वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई आज दोपहर वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में होगी. आज कोर्ट ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से जांच की मांग पर अपना ऑर्डर सुना सकता है. इसके अलावा इस केस में पक्षकार बनने के लिए आई 9 एप्लिकेशन पर सुनवाई के लिए भी कोर्ट ने आज का ही दिन निर्धारित किया है. कोर्ट के संभावित आदेश के मद्देनजर वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस और खुफिया तंत्र को अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए ड्यूटी करने के लिए कहा गया है.
मसाजिद कमेटी ने इस संदर्भ में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा था कि कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की कोई जरूरत नहीं है. कारण यह कि हिंदू पक्ष ने अपने केस में ज्ञानवापी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष देवी-देवताओं की पूजा की मांग की है. फिर यह शिवलिंग की जांच की मांग क्यों कर रहे हैं? हिंदू पक्ष ज्ञानवापी में कमीशन द्वारा सबूत इकट्ठा करने की मांग कर रहे हैं. सिविल प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
16 मई 2022 को एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के दौरान मिली आकृति पर असमंजस है और उससे संबंधित आपत्ति का निपटारा भी नहीं हुआ है. 17 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने भी कथित शिवलिंग मिलने वाली जगह को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए कहा है. ऐसे में वहां खुदाई या अलग से कुछ भी करना उचित नहीं होगा.
हिंदू पक्ष की वादिनी महिलाओं का कहना है कि हमारे मुकदमे में दृश्य या अदृश्य देवता की बात कही गई है. सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाना से पानी निकाले जाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखी. ऐसे में वह मुकदमे का हिस्सा है. आकृति को नुकसान पहुंचाए बगैर उसकी और उसके आसपास के एरिया की वैज्ञानिक पद्धति से जांच विशेषज्ञ टीम से कराया जाना जरूरी है. ताकि, आकृति की आयु, उसकी लंबाई-चौड़ाई और गहराई का वास्तविक रूप से पता लग सके. बीती 11 अक्टूबर को दोनों पक्ष की बहस खत्म हुई तो कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए सुनवाई की अगली डेट 14 अक्टूबर तय की थी.
अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था. पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले. इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो. कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और 3 दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था. इसके विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने आदेश दिया कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है.
वहीं ज्ञानवापी से जुड़े मामले में एक और महत्वपूर्ण याचिका कल दायर की गई है. याचिका दायर करने वाले प्रभु नारायण कोई आम इंसान नही हैं, बल्कि वो एक साइंटिस्ट हैं, जो झारखंड के रहने वाले हैं. इंडियन साइंटिफिक रिसर्च सेंटर और फेलोशिपर सेंटर के चेयरमैन भी हैं. ज्ञानवापी परिसर में मिले तथाकथित शिवलिंग से जुड़ा साक्ष्य वैज्ञानिक प्रमाण वाला पेश करेंगे.
याचिका से जुड़े अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने बताया ये याचिका सभी केस के लिए बैक बोन साबित होगा. झारखंड के धुर्वा के रहने वाले पर्यावरणविद प्रभु नारायण ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी भगवान गणेश हनुमान समेत अन्य देवी-देवताओं के नियमित दर्शन पूजन सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए वहां बनी मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाया जाए. वहां गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए, प्रभु नारायण की ओर से उनके वकील अनुपम द्विवेदी ने बताया कि अदालत में वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर उनके द्वारा सबूतों को पेश करके अपनी जमीनों को आगे बढ़ाया जाएगा. आज इस एप्लीकेशन को स्वीकार किया जाता है रिजल्ट इस पर भी नजर होगी.
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