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काशी पहुंचे मंत्री सतपाल महाराज ने रामलीला में की शिरकत, प्रभु राम का किया स्वागत

वाराणसी में उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने रामनगर में होने वाली रामलीला में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अयोध्या लौटे प्रभु राम का भव्य स्वागत किया.

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पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज
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Published : Oct 10, 2022, 2:54 PM IST

वाराणसी: उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ( Uttarakhand Tourism Minister Satpal Maharaj) काशी में तीन सौ साल पुरानी रामलीला में शिरकत की. रामनगर की रामलीला में उन्होंने अयोध्या लौटे प्रभु श्रीराम का भव्य स्वागत किया. इस मौके पर उन्होंने काशी की तीन सौ साल पुरानी इस धरोहर को यूनेस्को की विश्व धरोहर में दर्ज कराने का वादा भी किया.

वाराणसी के रामनगर में होने वाली रामलीला की शुरूआत 19वीं सदी में हुई थी. ये रामलीला विश्व प्रसिद्ध मानी जाती है. यही कारण है कि पहले से ही इस रामलीला को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है. इस राम लीला को आज भी पुरानी संकृति और परंपराओं के साथ ही सम्पन्न किया जाता है. इसमें पूरा बनारसी ठाठ-बाट नजर आता है. बड़ी बात ये है कि इस रामलीला में कोई भी आधुनिक बिजली उपकरण का उपयोग न करते हुए आज भी लालटेन और पेट्रोमैक्स के सहारे पूरी लीला की जाती है. इसमें लाखों लोग शामिल होते हैं.

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काशी में राम लीला का आयोजन
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काशी की अयोध्या में प्रभु राम का स्वागत
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राम लीला को लेकर भक्तों में उत्साह
रविवार को उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महराज ने भी रामलीला में शिरकत की. उन्होंने मीडिया को बताया कि आज प्रभु श्री राम रावण का दहन कर अयोध्या वापस पहुंचे हैं, जिनका स्वागत करने हम यहां आये हैं. साथ ही उन्हें ये दावा करते हुए कहा कि ये रामलीला 300 साल पुरानी है. इसे विश्व धरोहर में दर्ज कराने का भी वह प्रयास करेंगे.

यह भी पढ़ें- पर्यटन में काशी ने गोवा को छोड़ा पीछे, 10 करोड़ से ज्यादा लोगों ने की बनारस की सैर

वाराणसी: उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ( Uttarakhand Tourism Minister Satpal Maharaj) काशी में तीन सौ साल पुरानी रामलीला में शिरकत की. रामनगर की रामलीला में उन्होंने अयोध्या लौटे प्रभु श्रीराम का भव्य स्वागत किया. इस मौके पर उन्होंने काशी की तीन सौ साल पुरानी इस धरोहर को यूनेस्को की विश्व धरोहर में दर्ज कराने का वादा भी किया.

वाराणसी के रामनगर में होने वाली रामलीला की शुरूआत 19वीं सदी में हुई थी. ये रामलीला विश्व प्रसिद्ध मानी जाती है. यही कारण है कि पहले से ही इस रामलीला को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है. इस राम लीला को आज भी पुरानी संकृति और परंपराओं के साथ ही सम्पन्न किया जाता है. इसमें पूरा बनारसी ठाठ-बाट नजर आता है. बड़ी बात ये है कि इस रामलीला में कोई भी आधुनिक बिजली उपकरण का उपयोग न करते हुए आज भी लालटेन और पेट्रोमैक्स के सहारे पूरी लीला की जाती है. इसमें लाखों लोग शामिल होते हैं.

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रविवार को उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महराज ने भी रामलीला में शिरकत की. उन्होंने मीडिया को बताया कि आज प्रभु श्री राम रावण का दहन कर अयोध्या वापस पहुंचे हैं, जिनका स्वागत करने हम यहां आये हैं. साथ ही उन्हें ये दावा करते हुए कहा कि ये रामलीला 300 साल पुरानी है. इसे विश्व धरोहर में दर्ज कराने का भी वह प्रयास करेंगे.

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