वाराणसी: जी-20 देशों की बैठक का आयोजन वाराणसी में 17 अप्रैल से किया गया था. बुधवार को तीन दिवसीय बैठक संपन्न हो गई. जी-20 देशों के मेहमान बैठक में हिस्सा लेने के बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल पहुंचे, जहां उन्होंने कपड़ों पर किए जा रहे जरी जरदोजी के कामों के साथ ही अन्य तरह की कारीगरी को बड़े ही बारीकी से देखा.
बुधवार को हुई बैठक का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रहा सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड फूड सिस्टम फॉर हेल्दी पीपल एंड प्लेनेट. तीन दिनों की बैठक में सबसे महत्वपूर्ण फैसला महर्षि पर सभी देशों की सहमति रही. महर्षि यानी मोटे अनाज और अन्य प्राचीन अनाजों के अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान को लेकर इस बैठक में प्रस्ताव रखा गया था जिसे सब की मंजूरी मिली है. इन सबके अलावा डिजिटल फार्मिंग और पैदावार को बेहतर तरीके से बढ़ाने को लेकर भी गंभीर चर्चा की गई है, जिसे आने वाले भविष्य में भारत की मदद से बाकी जी-20 देशों के साथ आगे बढ़ाने पर काम किया जाएगा.
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) तथा फिलिप माउगिन, अध्यक्ष एवं सीईओ, आईएनआरएई - राष्ट्रीय कृषि, खाद्य एवं पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (फ्रांस) ने भारत और फ्रांस की द्विपक्षीय बैठक में अपने संबंधित प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन, फसल विविधीकरण, मिट्टी तथा जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती और बायोफोर्टिफाइड फसलों से संबंधित विषयों पर सहयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
जी 20 मैक्स की बैठक में कृषि अनुसंधान में भावी सहयोग के लिए आज भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गई. यह, भविष्य में, पारस्परिक रूप से सहमत क्षेत्रों पर आपसी सहयोग के लिए प्रारंभिक चर्चा थी. जिसे दोनों देश आने वाले समय में मूर्त रूप देंगे.
भारत-जर्मनी द्विपक्षीय बैठक में सार्क क्षेत्र को लक्षित खाद्य क्षति और अपशिष्ट रोकथाम की चुनौतियों का समाधान करने के लिए चर्चा की गई. विदेशी प्रतिनिधियों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का अनूठा अनुभव प्रप्त किया। जिला प्रशासन ने प्रतिनिधियों के शहर में सुविधाजनक आवागमन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक व्यवस्था और बैठक स्थल पर सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए.
प्रतिनिधियों ने बुधवार को व्यापार सुविधा केन्द्र, बड़ालालपुर का भ्रमण और स्थानिय कारीगरों के उत्पादों के लाइव प्रदर्शनों की झलक देखी. टीएफसी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) और राज्य कृषि विभाग, आईआरआरआई-एसएआरसी एनडीडीबी, एपीडा संगठनों के प्रमुख संस्थानों की कृषि प्रदर्शनियां भी लगाई गई. प्रतिनिधियों को कार्यक्रम स्थल पर श्री अन्न के व्यंजनों को बनाने की विधि दिखाई गई.
डॉ. हिमांशु पाठक ने बताया कि महर्षि को लेकर सभी की सहमति रही है. सभी देशों ने इसका खुलकर समर्थन किया है. सभी देशों की तरफ से मिलेट्स और प्राचीन अनाज के अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान को लेकर सहमति बनी है. सबसे बड़ी बात यह है कि भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र और हैदराबाद में स्थित इंडियन मिलेट्स रिसर्च इंस्टीट्यूट इस पूरे प्लान का सेकेट्रिऐट बनाया जाएगा. इसे यहां से ही ऑपरेट किया जाएगा और जो भी चीजें होंगी वह सभी देश मिलकर साझा करेंगे.
नए-नए रिसर्च के साथ मिलेट्स पर कार्य किया जाएगा. इतना ही नहीं आज अंतिम दिन ही हुई बैठक में पैदावार बढ़ाने के साथ ही कृषि क्षेत्र में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर गहन मंथन हुआ है और यह निष्कर्ष निकाला गया है कि किस तरह से कृषि के क्षेत्र में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर मिलकर क्रांति ला सकते हैं. चाहे वह पैदावार हो चाहे रिसर्च हो या फिर कोई भी स्तर पर किया जाने वाला काम हो.