वाराणसी: उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों (UP Assembly Election 2022) को लेकर हर विधानसभा में सरगर्मी बढ़ने लगी है. जातिगत आधार पर और वोटर्स की संख्या को ध्यान में रखते हुए हर राजनीतिक दल अभी से विधानसभाओं को अलग-अलग करके अपनी चुनावी चाल की तैयारी कर रही है. इन सबके बीच ईटीवी भारत आपको हर विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट वहां के हालात के आधार पर दिखा रहा है.
आज हम आपको लेकर चलते हैं वाराणसी की उस विधानसभा में जो राजनीतिक दृष्टि से और जातिगत आधार पर काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. 2012 में बनाई गई यह नई विधानसभा सीट पीएम मोदी को भी काफी पसंद हैं. शायद यही वजह है कि 2014 में यूपी में चुनावी शंखनाद का आगाज पीएम मोदी ने वाराणसी की इसी विधानसभा से किया था. 2017 के विधानसभा चुनावों में और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विधानसभा क्षेत्र में अलग-अलग रैलियां भी की थीं, इसकी बड़ी वजह यह है कि इस विधानसभा सीट से एक तरफ जहां वाराणसी पर नजर रखी जा सकती है तो चंदौली की कई सीटों पर भी इसका प्रभाव रहता है. आइए आपको बताते हैं रोहनियां विधानसभा सीट का चुनावी गणित.
![वोटरों की संख्या.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13248144_yujk.jpg)
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पहली बार चुनावों में अनुप्रिया बनी विधायक
वाराणसी की रोहनियां विधानसभा इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह पटेल बाहुल्य सीट है. यहां पर बड़ी संख्या में पटेल वोटर्स का बोलबाला है. एक समय इस विधानसभा समेत इससे सटे मिर्जापुर और अन्य इलाकों में अपना दल के सोनेलाल पटेल का वर्चस्व हुआ करता था. इसके बाद उनकी कमान बेटी अनुप्रिया पटेल ने संभाली. 2012 में नए परिसीमन के बाद रोहनिया विधानसभा की नई सीट का निर्माण हुआ तो अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने शानदार जीत दर्ज की. उस वक्त उन्होंने बहुजन समाजवादी पार्टी के रमाकांत सिंह को हराया था. 2014 के चुनावों में जब अपना दल का बीजेपी से गठबंधन हुआ और अनुप्रिया 2014 में मिर्जापुर से सांसद के तौर पर जीतकर दिल्ली पहुंच गईं तो यह सीट खाली हो गई और इस सीट पर फिर से उपचुनाव कराया गया. इस बीच अनुप्रिया को उनकी मां ने अपनी पार्टी से ही निकाल दिया और उपचुनावों में इस बिखराव का नतीजा यह हुआ कि समाजवादी पार्टी से महेंद्र सिंह पटेल ने उपचुनाव में जीत हासिल की और सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल को हार का सामना करना पड़ा.
![जातिगत आधार पर वोटर.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13248144_ujk.jpg)
2017 में बीजेपी को मिली सीट
हालांकि, 2017 के चुनावों में मोदी लहर का बड़ा फायदा इस विधानसभा सीट को भी मिला और भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुरेंद्र नारायण सिंह को इस सीट से जीत हासिल हुई. दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के तत्कालीन विधायक और यूपी सरकार में मंत्री रहे सुरेंद्र सिंह पटेल के छोटे भाई महेंद्र सिंह पटेल दूसरे स्थान पर रहे.
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बनारस और चंदौली की सीटों को तोड़कर बनी नई सीट
रोहनियां विधानसभा की राजनैतिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो 2012 में जब यह विधानसभा बनाए जाने की तैयारी शुरू हुई तो इसको तैयार करने के लिए वाराणसी के कैंट विधानसभा गंगापुर चंदौली जिले के मुगलसराय विधानसभा के कुछ हिस्सों को अलग करके इस विधानसभा का निर्माण हुआ. इस विधानसभा में कैंट विधानसभा के 65 और गंगापुर विधानसभा के 43 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया, जबकि मुगलसराय विधानसभा के सूजाबाद और डोमरी के 47 हजार की आबादी के 18 को वोटरों को विधानसभा से जोड़ा गया.