ETV Bharat / state

BHU के डॉक्टर्स का कमाल, 8 महीने वेंटिलेटर पर रही बच्ची के असहाय शरीर में 'फूंक दी जान'

बीएचयू (BHU) के डॉक्टरों ने चलने-फिरने में असमर्थ एक बच्ची को नई जिंदगी दी है. करीब डेढ़ साल के इलाज के बाद बच्ची की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 19, 2023, 5:32 PM IST

वाराणसी : काशी हिंदू विश्व विद्यालय (BHU) के डॉक्टरों ने सर्वाइकल स्पाइन में गंभीर चोट के कारण चलने-फिरने में असमर्थ एक बच्ची को नई जिंदगी दी है. बच्ची न तो वह चल-फिर सकती थी, न ही कोई काम कर सकती थी. काफी इलाज के बाद भी कोई फर्क नहीं दिखा तो उसे 28 फरवरी 2022 को काशी हिन्दू विश्विद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में लाया गया. यहां सफल ऑपरेशन हुआ और लंबे इलाज के बाद बच्ची की सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है.

etv bharat
बीएचयू (BHU) में अपने पैरों पर खड़ी बच्ची.

स्कूल की छत से नीचे गिर गई थी : बिहार में रोहतास के करगहर की रहने वाली यह बच्ची 8 वर्ष की उम्र में स्कूल की छत से नीचे गिर गई थी. इस हादसे में उसकी सर्वाइकल स्पाइन में गंभीर चोट आई थी और काफी रक्तस्राव भी हुआ था. 28 फरवरी 2022 को बच्ची को बीएचयू लाया गया. एनेस्थिसिया विभाग की प्रो. कविता ने बताया कि चिकित्सा विज्ञान संस्थान स्थित ट्रॉमा सेन्टर में बच्ची को भर्ती किया गया था. इससे पहले शुरुआती इलाज में उसे टांके लगाए गए थे. लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ. कमजोरी बढ़ती चली गई और चलने फिरने में भी उसे दिक्कत आने लगी. इसके बाद बिहार में ही सासाराम के अस्पताल में सीटी-स्कैन और एमआरआई के बाद डॉक्टर्स ने ऑपरेशन का सुझाव दिया. बीएचयू में बच्ची को 8 महीने वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया. न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रो. कुलवंत बराबर निगरानी करते रहे. अप्रैल 2022 में ट्रॉमा सेन्टर स्थित न्यूरो ओटी में बच्ची का ऑपरेशन किया गया.

धीरे-धीरे बच्ची की सेहत में आया सुधार : चिकित्सकों की मेहनत व देखभाल के चलते बच्ची की हालत में काफी सुधार हुआ है. अब उसे 1-2 घंटे के लिए रुक-रुक कर ही वेंटीलेटर की आवश्यकता होती है. एनेस्थीसिया विभाग की प्रो. कविता ने बताया कि बच्ची न सिर्फ अपने माता-पिता से बातचीत कर पा रही है, बल्कि खाना भी खा रही है. व्हील चेयर की सहायता से अन्य गतिविधि भी कर पा रही है.

यह एक दुर्लभ मामला : प्रो. कविता ने बताया कि यह एक दुर्लभ मामला है, जिसमें मरीज की इच्छाशक्ति, जज़्बे और चिकित्सकीय देखभाल से आश्चर्यजनक रूप से बच्ची की हालत में सुधार देखने को मिला है. इससे अस्पताल के डॉक्टर्स में खुशी का माहौल है. उनकी मेहनत से एक बच्ची दोबारा अपना जीवन जी सकेगी.

यह भी पढ़ें : BHU RESEARCH: जेनेटिक टेस्ट के बाद रोका जा सकता है ब्लड कैंसर का खतरा

यह भी पढ़ें : BHU Latest News : बीएचयू के डॉक्टरों ने पहला एलोजेनिक स्टेम सेल किया ट्रांसप्लांट, कोरोना के इलाज के लिए ढूंढ़ा नया फार्मूला!

वाराणसी : काशी हिंदू विश्व विद्यालय (BHU) के डॉक्टरों ने सर्वाइकल स्पाइन में गंभीर चोट के कारण चलने-फिरने में असमर्थ एक बच्ची को नई जिंदगी दी है. बच्ची न तो वह चल-फिर सकती थी, न ही कोई काम कर सकती थी. काफी इलाज के बाद भी कोई फर्क नहीं दिखा तो उसे 28 फरवरी 2022 को काशी हिन्दू विश्विद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में लाया गया. यहां सफल ऑपरेशन हुआ और लंबे इलाज के बाद बच्ची की सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है.

etv bharat
बीएचयू (BHU) में अपने पैरों पर खड़ी बच्ची.

स्कूल की छत से नीचे गिर गई थी : बिहार में रोहतास के करगहर की रहने वाली यह बच्ची 8 वर्ष की उम्र में स्कूल की छत से नीचे गिर गई थी. इस हादसे में उसकी सर्वाइकल स्पाइन में गंभीर चोट आई थी और काफी रक्तस्राव भी हुआ था. 28 फरवरी 2022 को बच्ची को बीएचयू लाया गया. एनेस्थिसिया विभाग की प्रो. कविता ने बताया कि चिकित्सा विज्ञान संस्थान स्थित ट्रॉमा सेन्टर में बच्ची को भर्ती किया गया था. इससे पहले शुरुआती इलाज में उसे टांके लगाए गए थे. लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ. कमजोरी बढ़ती चली गई और चलने फिरने में भी उसे दिक्कत आने लगी. इसके बाद बिहार में ही सासाराम के अस्पताल में सीटी-स्कैन और एमआरआई के बाद डॉक्टर्स ने ऑपरेशन का सुझाव दिया. बीएचयू में बच्ची को 8 महीने वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया. न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रो. कुलवंत बराबर निगरानी करते रहे. अप्रैल 2022 में ट्रॉमा सेन्टर स्थित न्यूरो ओटी में बच्ची का ऑपरेशन किया गया.

धीरे-धीरे बच्ची की सेहत में आया सुधार : चिकित्सकों की मेहनत व देखभाल के चलते बच्ची की हालत में काफी सुधार हुआ है. अब उसे 1-2 घंटे के लिए रुक-रुक कर ही वेंटीलेटर की आवश्यकता होती है. एनेस्थीसिया विभाग की प्रो. कविता ने बताया कि बच्ची न सिर्फ अपने माता-पिता से बातचीत कर पा रही है, बल्कि खाना भी खा रही है. व्हील चेयर की सहायता से अन्य गतिविधि भी कर पा रही है.

यह एक दुर्लभ मामला : प्रो. कविता ने बताया कि यह एक दुर्लभ मामला है, जिसमें मरीज की इच्छाशक्ति, जज़्बे और चिकित्सकीय देखभाल से आश्चर्यजनक रूप से बच्ची की हालत में सुधार देखने को मिला है. इससे अस्पताल के डॉक्टर्स में खुशी का माहौल है. उनकी मेहनत से एक बच्ची दोबारा अपना जीवन जी सकेगी.

यह भी पढ़ें : BHU RESEARCH: जेनेटिक टेस्ट के बाद रोका जा सकता है ब्लड कैंसर का खतरा

यह भी पढ़ें : BHU Latest News : बीएचयू के डॉक्टरों ने पहला एलोजेनिक स्टेम सेल किया ट्रांसप्लांट, कोरोना के इलाज के लिए ढूंढ़ा नया फार्मूला!

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.