वाराणसी: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर अभी राजनीतिक दलों ने अपने पत्ते खोलने शुरू नहीं किए हैं. सिर्फ आम आदमी पार्टी को छोड़कर उत्तर प्रदेश में बड़ी किसी सियासी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा तक नहीं की है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में टिकट मिलने से पहले ही चुनावी दांव-पेच का खेल शुरू हो गया है. 2022 की सियासी जंग में हर नेता अपनी जोर आजमाइश में जुट गया है. जबकि न अब तक टिकट फाइनल है और न यह पता है कि उसे पार्टी मौका देगी भी या नहीं, लेकिन खुद को भावी प्रत्याशी मानकर कई नेताओं ने तो जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है. कई नेताओं के तो होर्डिंग, बैनर, पोस्टर भी सड़कों और गलियों में दिखाई देने लगे हैं.
वहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में तो हर विधानसभा में तीन से चार दावेदार मौजूद हैं. कुछ विधानसभा क्षेत्र तो ऐसे हैं, जहां पर अकेले समाजवादी पार्टी में एक-दो नहीं बल्कि 2 दर्जन से ज्यादा दावेदार अपने आप को भावी प्रत्याशी मानता तैयारियों में जुटे हुए हैं. वाराणसी की शिवपुर विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आनंद मोहन गुड्डू समेत 6 से ज्यादा यादव कैंडिडेट अकेले टिकट मिलने की दावेदारी पेश कर रहे हैं. वहीं ब्राह्मण और अन्य बिरादरी के लोग भी इसमें पीछे नहीं हैं. शहर उत्तरी विधानसभा में कांग्रेस के 3 से ज्यादा प्रत्याशी हैं, जो अपने आप को टिकट का दावेदार मान रहे हैं.
समाजवादी पार्टी के भी शहर उत्तरी विधानसभा में लगभग 6 से ज्यादा प्रत्याशी खुद को भावी उम्मीदवार मानकर तैयारियों में जुटे हैं. वहीं कैंट विधानसभा में कांग्रेस के टिकट पर दावेदारी के लिए कई नाम मौजूद हैं. रोशनी जायसवाल खुद को भावी प्रत्याशी मानकर अपने विधानसभा क्षेत्र में अपनी राजनीति को मजबूत करने के लिए जनसंपर्क भी शुरू कर चुकी हैं.
वहीं हाल ही में महेंद्र नाथ पांडेय के परिवार से उनकी बहू अमृता पांडेय भी खुद को कैंट विधानसभा से कांग्रेस की प्रत्याशी मानकर तैयारियों में जुटी हुई हैं.
समाजवादी पार्टी से भी 3 महिला प्रत्याशी समेत दो पुरुष प्रत्याशी भी खुद को कैंट विधानसभा से समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी मानकर अपने होर्डिंग, बैनर, पोस्टर लगवा चुके हैं. ऐसे ही हालात शहर दक्षिणी विधानसभा में भी देखने को मिल रहे हैं. यहां पिछले कई सालों से चुनाव लड़ने वाले कुछ प्रत्याशी अभी से होल्डिंग-बैनर लगाकर लोगों को अपने भावी प्रत्याशी होने का एहसास दिलाने लगे हैं.
टिकट की घोषणा के पहले ही चुनावी नारों को भी तैयार कर लिया गया है. बनारस के कैंट इलाके में जो दीवारों पर लगे पोस्टर में लिखा भी है. कैंट को बचाना है, तो फलाने को लाना है. दक्षिणी की है तैयारी फलाने भैया अबकी बारी, ऐसे नारों के साथ लोग अभी से अपने वोटर को रिझाने में लगे हैं. माला फूल के साथ नेताजी लोगों से जनसंपर्क करने पहुंच रहे हैं. कुल मिलाकर बनारस की गलियों में चुनावी शोर अब सुनाई देने लगा है. नारों के साथ विधानसभा के विकास की बातें करते हुए खुद को प्रत्याशी मानकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. नेता जनता के बीच वादों की झड़ी लगाने लगे हैं.
सोशल मीडिया के युग में अपने प्रचार के वीडियो और तस्वीरों को भी वायरल करके अपनी पार्टी को अपनी मजबूती का एहसास कराया जा रहा है. कुल मिलाकर चुनाव दूर है, लेकिन चुनावी तैयारियों का आगाज पीएम के संसदीय क्षेत्र में तो हो चुका है.
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