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यूपी एक खोज: काशी में दक्षिण भारत की शैली जैसा एक मंदिर, जिसका स्कंद पुराण में है जिक्र

वाराणसी में एक ऐसा मंदिर है, जो दक्षिण भारत के मंदिर की तरह ही बना हुआ है. यहां भगवान की मूर्ति देखने में बिल्कुल त्रिवेंद्रम के पद्मनाभम मूर्ति की तरह लगती है. यह मंदिर अस्सी क्षेत्र में स्थित है. आइए यूपी एक खोज में इस मंदिर की महत्ता और मान्यता के बारे में जानते हैं.

वाराणसी भोगसेन भगवान मंदिर
वाराणसी भोगसेन भगवान मंदिर
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Published : Jun 4, 2022, 1:14 PM IST

वाराणसी: यूपी एक खोज में आज हम आपको मंदिरों का शहर कहे जाने वाले काशी में एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आपको काशी की प्राचीनता की जानकारी होगी. यह मंदिर काशी के पुराने मोहल्लों में शुमार अस्सी क्षेत्र में है. यह मंदिर भोगसेन भगवान (विष्णु मंदिर) का है. भोगसेन भगवान की मूर्ति देखने में बिल्कुल त्रिवेंद्रम के पद्मनाभम मूर्ति की तरह लगती है. वाराणसी में दक्षिण भारत की शैली में बना हुआ यह मंदिर आपको अपनी ओर आकर्षित करेगा.

महादेव की नगरी काशी में उनके आराध्य भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति बेहद ही खूबसूरत कही जाती है. मूर्ति का वजन 21 टन है. इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है. काशीवासियों के साथ ही दक्षिण भारत से भी लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर की बनावट बिल्कुल दक्षिण भारत के मंदिर से मिलता-जुलती है. मंदिर की दीवारों पर दक्षिण भारत के मंदिरों की तरह शंख व चक्र बनाए गए हैं.

वाराणसी भोगसेन भगवान मंदिर पर विशेष रिपोर्ट

स्कंद पुराण में मिलता है मंदिर का वर्णन

पुजारी सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में है. भगवान हरि का निवास स्थान अस्सी है. कालांतर में मंदिर का जीर्णोंद्धार किया गया. त्रिवेंद्रम से मूर्ति लाकर यहां पर स्थापित की गई. काशी में तीन खंड में भगवान हरि विराजते हैं. पंचगंगा घाट पर आदी केशव, वरुणा नदी के मध्य केशव और अस्सी क्षेत्र पर भोगसेन भगवान (विष्णु मंदिर) का मंदिर स्थापित है.

त्रिवेंद्रम और काशी की मूर्ति में अंतर

पुजारी सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि भगवान यहां पर प्रमोद मुद्रा में विराजमान हैं. भगवान शेषनाग पर शयन किए हुए हैं. मां लक्ष्मी भगवान के पैर दबा रही हैं. पद्मनाभ मंदिर में भगवान की नाभि से ब्रह्मा निकले हैं. रामानुजाचार्य महाराज अस्सी घाट पर स्नान किए हुए हैं. यह 1000 वर्ष पुराने मंदिर का इतिहास है.

दर्शन करने का महत्व

ऐसी मान्यता है कि भगवान के दर्शन करने से ही सभी प्रकार के पाप और ताप नष्ट हो जाते हैं और साथ ही मनुष्य का मन अति पावन हो जाता है. भगवान यहां पर अनंत रूप में अनंत काल से हैं. वे भक्तों की अनंत मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं. देवोत्थान एकादशी के दिन यहां पर भीड़ होती है और भगवान के दर्शन करने से बैकुंठ जाने का फल प्राप्त होता है. श्रद्धालु वरुणेशचन्द दीक्षित कहते हैं कि काशी का यह इकलौता मंदिर है. काशी में मुक्ति दासी है. भगवान की इस विशेष प्रतिमा का दर्शन करने से उनका मन और उनका ज्ञान पवित्र हो जाता है. दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है.

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी में जलाभिषेक के ऐलान के बाद मठ के बाहर फोर्स तैनात, न्यायालय जाएंगे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

मंदिर पहुंचने का मार्ग

वाराणसी रेलवे स्टेशन से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर भोगसेन भगवान का मंदिर स्थापित है. यहां आप ऑटो रिक्शा, प्राइवेट कार और अपने वाहन से पहुंच सकते हैं. मंदिर वाराणसी के प्राचीन मोहल्ले अस्सी क्षेत्र में स्थित है. जल मार्ग से भी खिड़कियां घाट से नाव से अस्सी घाट उतरकर मंदिर तक जा सकते हैं.

चुनाव के समय पीएम मोदी ने पप्पू की चाय का लिया था आनंद

मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित चौराहे पर पप्पू की दुकान है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. प्रधानमंत्री मोदी भी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान पप्पू की चाय का आनंद ले चुके हैं.

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वाराणसी: यूपी एक खोज में आज हम आपको मंदिरों का शहर कहे जाने वाले काशी में एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आपको काशी की प्राचीनता की जानकारी होगी. यह मंदिर काशी के पुराने मोहल्लों में शुमार अस्सी क्षेत्र में है. यह मंदिर भोगसेन भगवान (विष्णु मंदिर) का है. भोगसेन भगवान की मूर्ति देखने में बिल्कुल त्रिवेंद्रम के पद्मनाभम मूर्ति की तरह लगती है. वाराणसी में दक्षिण भारत की शैली में बना हुआ यह मंदिर आपको अपनी ओर आकर्षित करेगा.

महादेव की नगरी काशी में उनके आराध्य भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति बेहद ही खूबसूरत कही जाती है. मूर्ति का वजन 21 टन है. इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है. काशीवासियों के साथ ही दक्षिण भारत से भी लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर की बनावट बिल्कुल दक्षिण भारत के मंदिर से मिलता-जुलती है. मंदिर की दीवारों पर दक्षिण भारत के मंदिरों की तरह शंख व चक्र बनाए गए हैं.

वाराणसी भोगसेन भगवान मंदिर पर विशेष रिपोर्ट

स्कंद पुराण में मिलता है मंदिर का वर्णन

पुजारी सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में है. भगवान हरि का निवास स्थान अस्सी है. कालांतर में मंदिर का जीर्णोंद्धार किया गया. त्रिवेंद्रम से मूर्ति लाकर यहां पर स्थापित की गई. काशी में तीन खंड में भगवान हरि विराजते हैं. पंचगंगा घाट पर आदी केशव, वरुणा नदी के मध्य केशव और अस्सी क्षेत्र पर भोगसेन भगवान (विष्णु मंदिर) का मंदिर स्थापित है.

त्रिवेंद्रम और काशी की मूर्ति में अंतर

पुजारी सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि भगवान यहां पर प्रमोद मुद्रा में विराजमान हैं. भगवान शेषनाग पर शयन किए हुए हैं. मां लक्ष्मी भगवान के पैर दबा रही हैं. पद्मनाभ मंदिर में भगवान की नाभि से ब्रह्मा निकले हैं. रामानुजाचार्य महाराज अस्सी घाट पर स्नान किए हुए हैं. यह 1000 वर्ष पुराने मंदिर का इतिहास है.

दर्शन करने का महत्व

ऐसी मान्यता है कि भगवान के दर्शन करने से ही सभी प्रकार के पाप और ताप नष्ट हो जाते हैं और साथ ही मनुष्य का मन अति पावन हो जाता है. भगवान यहां पर अनंत रूप में अनंत काल से हैं. वे भक्तों की अनंत मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं. देवोत्थान एकादशी के दिन यहां पर भीड़ होती है और भगवान के दर्शन करने से बैकुंठ जाने का फल प्राप्त होता है. श्रद्धालु वरुणेशचन्द दीक्षित कहते हैं कि काशी का यह इकलौता मंदिर है. काशी में मुक्ति दासी है. भगवान की इस विशेष प्रतिमा का दर्शन करने से उनका मन और उनका ज्ञान पवित्र हो जाता है. दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है.

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मंदिर पहुंचने का मार्ग

वाराणसी रेलवे स्टेशन से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर भोगसेन भगवान का मंदिर स्थापित है. यहां आप ऑटो रिक्शा, प्राइवेट कार और अपने वाहन से पहुंच सकते हैं. मंदिर वाराणसी के प्राचीन मोहल्ले अस्सी क्षेत्र में स्थित है. जल मार्ग से भी खिड़कियां घाट से नाव से अस्सी घाट उतरकर मंदिर तक जा सकते हैं.

चुनाव के समय पीएम मोदी ने पप्पू की चाय का लिया था आनंद

मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित चौराहे पर पप्पू की दुकान है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. प्रधानमंत्री मोदी भी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान पप्पू की चाय का आनंद ले चुके हैं.

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