वाराणसी: धर्म एवं अध्यात्म की नगरी काशी में संस्कृत में अतुलनीय योगदान देने पर दो विद्वानों को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. जिसमें संस्कृत विषय में अध्ययन अध्यापन में अपना अतुलनीय योगदान देने पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय व संपूर्णानंद संस्कृत विश्विद्यालय के दो विद्वानों का चयन किया गया है.
दो विद्वानों का किया गया है चयन
जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पुरस्कार के लिये संस्कृत के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला संकाय के संस्कृत विभाग के पूर्व आचार्य महामहोपाध्याय प्रो जयशंकर लाल त्रिपाठी एवं सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व आचार्य प्रो उमाशंकर शुक्ल का किया गया है. कुलपति प्रोफेसर राजा राम शुक्ला ने बताया कि प्रतिवर्ष कुछ विद्वानों को उनके कृतित्व के आधार पर स्वामी स्वरूपानंद पुरस्कार के लिए चयन किया जाता है. जहां उन्हें स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र, द्रव्य और अंग वस्त्र दिया जाता है. इस वर्ष दो विद्वानों को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है.
उच्च व्यक्तित्व एवं कृतित्व को देखकर समिति ने किया चयन
उन्होंने बताया कि इनमें एक विद्वान संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य प्रो उमाशंकर शुक्ल हैं, जो यूजीसी में नैक कमेटी के सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं, वो सदैव निष्ठा और ईमानदारी पूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहे हैं. इससे पूर्व इनको राजस्थान के राज्यपाल के द्वारा आर्यभट्ट उपाधि तथा ज्योतिर्मठ बद्रीकाश्रम से विद्वतमार्तण्ड सम्मान सहित अनेकों सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैं. उनके उच्च व्यक्तित्व एवं कृतित्व को देखकर ही समिति ने इस सम्मान के लिये चयन किया है.
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इनके साथ दूसरे विद्वान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कला संकाय के संस्कृत विभाग के पूर्व आचार्य महामहोपाध्याय प्रो. जयशंकर लाल त्रिपाठी है. जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार, महामहोपाध्याय की उपाधि सहित अनेकों सम्मान से सम्मानित किया गया है. इन्होंने अनेकों शास्त्रों, ग्रंथो का लेखन तथा सम्पादन भी किया है. इन दोनों विद्वानों के अतुलनीय योगदान के लिए इन्हें सम्मानित किया जा रहा है.