वाराणसीः केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा गंगा को स्वच्छ रखने के लिए तमाम योजनाओं का संचालन किया गया हैं. इसके लिए एक अलग मंत्रालय भी बनाया गया है, जिससे गंगा के जीवन को और बढ़ाया जा सके. इसी के तहत नमामि गंगे प्रोजेक्ट की शुरुआत भी की गई है. जिससे गंगा में होने वाले प्रदूषण को रोका जा सके. अब इसी क्रम में सरकार की ओर से एक नई योजना की शुरुआत की जा रही है, जिसके तहत लाखों मछलियों को गंगा में डाली जाएंगी. ये मछलियां गंगा की गंदगी को समाप्त करेंगी और स्वच्छ व सजीव रखेंगी.
गंगा में डाली जाएंगी 3 लाख मछलियां. बता दें कि गंगा एक्शन प्लान के तहत गंगा में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार के निर्देश पर मत्स्य विभाग के द्वारा गंगा में तीन लाख विभिन्न प्रजाति की मछलियों को छोड़ने का की योजना बनाई गई है. मत्स्य विभाग के उपनिदेशक एसके रहमान ने बताया कि गंगा में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग प्रजाति की मछलियां छोड़ी जाएंगी. यह मछलियां नत्रजन यानी नाइट्रोजन की अधिकता बढ़ाने वाले कारकों को नष्ट करेंगी. उन्होंने बताया कि 4 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में मौजूद लगभग 15 सौ किलो मछलियां 1 मिलीग्राम प्रति लीटर नाइट्रोजन वेस्ट को नियंत्रित करती हैं. इसलिए सरकार ने गंगा में भी लगभग 3 लाख मछलियों को प्रवाहित करने का निर्णय लिया है. एसके रहमानी ने बताया कि हर दिन गंगा में काफी संख्या में नाइट्रोजन गिरता है. यदि नाइट्रोजन 100 मिलीग्राम प्रति लीटर या इससे अधिक हो जाता है तो यह जीवन के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित करता है. इसके बढ़ने से मछलियों की प्रजनन नहीं हो पाती और वह अंडे नहीं दे पाती हैं. इससे इनकी प्राकृतिक क्षमता भी प्रभावित होती है. उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत सरकार की कोशिश है कि मछलियों के जरिए नदियों में प्राकृतिक छनन का कार्य शुरू किया जाए. क्योंकि इससे मछलियां संरक्षित होंगी और मछलियों के बढ़ने से अन्य जलीय जीवों में बढ़ोतरी होगी और प्राकृतिक छनन ज्यादा होगा. जिससे नदी का प्रदूषण भी कम होगा.मत्स्य उपनिदेशक ने बताया कि सरकार के निर्देश पर सितंबर के आखिरी माह तक रोहु व अन्य प्रकार की मछलियां गंगा में डाली जाएंगी.
इससे गंगा के प्रदूषण को कम किया जा सकेगा. इसके लिए 70 एमएम के बच्चे को भी तैयार किया गया है. खास बात यह है कि यह मछलियों के बच्चे गंगा में रहने वाले मछलियों के ही हैं. क्योंकि यदि मछलियों का प्राकृतिक वातावरण बदलेगा तो इससे उनका जीवन भी प्रभावित होगा. इसीलिए पहले गंगा नदी से ही मछलियों को चुनकर के हेचरी में रखा गया, वहां उनके प्रजनन हुई और 70 एमएम का बच्चा तैयार किया गया. उन्होंने बताया कि यह कवायद से वाराणसी में ही नहीं बल्कि गाजीपुर सहित अन्य गंगा के तट के किनारे बसे हुए शहरों में की जाएगी. जिससे गंगा को स्वच्छ रखने के साथ-साथ सजीव बनाया जा सके.