वाराणसी: दिल्ली के मुखर्जी नगर में 5 दिन पहले कोचिंग सेंटर में लगी आग ने बच्चों की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. जिस तरह से दिल दहलाने वाला वीडियो इस कोचिंग सेंटर से सामने आया, उसने पैरेंटस को डरा दिया है. मोटी फीस वसूल करके बच्चों के भविष्य को बनाने का दावा करने वाले कोचिंग सेंटर कैसे बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. यह सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि छोटे-बड़े हर शहर में तेजी से कोचिंग सेंटर खुल रहे हैं. लेकिन, इन सेंटर्स में सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता है. ना ही इनको खोलने से पहले किसी तरह के सरकारी नियमों का पालन किया जाता है. जिसकी वजह से कोई भी दुर्घटना होने पर यहां पढ़ने वाले बच्चों की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है.
सर्व विद्या की राजधानी वाराणसी के तमाम इलाकों में कई कोचिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं. ये कोचिंग घर से लेकर फ्लैट और तमाम कमर्शियल बिल्डिंग की दूसरी या तीसरी मंजिल पर संचालित होते हैं. यहां तक की गाड़ियों के लिए बनाए गए बेसमेंट के अंदर भी कोचिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं. इन सबके बीच आखिर सवाल फिर वही है कि क्या अपने फायदे के लिए बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ उचित है? क्योंकि हमारे रियलिटी चेक में जो चीजें सामने आईं वह साफ करती हैं कि बनारस में चल रहे कोचिंग सेंटर नियमों को ताक पर रखकर संचालित किए जा रहे हैं.
कई राज्यों से बच्चे आते हैं पढ़नेः दरअसल, वाराणसी में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ाई के लिए पहुंचते हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश के भी तमाम जिलों से यहां अलग-अलग इलाकों में रहकर बच्चे पढ़ाई करते हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा हाईस्कूल और इंटर के लिए भी कोचिंग क्लासेस में बच्चे एडमिशन लेते हैं. जिसके लिए शहर के कबीर नगर, अर्दली बाजार, भोजूबीर समेत तमाम इलाकों में सैंकड़ों की संख्या में कोचिंग क्लासेस संचालित होती हैं. ये बच्चों को लुभावने सपने दिखाकर अपने यहां पढ़ने तो लेकर आ जाती है, लेकिन उनकी सुरक्षा की गारंटी कोई नहीं लेता. दिल्ली के मुखर्जी नगर में कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना के बाद भी इन कोचिंग सेंटर वालों ने सबक नहीं लिया है.
कोचिंग सेंटर्स में कमियां: वाराणसी के लगभग चार अलग-अलग कोचिंग सेंटर में पहुंचकर ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक करके हकीकत जानी. इन कोचिंग सेंटर्स में सबसे बड़ा लूपहोल तो एंट्री और एग्जिट प्वाइंट का मिला. सभी कोचिंग सेंटर सेकंड और थर्ड फ्लोर पर संचालित होते हुए मिले, लेकिन यहां पहुंचने और निकलने का सिर्फ एक ही रास्ता था. वह भी सकरी सीढ़ियों से होकर आता जाता है. इसके अलावा जिन सीढ़ियों के मुख्य गेट से बाहर निकलने की जगह थी, वहां पर एसी का आउटर और तारों का जंजाल दिखाई दिया. जो यह साफ कर रहा था कि अगर शार्ट सर्किट से गेट पर आग लगती है तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा. इसके अलावा फायर फाइटिंग के लिए ना ही वाटर टैंक की व्यवस्था ली थी और ना ही फायर एसटिंग्गयुशर मौजूद थे. कुछ कोचिंग संचालक सिर्फ दो से तीन फायर एसटिंग्गयुशर रखकर ही अग्निशमन इक्विपमेंट्स के होने के दावे कर रहे थे.
हास्यास्पद दिए सवालों की जवाब: जब कोचिंग संचालकों से सवाल किया गया कि आखिर पुख्ता व्यवस्था क्यों नहीं है? एंट्री और एग्जिट प्वाइंट अलग क्यों नहीं है? सुरक्षा के मानकों का ख्याल क्यों नहीं रखा जाता है और एनओसी क्यों नहीं ली जाती? तो उनका जवाब था कि हम तो किराएदार हैं. मकान मालिक यह सवालों का जवाब दे, तो ज्यादा बेहतर होगा. मकान मालिक हमें कुछ करने नहीं देता. इसलिए हम कोचिंग चलाते हैं. हालांकि, यह काफी हास्यास्पद था. क्योंकि कोचिंग संचालक मोटी फीस लेकर बच्चों के भविष्य को संवारने का दावा करते हैं, लेकिन जब इनकी सुरक्षा की बात आती है तो पूरा मामला मकान मालिक पर टाल देते हैं.
कोचिंग क्लासेस की हो रही जांच: वहीं, इस मामले में अग्निशमन विभाग के चीफ फायर ऑफिसर आनंद सिंह राजपूत ने बताया कि सुरक्षा मानकों को लेकर शनिवार से अभियान शुरू किया गया है. कोचिंग क्लासेस की बारी-बारी से जांच की जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि होटल, हॉस्पिटल और स्कूल संचालक तो एनओसी के लिए आगे आते हैं. लेकिन बनारस में ऐसी कोई भी कोचिंग नहीं है. जिसमें फायर डिपार्टमेंट से एनओसी के लिए संपर्क किया हो. यही वजह है कि अब इनकी जांच की जा रही. जो भी लूपहोल सामने आएंगे उस हिसाब से कोचिंग सेंटर के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी.
क्या कहते हैं नियम: कोचिंग संस्थानों को मान्यता जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय (डीआइओएस) से मिलती है. इसके लिए नेशनल बिल्डिंग कोड, अग्निशमन विभाग से एनओसी समेत अन्य दस्तावेज जरूरी होते है. वहीं, कोचिंग वाले भवन की छत पर 10 हजार लीटर पानी का टैंक रखा होना चाहिए. 450 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से पानी निकलने वाला पंप भी लगा होना चाहिए. इसी के साथ टैंक और पंप के पास पूरे भवन के अनुसार होजरील हो. वहीं, प्रत्येक कमरे में अग्निशमन उपकरण उपलब्ध हो. प्रवेश व निकास द्वार अलग-अलग होने चाहिए. इसी के साथ सीढ़ी की चौड़ाई पांच फिट हो.
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