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तमिल के ऐतिहासिक संबंधों से पर्दा हटाएगी मोबाइल एक्जिबिशन, जानें कैसे

तमिल और हिंदी को जोड़ने के लिए काशी में तमिल कार्तिकेय महापर्व का आयोजन किया गया है. इस महापर्व में तमिल और काशी के दिग्गजों का जुटान होगा. जहां दोनों की प्रांतों के संबंधों को एकाकार किया जाएगा.बड़ी बात यह है कि इस समारोह में एक खास मोबाइल लाइब्रेरी बैन भी मौजूद है, जो काशी और तमिल के ऐतिहासिक संबंधों के ऊपर से पर्दा हटाएगी.

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Published : Nov 18, 2022, 4:57 PM IST

Updated : Nov 18, 2022, 5:39 PM IST

वाराणसी: तमिल और हिंदी को जोड़ने के लिए काशी में तमिल कार्तिकेय महापर्व का आयोजन किया गया है. इस महापर्व में तमिल और काशी के दिग्गजों का जुटान होगा. जहां दोनों की प्रांतों के संबंधों को एकाकार किया जाएगा.बड़ी बात यह है कि इस समारोह में एक खास मोबाइल लाइब्रेरी बैन भी मौजूद है, जो काशी और तमिल के ऐतिहासिक संबंधों के ऊपर से पर्दा हटाएगी. जी हां, इस वैन में काशी और तमिल के पुराने संबंधों को साहित्य के माध्यम से लोगो के समक्ष रखा जाएगा. इसमें तमिल के बड़े साहित्यकारों द्वारा काशी और तमिल के संबंधों वर्णन किया गया है. उनकी पुस्तकों को हिंदी, संस्कृत और तमिल भाषाओं में यहां रखा गया है. इसके साथ ही नई शिक्षा नीति के तहत हिंदी, संस्कृत, तमिल तीनों भाषाओं में बच्चों के लिए अन्य पुस्तकों को भी उपलब्ध कराया जाएगा जिससे वो इन भाषाओं को सीख सकें.


बता दें, संभावना जताई जा रही है कि इस खास मोबाइल एग्जीबिशन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया जा सकता है. 19 नवंबर को उद्घाटन के बाद यह काशी के अलग-अलग स्कूलों, कॉलेजों में जाकर के तमिल व हिंदी के साहित्यकारों और उनके द्वारा हिंदी तमिल को लेकर के किए गए योगदान के बारे में बताएगी. इसमें महात्मा गांधी, सुब्रमण्यम भारतीय, विट्ठलराव, संगम कृष्णमूर्ति, एस रामकृष्णन, सुंदर रामास्वामी, तिरुवल्लुवर, चारू निवेदिता, इंदुमती, वेदनायकम पिल्लई अन्य तमाम हिंदी तमिल साहित्यकारों द्वारा लिखी गई पुस्तकों का संग्रह उपलब्ध है. इन संग्रहों का हिंदी में भी अनुवाद है. साथ ही अंग्रेजी और संस्कृत में भी यह पुस्तकें पाठकों के लिए उपलब्ध रहेंगी.

जानकारी देतीं संवाददाता प्रतिमा तिवारी.
नई शिक्षा नीति का भी रखा गया है ध्यान : शिक्षा मंत्रालय के द्वारा नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) के साथ मिलकर के इस एग्जिबिशन का संचालन किया जा रहा है. इसके बारे में ट्रस्ट के निदेशक युवराज मलिक ने बताया कि अलग-अलग छात्र समूहों के लिए भी किताबें हैं. इन किताबों को निर्धारित करने में नई शिक्षा नीति का भी ध्यान रखा गया है. नई शिक्षा नीति के तहत बालकों के भाषाई ज्ञान को प्रबल बनाने की बात की जा रही है और इस किताबों में बाल समूह के लिए कविता, कहानी, उपन्यास की जो किताबें उपलब्ध हैं. इनका हिंदी तमिल अंग्रेजी तीनों भाषाओं में अनुवाद किया गया है. इसमें एक पैराग्राफ जहां तमिल का है तो दूसरा हिंदी और तीसरा संस्कृत और अंग्रेजी का भी है. जिससे बच्चा आसानी से इन सभी भाषाओं को समझ सकें.पूरे 1 माह तक शहर में करेगी भ्रमण : एनबीटी के डायरेक्टर युवराज मलिक (NBT director Yuvraj Malik) ने बताया कि एग्जिबिशन एक माह तक काशी में विचरण करेगी. स्कूलों कॉलेजों में जाकर यह वैन अलग अलग प्रतियोगिताओं के द्वारा तमिल व काशी के बारे में लोगों को बताएगी. यहीं नहीं इस प्रतियोगिता में विजेता बच्चों को किताबों का उपहार भी दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास होगा कि मनोरंजन के साथ इन किताबों के जरिए बच्चे तमिल भाषा को लिखना पढ़ना भी सीख सकें. इस एग्जीबिशन में हजार से ज्यादा किताबें अलग-अलग वैरायटी की उपलब्ध हैं. बच्चे अपने रुचि के अनुसार किताबें खरीद भी सकते हैं.

यह भी पढ़ें : काशी तमिल संगमम के जरिये उत्तर से दक्षिण को साधने के लिए BJP ने बनाया मास्टर प्लान

वाराणसी: तमिल और हिंदी को जोड़ने के लिए काशी में तमिल कार्तिकेय महापर्व का आयोजन किया गया है. इस महापर्व में तमिल और काशी के दिग्गजों का जुटान होगा. जहां दोनों की प्रांतों के संबंधों को एकाकार किया जाएगा.बड़ी बात यह है कि इस समारोह में एक खास मोबाइल लाइब्रेरी बैन भी मौजूद है, जो काशी और तमिल के ऐतिहासिक संबंधों के ऊपर से पर्दा हटाएगी. जी हां, इस वैन में काशी और तमिल के पुराने संबंधों को साहित्य के माध्यम से लोगो के समक्ष रखा जाएगा. इसमें तमिल के बड़े साहित्यकारों द्वारा काशी और तमिल के संबंधों वर्णन किया गया है. उनकी पुस्तकों को हिंदी, संस्कृत और तमिल भाषाओं में यहां रखा गया है. इसके साथ ही नई शिक्षा नीति के तहत हिंदी, संस्कृत, तमिल तीनों भाषाओं में बच्चों के लिए अन्य पुस्तकों को भी उपलब्ध कराया जाएगा जिससे वो इन भाषाओं को सीख सकें.


बता दें, संभावना जताई जा रही है कि इस खास मोबाइल एग्जीबिशन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया जा सकता है. 19 नवंबर को उद्घाटन के बाद यह काशी के अलग-अलग स्कूलों, कॉलेजों में जाकर के तमिल व हिंदी के साहित्यकारों और उनके द्वारा हिंदी तमिल को लेकर के किए गए योगदान के बारे में बताएगी. इसमें महात्मा गांधी, सुब्रमण्यम भारतीय, विट्ठलराव, संगम कृष्णमूर्ति, एस रामकृष्णन, सुंदर रामास्वामी, तिरुवल्लुवर, चारू निवेदिता, इंदुमती, वेदनायकम पिल्लई अन्य तमाम हिंदी तमिल साहित्यकारों द्वारा लिखी गई पुस्तकों का संग्रह उपलब्ध है. इन संग्रहों का हिंदी में भी अनुवाद है. साथ ही अंग्रेजी और संस्कृत में भी यह पुस्तकें पाठकों के लिए उपलब्ध रहेंगी.

जानकारी देतीं संवाददाता प्रतिमा तिवारी.
नई शिक्षा नीति का भी रखा गया है ध्यान : शिक्षा मंत्रालय के द्वारा नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) के साथ मिलकर के इस एग्जिबिशन का संचालन किया जा रहा है. इसके बारे में ट्रस्ट के निदेशक युवराज मलिक ने बताया कि अलग-अलग छात्र समूहों के लिए भी किताबें हैं. इन किताबों को निर्धारित करने में नई शिक्षा नीति का भी ध्यान रखा गया है. नई शिक्षा नीति के तहत बालकों के भाषाई ज्ञान को प्रबल बनाने की बात की जा रही है और इस किताबों में बाल समूह के लिए कविता, कहानी, उपन्यास की जो किताबें उपलब्ध हैं. इनका हिंदी तमिल अंग्रेजी तीनों भाषाओं में अनुवाद किया गया है. इसमें एक पैराग्राफ जहां तमिल का है तो दूसरा हिंदी और तीसरा संस्कृत और अंग्रेजी का भी है. जिससे बच्चा आसानी से इन सभी भाषाओं को समझ सकें.पूरे 1 माह तक शहर में करेगी भ्रमण : एनबीटी के डायरेक्टर युवराज मलिक (NBT director Yuvraj Malik) ने बताया कि एग्जिबिशन एक माह तक काशी में विचरण करेगी. स्कूलों कॉलेजों में जाकर यह वैन अलग अलग प्रतियोगिताओं के द्वारा तमिल व काशी के बारे में लोगों को बताएगी. यहीं नहीं इस प्रतियोगिता में विजेता बच्चों को किताबों का उपहार भी दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास होगा कि मनोरंजन के साथ इन किताबों के जरिए बच्चे तमिल भाषा को लिखना पढ़ना भी सीख सकें. इस एग्जीबिशन में हजार से ज्यादा किताबें अलग-अलग वैरायटी की उपलब्ध हैं. बच्चे अपने रुचि के अनुसार किताबें खरीद भी सकते हैं.

यह भी पढ़ें : काशी तमिल संगमम के जरिये उत्तर से दक्षिण को साधने के लिए BJP ने बनाया मास्टर प्लान

Last Updated : Nov 18, 2022, 5:39 PM IST
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