वाराणसी: बनारस की पहचान यहां कि गलियां, खान-पान, संस्कृति, धार्मिक मान्यताएं और सबसे महत्वपूर्ण बनारसी साड़ी से है. सात समंदर पार तक बनारसी साड़ी एक अलग ठाठ रखती है. हालांकि कोरोना के चलते लड़खड़ाया कारोबार अभी तक संभल नहीं पाया है. इसकी खास वजह है बाजार में फंसी उधारी.
बनारस में होने वाला 600 करोड़ से ज्यादा का बनारसी साड़ी का कारोबार इन दिनों उधारी के फेर में फंस गया है. 2019 में भेजे गए हजारों गद्दीदारों के माल का पेमेंट अब तक नहीं आया है. सबसे ज्यादा बुरी स्थिति दक्षिण भारत से है. केरल में कोरोना से बिगड़े हालात के चलते 3 साल पहले भेजे गए माल की डिलीवरी का पेमेंट अब तक फंसा हुआ है. इसके अलावा महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भी व्यापारियों के करोड़ों रुपये फंस गए हैं.
दरअसल, बनारसी साड़ी का पूरा कारोबार क्रेडिट यानि उधार पर ही चलता है. दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल समेत देश के अलग-अलग हिस्से में बनारसी साड़ी के रिटेल कारोबारी बनारस से क्रेडिट पर माल उठाते हैं और बिकने के हिसाब से पेमेंट करते हैं. अब बनारसी साड़ी कारोबारियों के सामने एक बड़ा संकट इसलिए भी खड़ा हो गया है क्योंकि 2020 में कोविड-19 की पहली लहर के बाद कारोबार बुरी तरह चौपट हुआ. लंबे समय से पैसा फंसने से अब यह कारोबारियों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति है. कारोबारियों को कई ऑर्डर का पेमेंट अभी तक नहीं मिल सका है.
कारोबारियों की मानें तो पितृपक्ष के बाद नवरात्रि और फिर दीपावली तक बनारसी साड़ी उद्योग अकेले 400 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर लेता है. इन तीन महीनों में कारोबार की स्थिति पूरे साल भर का मुनाफा दे जाती है, लेकिन 2020 के बाद से हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं. दक्षिण भारत से स्थिति कुछ सुधरने लगी थी लेकिन वहां भी भेजे गए माल का पेमेंट फंस गया. अकेले दक्षिण भारत से बनारसी साड़ी उद्योग का लगभग डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा का पैसा फंसा हुआ है.
बनारस में कुंज गली, सत्ती चौतरा, सोरा कुंआ, पीलीकोठी, मदनपुरा में इस समय लगभग एक दर्जन से ज्यादा साड़ी की मंडियां मौजूद हैं. 15,000 से ज्यादा साड़ी की गद्दियां संकट के दौर से गुजर रही हैं. बनारसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन के महामंत्री राजन बहल का साफ तौर पर कहना है कि अब तक बनारसी साड़ी उद्योग को 2 साल के अंदर दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
हालांकि पहले लॉकडाउन के खुलने के बाद स्थितियां सुधरने लगीं थीं और ऑर्डर भी मिल रहे थे, लेकिन अप्रैल 2021 में हुए दूसरे लॉकडाउन ने हालात फिर से बिगाड़ दिए. जिन कारोबारियों के यहां 2020 में मई के बाद माल भेजा गया था उनका पेमेंट अब तक नहीं आया है.
इसे भी पढ़ें-गंगा को स्वच्छ और सजीव करेंगी मछलियां, कवायद शुरू
राजन बहल ने बताया कि केरल में लगातार संक्रमण बढ़ने की वजह से अभी तक लॉकडाउन की स्थिति है. पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र में भी अब तक पूरी तरह से बाजार नहीं खुल पाए हैं. जिसका असर साफ तौर पर बनारसी साड़ी उद्योग के भुगतना पर पड़ रहा है. पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पर प्रतिबंध है तो महाराष्ट्र में इस बार गणेश उत्सव भी नहीं हुआ. जिस वजह से वहां के कारोबारियों ने पिछले माल का पेमेंट ही नहीं भेजा जिससे नया माल भी नहीं गया.
राजन बहल का कहना है कि हालात दिन पर दिन बिगड़ रहे हैं. कई कारोबारियों के पास बैंकों की तरफ से नोटिस आना शुरू हो गया है, क्योंकि जिन्होंने 5 से 10 लाख रुपए तक का छोटा लोन लेकर अपना कारोबार स्थापित किया था. उनके लिए लोन की ईएमआई को चुका पाना भी असंभव होता जा रहा है.
इस वजह से बनारस में 1000 से ज्यादा बनारसी साड़ी की गद्दियां संकट के दौर से गुजर रही हैं. वहीं, साड़ी कारोबार से जुड़े अन्य कारोबारियों का साफ तौर पर कहना है कि हालात सुधर रहे हैं. ऑर्डर आना भी शुरू हो गया है, लेकिन अब तक वह पुरानी स्थिति नहीं लौटी है.
वस्त्र एसोसिएशन के महामंत्री राजन बहल का कहना है कि सरकार ने पहले लॉकडाउन में 30 हजार करोड़ से हैंडलूम और कुटीर उद्योग को ऊपर उठाने की बात कही थी लेकिन यह पैसा कहां गया और किसके पास गया, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं. सरकार को चाहिए कि बीते 3 साल में बनारसी साड़ी कारोबारियों ने जो जीएसटी का भुगतान किया है, उस जीएसटी के भुगतान के बराबर बिना इंटरेस्ट का लोन साड़ी कारोबारियों को उपलब्ध करवाया जाए.
इससे कम से कम कारोबारी अपने व्यापार को फिर से चलाने में सक्षम तो हो सकेंगे. बताया कि बहुत से कारोबारियों के आगे दिए गए लोन का भुगतान करने की भी समस्या है. ऐसी स्थिति में यदि बैंक कारोबारियों को डिफॉल्टर घोषित करने की स्थिति में आ जाएगा तो एक बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है.