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Controversy on Varanasi Tent City : क्या वाराणसी में टेंट सिटी से गंगा वाकई हो जाएगी मैली?

वाराणसी में टेंट सिटी (Controversy on Varanasi Tent City) से गंगा की अविरलता पर क्या असर पड़ेगा. ईटीवी भारत ने इसको लेकर विशेषज्ञों से बात की.

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Published : Jan 12, 2023, 12:37 PM IST

वाराणसी में टेंट सिटी को लेकर हो रही सियासत

वाराणसी: बनारस में पर्यटकों के लिए गंगा उस पार बसाई गई टेंट सिटी का 13 जनवरी को उद्घाटन होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों उद्घाटन से पहले ही 15, 16 और 17 जनवरी के लिए सारे टेंट बुक हो चुके हैं. 5 सालों के कॉन्ट्रैक्ट के तहत इस टेंट सिटी का निर्माण हुआ है और पहले साल के लिए 240 टेंट बनकर तैयार हुए हैं, लेकिन इस टेंट सिटी के शुरू होने से पहले ही सियासत भी शुरू हो गई है. एक तरफ जहां कांग्रेस इस टेंट सिटी पर सवाल उठा रही है, तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस टेंट सिटी को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल खड़े किए हैं.

सवाल यही है कि क्या टेंट सिटी में रहने वाले लोगों के जरिए निकलने वाले अपशिष्ट क्या गंगा को प्रदूषित नहीं करेंगे और क्या गंगा किनारे गंदगी नहीं होगी. इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए हमने पड़ताल की और यह जानने का प्रयास किया कि क्या वाकई में टेंट सिटी से निकलने वाले अपशिष्ट के प्रबंधन की उचित व्यवस्था है या फिर सब कुछ हवा-हवाई है. हमारी इस पड़ताल में जो चीजें सामने आईं, उसमें यह स्पष्ट हो गया किसवाल बिना जानकारी के उठाए गए हैं और इनके पीछे की हकीकत कुछ और है.

ईटीवी भारत
वाराणसी में टेंट सिटी पर उठाए जा रहे सवाल

दरअसल वाराणसी की टेंट सिटी उत्तर प्रदेश में पहली बार पर्यटकों के लिए बनाई गई अद्भुत व्यवस्था और टूरिस्ट पॉइंट ऑफ व्यू से एक अलग नजरिया देखने को मिला है. राजस्थान और गुजरात की तर्ज पर बनारस में इस प्रयास के जरिए पर्यटकों को उत्तर प्रदेश तक लाने की कवायद कहीं ना कहीं से आने वाले भविष्य में भी बड़ा फायदा पहुंचाएगी, लेकिन इन सबके बीच यह सवाल जरूरी है कि आखिर गंगा किनारे बसाई जा रही इस टेंट सिटी से क्या गंगा की निर्मलता कर अविरलता पर फर्क पड़ेगा या फिर प्रधानमंत्री मोदी के गंगा स्वच्छता के मिशन को ध्यान में रखकर सारी व्यवस्था की गई है?

यह सवाल उठना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि विपक्ष को टेंट सिटी ने बोलने का मौका दे दिया है. कांग्रेस नेता अजय राय का कहना है कि बनारस में तो टेंट सिटी की कोई जरूरत ही नहीं थी यहां पर पहले से ही लोग अध्यात्म और धर्म की खोज में आते हैं. धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेते हैं टेंट सिटी बसाकर सिर्फ कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है और इसके जरिए गंगा की अविरलता और निर्मलता भी प्रभावित होगी. अजय राय ने सवाल उठाया है कि आखिर यहां पर रहने वाले लोगों का निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ कहां जाएगा. उसे गंगा में ही ले जाया जाएगा, वहां पर होने वाली तमाम गंदगी या कैसे फैलने से रोका जाएगा.

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वाराणसी में टेंट सिटी से क्या गंगा वाकई हो जाएगी मैली
वही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया पर ट्वीट के जरिए सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि काशी की टेंट सिटी का कूड़ा कचरा गंदगी व अपशिष्ट गंगा जी में जाकर प्रदूषण नहीं फैलाएगा इसको सुनिश्चित किए बिना टेंट सिटी के संचालन की अनुमति ना हो. Conclusion:हालांकि लगातार टेंट सिटी को लेकर हो रही राजनीति और उठाए जा रहे सवालों की हकीकत को जानने के लिए हमने टेंट सिटी पहुंचकर यहां सीवर व्यवस्था का भी हाल जाना. जहां तमाम व्यवस्थाओं के बीच हमें स्पष्ट तौर पर देखने को मिला कि सीवरेज व्यवस्था गंगा में नाले जाकर पूरे सीवरेज के लिए एक अलग टैंक सिस्टम बनाया जा रहा है. इस बारे में जब नगर आयुक्त प्रणय सिंह से बातचीत की गई तो उनका कहना था के सफाई व्यवस्था और अपशिष्ट निस्तारण को लेकर उठाए जा रहे तमाम सवाल बिल्कुल बेबुनियाद हैं. इनमें किसी तरह की कोई हकीकत नहीं है, क्योंकि वाराणसी विकास प्राधिकरण की तरफ से यह पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि टेंट सिटी बसाए जाने से पहले ही सीवर व्यवस्था, पीने के पानी की व्यवस्था और साफ सफाई की करनी होगी. इसलिए यहां पर जो सीवर सिस्टम लगाया गया है. वह सीधे रामनगर के एसटीपी से कनेक्ट है. यहां से पंप के जरिए सारे अपशिष्ट पदार्थों को एसटीपी रामनगर भेजा जाएगा और इसके अतिरिक्त नगर निगम की सफाई चौकी के अलावा कंपनी के तरफ से एक सफाई चौकी की व्यवस्था अंदर भी की जा रही है. नगर निगम वाराणसी विकास प्राधिकरण के बीच एक जॉइंट करार भी हुआ है जिसमें वह हमें पेमेंट करेंगे और हम साफ सफाई की व्यवस्था घाटों से लेकर बाहरी परिसर में सुनिश्चित करेंगे. उसके लिए एक अलग टीम की वहां तैनाती की जा रही है. इसलिए यह कहना कि टेंट सिटी से गंगा की अविरलता निर्मलता प्रभावित होगी और गंगा किनारे गंदगी बढ़ेगी यह गलत है. इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है और उसके बाद ही इसे अनुमति दी गई है. (Controversy on Varanasi Tent City)

ये भी पढ़ें- Fire in Hamirpur: रूम हीटर जलाकर सोया परिवार, मां और दो बेटियां जिंदा जलीं

वाराणसी में टेंट सिटी को लेकर हो रही सियासत

वाराणसी: बनारस में पर्यटकों के लिए गंगा उस पार बसाई गई टेंट सिटी का 13 जनवरी को उद्घाटन होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों उद्घाटन से पहले ही 15, 16 और 17 जनवरी के लिए सारे टेंट बुक हो चुके हैं. 5 सालों के कॉन्ट्रैक्ट के तहत इस टेंट सिटी का निर्माण हुआ है और पहले साल के लिए 240 टेंट बनकर तैयार हुए हैं, लेकिन इस टेंट सिटी के शुरू होने से पहले ही सियासत भी शुरू हो गई है. एक तरफ जहां कांग्रेस इस टेंट सिटी पर सवाल उठा रही है, तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस टेंट सिटी को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल खड़े किए हैं.

सवाल यही है कि क्या टेंट सिटी में रहने वाले लोगों के जरिए निकलने वाले अपशिष्ट क्या गंगा को प्रदूषित नहीं करेंगे और क्या गंगा किनारे गंदगी नहीं होगी. इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए हमने पड़ताल की और यह जानने का प्रयास किया कि क्या वाकई में टेंट सिटी से निकलने वाले अपशिष्ट के प्रबंधन की उचित व्यवस्था है या फिर सब कुछ हवा-हवाई है. हमारी इस पड़ताल में जो चीजें सामने आईं, उसमें यह स्पष्ट हो गया किसवाल बिना जानकारी के उठाए गए हैं और इनके पीछे की हकीकत कुछ और है.

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वाराणसी में टेंट सिटी पर उठाए जा रहे सवाल

दरअसल वाराणसी की टेंट सिटी उत्तर प्रदेश में पहली बार पर्यटकों के लिए बनाई गई अद्भुत व्यवस्था और टूरिस्ट पॉइंट ऑफ व्यू से एक अलग नजरिया देखने को मिला है. राजस्थान और गुजरात की तर्ज पर बनारस में इस प्रयास के जरिए पर्यटकों को उत्तर प्रदेश तक लाने की कवायद कहीं ना कहीं से आने वाले भविष्य में भी बड़ा फायदा पहुंचाएगी, लेकिन इन सबके बीच यह सवाल जरूरी है कि आखिर गंगा किनारे बसाई जा रही इस टेंट सिटी से क्या गंगा की निर्मलता कर अविरलता पर फर्क पड़ेगा या फिर प्रधानमंत्री मोदी के गंगा स्वच्छता के मिशन को ध्यान में रखकर सारी व्यवस्था की गई है?

यह सवाल उठना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि विपक्ष को टेंट सिटी ने बोलने का मौका दे दिया है. कांग्रेस नेता अजय राय का कहना है कि बनारस में तो टेंट सिटी की कोई जरूरत ही नहीं थी यहां पर पहले से ही लोग अध्यात्म और धर्म की खोज में आते हैं. धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेते हैं टेंट सिटी बसाकर सिर्फ कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है और इसके जरिए गंगा की अविरलता और निर्मलता भी प्रभावित होगी. अजय राय ने सवाल उठाया है कि आखिर यहां पर रहने वाले लोगों का निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ कहां जाएगा. उसे गंगा में ही ले जाया जाएगा, वहां पर होने वाली तमाम गंदगी या कैसे फैलने से रोका जाएगा.

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वाराणसी में टेंट सिटी से क्या गंगा वाकई हो जाएगी मैली
वही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया पर ट्वीट के जरिए सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि काशी की टेंट सिटी का कूड़ा कचरा गंदगी व अपशिष्ट गंगा जी में जाकर प्रदूषण नहीं फैलाएगा इसको सुनिश्चित किए बिना टेंट सिटी के संचालन की अनुमति ना हो. Conclusion:हालांकि लगातार टेंट सिटी को लेकर हो रही राजनीति और उठाए जा रहे सवालों की हकीकत को जानने के लिए हमने टेंट सिटी पहुंचकर यहां सीवर व्यवस्था का भी हाल जाना. जहां तमाम व्यवस्थाओं के बीच हमें स्पष्ट तौर पर देखने को मिला कि सीवरेज व्यवस्था गंगा में नाले जाकर पूरे सीवरेज के लिए एक अलग टैंक सिस्टम बनाया जा रहा है. इस बारे में जब नगर आयुक्त प्रणय सिंह से बातचीत की गई तो उनका कहना था के सफाई व्यवस्था और अपशिष्ट निस्तारण को लेकर उठाए जा रहे तमाम सवाल बिल्कुल बेबुनियाद हैं. इनमें किसी तरह की कोई हकीकत नहीं है, क्योंकि वाराणसी विकास प्राधिकरण की तरफ से यह पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि टेंट सिटी बसाए जाने से पहले ही सीवर व्यवस्था, पीने के पानी की व्यवस्था और साफ सफाई की करनी होगी. इसलिए यहां पर जो सीवर सिस्टम लगाया गया है. वह सीधे रामनगर के एसटीपी से कनेक्ट है. यहां से पंप के जरिए सारे अपशिष्ट पदार्थों को एसटीपी रामनगर भेजा जाएगा और इसके अतिरिक्त नगर निगम की सफाई चौकी के अलावा कंपनी के तरफ से एक सफाई चौकी की व्यवस्था अंदर भी की जा रही है. नगर निगम वाराणसी विकास प्राधिकरण के बीच एक जॉइंट करार भी हुआ है जिसमें वह हमें पेमेंट करेंगे और हम साफ सफाई की व्यवस्था घाटों से लेकर बाहरी परिसर में सुनिश्चित करेंगे. उसके लिए एक अलग टीम की वहां तैनाती की जा रही है. इसलिए यह कहना कि टेंट सिटी से गंगा की अविरलता निर्मलता प्रभावित होगी और गंगा किनारे गंदगी बढ़ेगी यह गलत है. इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है और उसके बाद ही इसे अनुमति दी गई है. (Controversy on Varanasi Tent City)

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