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पुरानी मशीन से आयुर्वेदिक अस्पताल में व्यवस्था का 'सॉफ्टवेयर' खराब, बाहर से जांच करा रहे मरीज

वाराणसी के आयुर्वेदिक अस्पताल (Varanasi Ayurvedic Hospital) में व्यवस्थाएं बेपटरी हो गईं हैं. इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Varanasi Ayurvedic Hospital
Varanasi Ayurvedic Hospital
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 31, 2023, 10:12 PM IST

आयुर्वेदिक अस्पताल में नहीं हो पा रही मरीजों की जांच.

वाराणसी : जिले के आयुर्वेदिक अस्पताल में मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं हैं. जांच करने वाली मशीन भी खराब है. इससे लोगों को बाहर के पैथलैब में जांच करानी पड़ रही है. सीबीसी की जांच के लिए गरीब मरीजों को परेशान होना पड़ता है. गुरुवार को ईटीवी भारत की टीम अस्पताल में पहुंची. गेट पर कुछ मरीज मिले. इनमें से ज्यादतर सुविधाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर चुप्पी साध गए. हालांकि कुछ ने खुलकर अस्पताल की समस्याएं बताईं.

बाहर से लेनी पड़ती हैं दवाएं : मरीज विशाल ने बताया कि हमने यहां पर सीबीसी की जांच के लिए प्रयास किया था, लेकिन हमें बाहर से जांच करानी पड़ी. बाहर से जांच कराना महंगा पड़ जाता है. काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कुछ दिनों पहले भी ईटीवी भारत की टीम आयुर्वेदिक अस्पताल में पहुंची थी. तब एक मरीज अभिषेक ने बताया था कि इस अस्पताल में अक्सर दवाएं नहीं रहती हैं. पूरी दवाइयां कभी नहीं मिलती हैं. कुछ दवाएं अस्पताल में मिलती हैं तो कुछ बाहर से लेनी पड़ती हैं. लगभग 500-1000 रुपये का अन्तर पड़ जाता है.

अस्पताल में लगातार समस्या बनी हुई है.
अस्पताल में लगातार समस्या बनी हुई है.

आउट ऑफ स्टॉक हो जाती हैं दवाएं : एसएमओ अरविंद कुमार ने उस दौरान बताया था कि शासन की तरफ से उपलब्ध दवाओं में से कुछ आउटऑफ स्टॉक हो जाती हैं. अस्पताल में दवाओं का स्टॉक पुराना ही चल रहा है. 43 दवाएं शासन की और 10 दवाएं लगभग आईएमपीसीएल की आती हैं. दवाएं जब आती हैं तो बांटी जाती हैं. जब ये दवाएं खत्म होती हैं तो हम इसके लिए शासन से पत्राचार करते रहते हैं. दवाएं कभी समय से आ जाती हैं तो कभी समय से नहीं आती हैं. जब दवाएं अस्पताल में देरी से पहुंचती हैं तो उस समय मरीजों को दवा मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.

मरीजों को दवाएं भी नहीं मिल पा रहीं हैं.
मरीजों को दवाएं भी नहीं मिल पा रहीं हैं.

मशीन नहीं कर रही काम : एसएमओ डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि मशीन हमारे यहां पर मौजूद है. मगर वह अभी काम नहीं कर रही है. उसका सॉफ्टवेयर खराब हो गया है. हमारे यहां पर जो मशीन इस्तेमाल की जा रही है, वह बहुत पुराने वर्जन की है. हमने इंजीनियर को बुलाकर मशीन ठीक कराया है. इंजीनियर ने बताया है कि आगे ये मशीन ठीक से चल नहीं पाएगी. इसे उसने बदलने की सलाह दी है. हम ये प्रयास कर रहे हैं कि इस मशीन को बदलकर नई अपडेटेड मशीन मंगा लें, जोकि ऑटोमेटिक भी हो.

मरीजों को बाहर जाकर जांच करानी पड़ रही है.
मरीजों को बाहर जाकर जांच करानी पड़ रही है.

मंत्री और डायरेक्टर को लिखा पत्र : एसएमओ ने बताया कि हम लोगों ने इस संबंध में विभाग के मंत्री से भी बात की है. इसके साथ ही डायरेक्टर को भी लिखा है. सीबीसी मशीन जल्द उपलब्ध कराने की मांग की गई थी. मशीनें आजकल फुली ऑटोमेटिक आ रहीं हैं. हमारी मशीन अब पूरी तरह से खराब हो चुकी है. यह ठीक करने लायक नहीं रह गई है. हमारी पैथॉलॉजी में 100 से 200 मरीज होते हैं. सीबीसी के अलावा और भी जांचें की जाती हैं. अन्य जांचें करीब 200 की संख्या में हमारे यहां की जाती हैं.

यह भी पढ़ें : 30 साल बाद नए रूप में दिखेगा वाराणसी कैंट स्टेशन, 568 करोड़ रुपये से बदल रही तस्वीर

इस योजना ने बदल दी युवाओं की तकदीर, नौकरी करने वाले बन रहे बिजनेसमैन

आयुर्वेदिक अस्पताल में नहीं हो पा रही मरीजों की जांच.

वाराणसी : जिले के आयुर्वेदिक अस्पताल में मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं हैं. जांच करने वाली मशीन भी खराब है. इससे लोगों को बाहर के पैथलैब में जांच करानी पड़ रही है. सीबीसी की जांच के लिए गरीब मरीजों को परेशान होना पड़ता है. गुरुवार को ईटीवी भारत की टीम अस्पताल में पहुंची. गेट पर कुछ मरीज मिले. इनमें से ज्यादतर सुविधाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर चुप्पी साध गए. हालांकि कुछ ने खुलकर अस्पताल की समस्याएं बताईं.

बाहर से लेनी पड़ती हैं दवाएं : मरीज विशाल ने बताया कि हमने यहां पर सीबीसी की जांच के लिए प्रयास किया था, लेकिन हमें बाहर से जांच करानी पड़ी. बाहर से जांच कराना महंगा पड़ जाता है. काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कुछ दिनों पहले भी ईटीवी भारत की टीम आयुर्वेदिक अस्पताल में पहुंची थी. तब एक मरीज अभिषेक ने बताया था कि इस अस्पताल में अक्सर दवाएं नहीं रहती हैं. पूरी दवाइयां कभी नहीं मिलती हैं. कुछ दवाएं अस्पताल में मिलती हैं तो कुछ बाहर से लेनी पड़ती हैं. लगभग 500-1000 रुपये का अन्तर पड़ जाता है.

अस्पताल में लगातार समस्या बनी हुई है.
अस्पताल में लगातार समस्या बनी हुई है.

आउट ऑफ स्टॉक हो जाती हैं दवाएं : एसएमओ अरविंद कुमार ने उस दौरान बताया था कि शासन की तरफ से उपलब्ध दवाओं में से कुछ आउटऑफ स्टॉक हो जाती हैं. अस्पताल में दवाओं का स्टॉक पुराना ही चल रहा है. 43 दवाएं शासन की और 10 दवाएं लगभग आईएमपीसीएल की आती हैं. दवाएं जब आती हैं तो बांटी जाती हैं. जब ये दवाएं खत्म होती हैं तो हम इसके लिए शासन से पत्राचार करते रहते हैं. दवाएं कभी समय से आ जाती हैं तो कभी समय से नहीं आती हैं. जब दवाएं अस्पताल में देरी से पहुंचती हैं तो उस समय मरीजों को दवा मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.

मरीजों को दवाएं भी नहीं मिल पा रहीं हैं.
मरीजों को दवाएं भी नहीं मिल पा रहीं हैं.

मशीन नहीं कर रही काम : एसएमओ डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि मशीन हमारे यहां पर मौजूद है. मगर वह अभी काम नहीं कर रही है. उसका सॉफ्टवेयर खराब हो गया है. हमारे यहां पर जो मशीन इस्तेमाल की जा रही है, वह बहुत पुराने वर्जन की है. हमने इंजीनियर को बुलाकर मशीन ठीक कराया है. इंजीनियर ने बताया है कि आगे ये मशीन ठीक से चल नहीं पाएगी. इसे उसने बदलने की सलाह दी है. हम ये प्रयास कर रहे हैं कि इस मशीन को बदलकर नई अपडेटेड मशीन मंगा लें, जोकि ऑटोमेटिक भी हो.

मरीजों को बाहर जाकर जांच करानी पड़ रही है.
मरीजों को बाहर जाकर जांच करानी पड़ रही है.

मंत्री और डायरेक्टर को लिखा पत्र : एसएमओ ने बताया कि हम लोगों ने इस संबंध में विभाग के मंत्री से भी बात की है. इसके साथ ही डायरेक्टर को भी लिखा है. सीबीसी मशीन जल्द उपलब्ध कराने की मांग की गई थी. मशीनें आजकल फुली ऑटोमेटिक आ रहीं हैं. हमारी मशीन अब पूरी तरह से खराब हो चुकी है. यह ठीक करने लायक नहीं रह गई है. हमारी पैथॉलॉजी में 100 से 200 मरीज होते हैं. सीबीसी के अलावा और भी जांचें की जाती हैं. अन्य जांचें करीब 200 की संख्या में हमारे यहां की जाती हैं.

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