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जानें क्या है महाशिवरात्रि का महत्व और कैसे करें भगवान शिव की उपासना

आज महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. शिव भक्‍त साल भर अपने आराध्‍य भोले भंडारी की विशेष आराधना के लिए इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने शिवरात्रि के महत्व के बारे में बताया.

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काशी विश्वनाथ मन्दिर
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Published : Feb 21, 2020, 9:15 AM IST

वाराणसी: आज सभी रात्रियों में उत्तम रात्रि महाशिवरात्रि का पर्व है. महाशिवरात्रि यानी भगवान भोलेनाथ के विवाह का पर्व , शास्त्रों में वर्णन है कि आज ही के दिन बाबा भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंग स्वरूप की उत्पत्ति हुई थी और द्वादश ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए थे. प्रकाश से उत्पन्न हुए ज्योतिर्लिंग के बाद आज का दिन इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि आज भगवान शिव अपनी अर्द्धांगिनी माता गौरा के साथ विवाह कर सभी का कल्याण करने के लिए लोगों के सामने आए थे.

देश भर में महाशिवरात्रि की धूम.
वाराणसी के पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि बाकी भगवान या देवताओं की पूजा बेहद कठिन मानी जाती है. उन्हें खुश करना काफी कठिन होता है. उनकी आराधना का तरीका भी काफी कठिन है, लेकिन देवाधिदेव महादेव भोलेनाथ की आराधना बेहद आसान है. उन्हें खुश करने के लिए सिर्फ एक लोटा जल या दूध की ही जरूरत होती है.


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नीलकंठ को क्यों चढ़ाया गया था बेलपत्र, जानिए पीछे की कहानी

भोलेनाथ को अपने मन में स्मरण कर एक लोटा दूध या जल अर्पित करें. विष को अपने कंठ में रखने की वजह से उनका नाम नीलकंठ पड़ा और विश्व की गर्मी की वजह से भोलेनाथ का गला नीला पड़ गया, उसी गर्मी को शांत करने के लिए बाबा को जल भी चढ़ाया जाता है और उनको चंदन का लेप भी लगाया जाता है.

ईटीवी भारत से बातचीत में पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि महाशिवरात्रि की रात बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि बाबा भोलेनाथ अपनी अर्द्धांगिनी माता गौरा संग सात फेरे लेकर भक्तों के कल्याण के लिए विराजते हैं. इस दिन रात्रि जागरण करना, बाबा भोलेनाथ का अर्चन करना, रुद्राभिषेक करना बेहद फलदायी माना जाता है. आज के दिन व्रत रहना सबसे उत्तम है, क्योंकि महाशिवरात्रि का व्रत सभी व्रतों में उत्तम माना जाता है.

आज का दिन बेहद खास है और काशी के लिए तो यह दिन बेहद ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाबा भोलेनाथ यहां स्वयं विराजमान हैं. त्रिशूल पट्टी की काशी नगरी बाबा भोले की पसंदीदा नगरी है और यहां पर दर्शन-पूजन और बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने से जन्मों-जन्मों का पाप भी मिट जाता है.

वाराणसी: आज सभी रात्रियों में उत्तम रात्रि महाशिवरात्रि का पर्व है. महाशिवरात्रि यानी भगवान भोलेनाथ के विवाह का पर्व , शास्त्रों में वर्णन है कि आज ही के दिन बाबा भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंग स्वरूप की उत्पत्ति हुई थी और द्वादश ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए थे. प्रकाश से उत्पन्न हुए ज्योतिर्लिंग के बाद आज का दिन इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि आज भगवान शिव अपनी अर्द्धांगिनी माता गौरा के साथ विवाह कर सभी का कल्याण करने के लिए लोगों के सामने आए थे.

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वाराणसी के पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि बाकी भगवान या देवताओं की पूजा बेहद कठिन मानी जाती है. उन्हें खुश करना काफी कठिन होता है. उनकी आराधना का तरीका भी काफी कठिन है, लेकिन देवाधिदेव महादेव भोलेनाथ की आराधना बेहद आसान है. उन्हें खुश करने के लिए सिर्फ एक लोटा जल या दूध की ही जरूरत होती है.


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ईटीवी भारत से बातचीत में पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि महाशिवरात्रि की रात बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि बाबा भोलेनाथ अपनी अर्द्धांगिनी माता गौरा संग सात फेरे लेकर भक्तों के कल्याण के लिए विराजते हैं. इस दिन रात्रि जागरण करना, बाबा भोलेनाथ का अर्चन करना, रुद्राभिषेक करना बेहद फलदायी माना जाता है. आज के दिन व्रत रहना सबसे उत्तम है, क्योंकि महाशिवरात्रि का व्रत सभी व्रतों में उत्तम माना जाता है.

आज का दिन बेहद खास है और काशी के लिए तो यह दिन बेहद ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि बाबा भोलेनाथ यहां स्वयं विराजमान हैं. त्रिशूल पट्टी की काशी नगरी बाबा भोले की पसंदीदा नगरी है और यहां पर दर्शन-पूजन और बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने से जन्मों-जन्मों का पाप भी मिट जाता है.

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