वाराणसी : 19 मई को वाराणसी की लोकसभा सीट के लिए मतदान होना है. देश की सबसे हॉट सीट पर मतदान से पहले चुनावी सरगर्मी बढ़ने लगी है, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी दूसरी बार वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ बनारस में ताल ठोकने के लिए अलग-अलग राज्यों से भी कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं.
सबसे बड़ी बात यह है कि चुनावी मौसम में जिस तरह से पीएम मोदी के खिलाफ कुछ अलग तरीके से प्रत्याशियों का रूप चुनावी मैदान में देखने को मिल रहा है, उसके बाद पब्लिक भी बनारस के चुनाव में ताल ठोक रहे इन यूनिक प्रत्याशियों को देखकर काफी खुश हैं. यहां कोई खुद को शकुनि बता रहा है तो कोई खुद को अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले बापू के रूप में प्रजेंट कर रहा है. तो क्या है बनारस के रोचक चुनावी माहौल का सच, आप भी जानिए.
क्यों खास है यह सीट
- वाराणसी लोकसभा सीट पर इस बार 26 कैंडिडेट चुनावी मैदान में हैं.
- जब नामांकन प्रक्रिया चल रही थी तो कुल 102 कैंडीडेट्स ने चुनावी मैदान में ताल ठोकने के लिए नामांकन दाखिल किया था.
- इनमें से अधिकांश का नामांकन रद्द हो गया, अब 26 लोग ही चुनावी मैदान में बचे हैं, जिनको अलग-अलग चुनावी चिह्न जारी किए गए हैं.
- किसी को लूडो मिला है, तो किसी को सांप-सीढ़ी. किसी को बाल्टी मिला है तो किसी को केतली. किसी को ट्रक तो किसी को फलों की टोकरी.
शायद यही वजह है कि अपने चुनाव चिह्न के आधार पर कोई शकुनि का रूप ले रहा है, तो कोई फलों की टोकरी को ही सिर पर उठाकर प्रचार के लिए निकल रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि बनारस के इस चुनावी समर में 26 साल का सबसे कम उम्र का प्रत्याशी है तो 74 साल के सबसे बुजुर्ग प्रत्याशी भी पीएम मोदी के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं.
24 प्रत्याशी पहली बार लड़ रहे लोकसभा का चुनाव
सबसे बड़ी बात यह है कि पीएम मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे 24 प्रत्याशी ऐसे हैं, जो पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. 24 प्रत्याशी दूसरे जिले या प्रदेश से आए हैं, जो बनारस में ताल ठोक रहे हैं. गुजरात के रहने वाले नरेंद्र मोदी के सामने यूपी के अलावा आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, केरल, उत्तराखंड से प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं.
लूडो चुनाव चिन्ह वाले प्रत्याशी ने धरा शकुनि का रूप
भारत प्रभात पार्टी के अमरेश मिश्रा लेखक है. इनका कहना है उन्होंने बुलेट राजा फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी थी और कई किताबें लिख चुके हैं. इनका चुनाव चिह्न लूडो है, इसलिए यह शकुनि के रूप में बनारस की जनता के बीच में उतर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी के सांसद निधि के 25 करोड़ रुपये से हुए कामों का हिसाब किताब मांग कर जनता से वोट मांग रहे हैं. वहीं बरेली के रहने वाले त्रिभुवन शर्मा फलों की टोकरी चुनाव चिह्न के साथ चुनावी मैदान में हैं और चुनाव प्रचार करने के लिए फलों की टोकरी सिर पर रख कर घूम रहे हैं.
महाराष्ट्र से आए 70 साल से ऊपर की उम्र के मनोहर आनंद राव पाटिल गांधी जी का रूप लेकर चुनावी मैदान में कूदे हैं और इसी रूप में वह चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं. कुल मिलाकर बनारस में एक से बढ़कर एक कैंडिडेट कुछ अलग तरीके से चुनावी रंग को और गाढ़ा करने की कोशिश कर रहे हैं और पब्लिक भी इस अलग चुनावी रंग का खूब मजा ले रही है.