वाराणसी: यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दोबारा वाराणसी में क्लीन स्वीप कर इतिहास रच दिया तो वहीं, अबकी बनारस में भाजपा की साख इसलिए भी दांव पर लगी थी कि क्योंकि सरकार के तीन मंत्री यहां से चुनावी मैदान में थे. ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार भाजपा की 2-3 सीटों पर दांव फंस सकता है. लेकिन तीनों मंत्रियों ने शानदार जीत हासिल की, जिसके बाद अब फिर से अटकलों का दौर शुरू हो गया है. साथ ही यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस बार फिर से तीनों मंत्रियों के कंधे पर मंत्रिमंडल की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी या फिर पूर्वांचल के किसी अन्य चेहरे को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी.
2017 में प्रचंड जीत के बाद इन 3 चेहरों को दी गई थी बड़ी जिम्मेदारी
बता दें कि 2017 की सरकार में बनारस के 1 कैबिनेट और 2 स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाए गए थे. लेकिन इस बार उनके आंकड़ों की बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. 2017 में भाजपा को प्रचंड बहुमत के बाद सबसे पहले डॉ. नीलकंठ तिवारी को राज्यमंत्री और बाद में स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया. इसके बाद अनिल राजभर को सरकार ने राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में जिम्मेदारी दी थी और सुभासपा से अलग होने के बाद पार्टी ने इन्हें राजभर समाज का एक बड़ा चेहरा बनाते हुए कैबिनेट की जिम्मेदारी दी थी. इसके साथ ही शहर उत्तरी के विधायक रविंद्र जायसवाल को भी पार्टी ने स्वतंत्र प्रभार के रूप में जिम्मेदारी दी थी. इस बार यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या अबकी भी मंत्रिमंडल में बनारस के तीन-चार नाम शामिल हो सकते हैं.
पुराने के प्रमोशन के साथ ही नए चेहरे को मिल सकती हैं जिम्मेदारी
इस बाबत राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रवि प्रकाश पांडे ने बताया कि संभवत इस बार मंत्रियों के प्रमोशन के साथ-साथ मंत्रिमंडल में बनारस के अन्य चेहरे को जगह मिल सकती है. क्योंकि अनिल राजभर जहां एक ओर पार्टी में राजभर समाज का बड़ा चेहरा है तो वहीं दूसरी ओर डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके साथ ही लगातार विधायक रहे मंत्री रविंद्र जायसवाल संग इन मंत्रियों के कद में बढ़ोतरी की जा सकती है.
उन्होंने बताया कि इन मंत्रियों के विभागों में भी परिवर्तन हो सकता है. इसके साथ ही मंत्रिमंडल में पुराने चेहरे के साथ 1 नए चेहरे पर भी उम्मीद जुड़ी है. जिनमें 2 नामों पर उम्मीद है, एक डॉक्टर अवधेश राय और दूसरा सौरभ श्रीवास्तव हैं. क्योंकि डॉक्टर अवधेश पिंडरा में दो बार फतह हासिल करने व पूर्वांचल में अकेले भूमिहार विधायक होने के नाते ये पूर्वांचल का बड़ा भूमिहार चेहरा बन चुके हैं. इसके साथ ही इन्होंने दो बार अजय राय को उनके गढ़ में पटखनी दी है, जिससे पार्टी के लोग काफी प्रसन्न हैं.
इसी क्रम में कैंट विधानसभा से यूथ चेहरा सौरव श्रीवास्तव पर भी उम्मीद जताई जा सकता है, क्योंकि लगातार दो बार भारी मतों से जीत के साथ वह युवाओं के लिए एक मजबूत चेहरा बनते दिख रहे हैं. उन्होंने बताया कि इन दोनों नामों में डॉ राय पर दाव लगाने पर संदेह इसलिए है क्योंकि भाजपा का एक ट्रेंड रहा है वह बाहर से आए व्यक्तियों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी नहीं देती, वह अपना कैडर बढ़ाती है जबकि पार्टी के रूट से जुड़े हुए अधिकारियों पर भरोसा करते हैं, अब ये देखना होगा कि किसे जगह मिलती है.
विधायक लगा रहे चक्कर, माहौल बना रहे कार्यकर्ता
बता दें कि मंत्रिमंडल में शामिल होने की चाह में विधायक लखनऊ व दिल्ली का चक्कर भी लगा रहे हैं और विधायक के समर्थक उनके पक्ष में आबोहवा बनाने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. इसके लिए कार्यकर्ता और समर्थक बकायदा सोशल मीडिया व अन्य प्लेटफार्म की मदद ले रहे हैं. वह अपने नेताओं की उपलब्धियां गिना कर उनके पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. बहरहाल, मंत्रिमंडल में किस को जगह मिलती है यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन काशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते यहां चर्चाओं का बाजार गर्म है.
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