वाराणसीः अगर आपके बच्चों में जन्म से ही कोई बीमारी है तो उसके लिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है. पैसों के खर्च की चिंता भी करने की जरूरत नहीं है और न ही इधर-उधर दौड़ लगाना है. उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) इसके लिए सभी जरूरतमंदों को सुविधा उपलब्ध करा रहा है. जिसमें इलाज के लिए किसी भी तरह का खर्च नहीं होगा और निर्धारित अस्पताल में आपको भेज दिया जाएगा. हाल ही में दो बच्चों को इसका लाभ मिला है, जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे.
कादीपुर निवासी रमेश कुमार सोनकर का तीन वर्षीय बेटा है महेश्वर और कृष्णापुर कला रामपुर-हथवारी निवासी सुजीत कुमार पटेल का 11 वर्षीय बेटे संदीप में सीएचडी के लक्षण मिले. ये बहुत दिनों से बीमारी को लेकर परेशान थे. आर्थिक तंगी के कारण वह उनका उपचार नहीं करा पा रहे थे. कंजीनाइटिल हार्ट डिजीज (CHD) बिमारी से पीड़ित दोनों बच्चों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय जांच के लिए भेजा गया. RBSK के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ. एके मौर्य ने इसकी जानकारी दी. संदीप और महेश्वर दोनों ही बेहद गरीब परिवार से आते हैं. उनके परिवारों के पास इतना धन नहीं है कि किसी बड़े में अस्पताल में इन बच्चों का इलाज करा सकें. इसी के चलते इनका इलाज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत कराने का फैसला लिया गया है.
चार से पांच लाख रुपये का आता है खर्चः मुख्य चिकित्सा अधिकारी संदीप चौधरी ने बताया कि महेश्वर और संदीप की जांच में हृदय रोग की बीमारी की पुष्टि हुई है. सीएचडी (कंजीनाइटिल हार्ट डिजीज) के लिए चिह्नित अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज से इन दोनों के निःशुल्क इलाज के लिए अनुमति ली गयी है. अभी इन्हें अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है. अगले कुछ दिनों में संदीप और महेश्वर का इलाज शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इसके उपचार में चार से पांच लाख रुपये का खर्च लगता है, जो कि RBSK योजना के अंतर्गत मुफ्त में होगा.
40 बीमारियों और जन्मजान बीमारियों का इलाजः डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि जनपद में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) पर पूरा जोर दिया जा रहा है. इसके अंतर्गत 40 बीमारियों व जन्मजात विकृतियों के लिए निःशुल्क इलाज के लिए शासन की ओर से अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में निःशुल्क ऑपरेशन का सुविधा प्रदान की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में 16 टीमें लगी हुई हैं, जो हर एक गांव में जाकर जन्मजात बीमारियों की पहचान करती हैं. इस साल अभी तक सीएचडी के 9 बच्चे चिन्हित किए गए, जिसमें से 3 का इलाज हो चुका है.
क्या हैं सीएचडी के लक्षण
- बच्चों के हाथ, पैर, जीभ का नीला पड़ जाना.
- ठीक तरह से सांस न ले पाना.
- मां का दूध नहीं पी पाना.
- खेल-कूद में जल्दी थक जाना.
इससे बच्चों को बचाने के उपाय
- गर्भावस्था के प्रारम्भ से तीन माह तक फोलिक एसिड.
- चौथे माह की शुरुआत से प्रतिदिन आयरन की एक लाल गोली.
- चौथे माह की शुरुआत से ही रोजाना फोलिक एसिड की एक लाल गोली.
- यदि गर्भवती में खून की कमी (एनीमिया) है तो उसको प्रतिदिन आयरन की दो लाल गोली खानी चाहिए.
इसे भी पढ़ें-गर्मी में बिजली की मांग बढ़ी, थर्मल पाॅवर इकाइयों से उत्पादन की जुगत में जुटे अफसर
गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 2 बच्चों को मिला राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का साथ, अब मुफ्त में होगा इलाज
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) इसके लिए सभी जरूरतमंदों को सुविधा उपलब्ध करा रहा है. इसके तहत गंभीर रूप से ग्रसित दो गरीब बच्चों का इलाज कराया जाएगा.
वाराणसीः अगर आपके बच्चों में जन्म से ही कोई बीमारी है तो उसके लिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है. पैसों के खर्च की चिंता भी करने की जरूरत नहीं है और न ही इधर-उधर दौड़ लगाना है. उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) इसके लिए सभी जरूरतमंदों को सुविधा उपलब्ध करा रहा है. जिसमें इलाज के लिए किसी भी तरह का खर्च नहीं होगा और निर्धारित अस्पताल में आपको भेज दिया जाएगा. हाल ही में दो बच्चों को इसका लाभ मिला है, जो गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे.
कादीपुर निवासी रमेश कुमार सोनकर का तीन वर्षीय बेटा है महेश्वर और कृष्णापुर कला रामपुर-हथवारी निवासी सुजीत कुमार पटेल का 11 वर्षीय बेटे संदीप में सीएचडी के लक्षण मिले. ये बहुत दिनों से बीमारी को लेकर परेशान थे. आर्थिक तंगी के कारण वह उनका उपचार नहीं करा पा रहे थे. कंजीनाइटिल हार्ट डिजीज (CHD) बिमारी से पीड़ित दोनों बच्चों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय जांच के लिए भेजा गया. RBSK के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ. एके मौर्य ने इसकी जानकारी दी. संदीप और महेश्वर दोनों ही बेहद गरीब परिवार से आते हैं. उनके परिवारों के पास इतना धन नहीं है कि किसी बड़े में अस्पताल में इन बच्चों का इलाज करा सकें. इसी के चलते इनका इलाज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत कराने का फैसला लिया गया है.
चार से पांच लाख रुपये का आता है खर्चः मुख्य चिकित्सा अधिकारी संदीप चौधरी ने बताया कि महेश्वर और संदीप की जांच में हृदय रोग की बीमारी की पुष्टि हुई है. सीएचडी (कंजीनाइटिल हार्ट डिजीज) के लिए चिह्नित अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज से इन दोनों के निःशुल्क इलाज के लिए अनुमति ली गयी है. अभी इन्हें अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है. अगले कुछ दिनों में संदीप और महेश्वर का इलाज शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इसके उपचार में चार से पांच लाख रुपये का खर्च लगता है, जो कि RBSK योजना के अंतर्गत मुफ्त में होगा.
40 बीमारियों और जन्मजान बीमारियों का इलाजः डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि जनपद में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) पर पूरा जोर दिया जा रहा है. इसके अंतर्गत 40 बीमारियों व जन्मजात विकृतियों के लिए निःशुल्क इलाज के लिए शासन की ओर से अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में निःशुल्क ऑपरेशन का सुविधा प्रदान की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में 16 टीमें लगी हुई हैं, जो हर एक गांव में जाकर जन्मजात बीमारियों की पहचान करती हैं. इस साल अभी तक सीएचडी के 9 बच्चे चिन्हित किए गए, जिसमें से 3 का इलाज हो चुका है.
क्या हैं सीएचडी के लक्षण
- बच्चों के हाथ, पैर, जीभ का नीला पड़ जाना.
- ठीक तरह से सांस न ले पाना.
- मां का दूध नहीं पी पाना.
- खेल-कूद में जल्दी थक जाना.
इससे बच्चों को बचाने के उपाय
- गर्भावस्था के प्रारम्भ से तीन माह तक फोलिक एसिड.
- चौथे माह की शुरुआत से प्रतिदिन आयरन की एक लाल गोली.
- चौथे माह की शुरुआत से ही रोजाना फोलिक एसिड की एक लाल गोली.
- यदि गर्भवती में खून की कमी (एनीमिया) है तो उसको प्रतिदिन आयरन की दो लाल गोली खानी चाहिए.
इसे भी पढ़ें-गर्मी में बिजली की मांग बढ़ी, थर्मल पाॅवर इकाइयों से उत्पादन की जुगत में जुटे अफसर