आयुक्त सुमित कुमार. सुमित कुमार के कमरे में जब हम उनको देखकर दाखिल हुए और उनसे सवाल पूछा. जहां उनका कहना था कि आमतौर पर कर्मचारी और अधिकारी समय से आ जाते हैं, लेकिन गंगा में बाढ़ की वजह से अधिकारी फील्ड में ज्यादा रह रहे हैं, लेकिन जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि 10 से 12 का वक्त जनता के लिए निर्धारित है, तो उनका कहना था कुछ आ रहे होंगे कभी-कभी लेट हो जाती है.
वहीं, जब अन्य अधिकारियों के कमरे में जाकर हमने कर्मचारियों की स्थिति देखी तो पता चला कुछ कर्मचारी थे और कुछ अभी धीरे-धीरे ऑफिस पहुंच रहे थे. कर्मचारियों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कभी-कभी देरी हो जाती है. आमतौर समय से ही आते हैं. फिलहाल मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी जनता दर्शन के लिए अधिकारियों को 10 से 12 के बीच न बैठना कहीं न कहीं जनता की समस्याओं को बढ़ाने वाला है.
आखिर जनता अपनी समस्याओं को लेकर कहां और किसके पास जाएं और किससे फरियाद करें? यह सवाल बड़ा है. क्योंकि जब हर समस्या का निस्तारण मुख्यमंत्री या मंत्री स्तर पर ही होना है तो फिर जिले में बैठे अधिकारी जनता की समस्याओं को कैसे सुनेंगे और कैसे होगा यह सवाल भी बड़ा है.
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