वाराणसी: डेंगू और वायरल फीवर इस समय तेजी से बढ़ रहा है. इससे कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. शासन और प्रशासन डेंगू और वायरल से बचाव के हरसंभव उपाय कर रहा है. अगर आपको शरीर में भी डेंगू या वायरल जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो एक चीज ऐसी है जिसपर ध्यान देकर आप खुद अपने को फिट रख सकते हैं और वायरल से जल्दी रिवकर हो सकते हैं और वह है आपका खानपान. संतुलित खानपान के जरिए आप इस बीमारी से आसानी से बच सकते हैं, इससे आपका इम्यूनिटी सिस्टम भी मजबूत रहेगा. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डॉ. अजय कुमार से बातचीत की.
वायरल फीवर में डाइट का रखें खास ध्यान
डॉ. अजय कुमार ने बताया कि इस मौसम में ये सभी परेशानियां होने का मुख्य कारण है मौसम में बदलाव. उन्होंने कहा कि शरीर गर्म लगने का अर्थ है कि पित्त का प्रकोप हो रहा है, इसलिए इस समस्या का इलाज है पित्त का शमन, यानी ऐसे आहार लें, जिससे पित्त शांत हो जाए. उन्होंने बताया कि यदि व्यक्ति अपनी डाइट का खास ध्यान रखे तो वह वायरल में भी स्वस्थ रह सकता है.
क्या करना चाहिए -
- पित्त दोष का विरोधी होता है मधुर, तिक्त और कषाय रस. इसलिए इसकी शांति के लिए मधुर तिक्त और कषाय द्रव्यों का सेवन अधिक करना चाहिए.
- पित्त दोष की वृद्धि करने वाले खट्टी, खारी एवं तीखी वस्तुओं का त्याग करना चाहिए.
- गाय का घी और दूध पित्त-दोष का नाशक है, इसलिए इनका सेवन अधिक करना चाहिए.
- अनाज में गेहूं आदि मधुर रस वाले द्रव्यों को लेना चाहिए.
- फलों में अंजीर, पके केले, जामुन, तरबूज, अनार, अंगूर, नारियल, पका पपीता, मौसमी, नींबू, गन्ना आदि लिया जा सकता है.
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किन चीजों का त्याग करना चाहिए -
- ऐसे समय में दही, खट्टा छाछ, तेल, चर्बी, गर्म-तीक्षण वस्तुओं आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
- लहसुन, इमली, तिल, मूंगफली, सरसों आदि पित्तकारक होने के कारण इनका त्याग करना चाहिए.
- शरीर पर कपूर एवं चन्दन का उबटन लगाना, रात में खुले आसमान में चांदनी में बैठना और घूमना लाभप्रद है.
- दिन में सोना, धूप का सेवन, अति परिश्रम, अधिक कसरत हानिकारक है.
आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय -
इन विकारों से बचने के लिए अन्य दवाइयों पर पैसा खर्च करने की बजाय कुछ आसान से उपायों और आयुर्वेद की औषधियों के प्रयोग से इससे मुक्ति पा सकते हैं -
- द्राक्षा यानि मुन्नका, सौंफ एवं धनिया मिलाकर बनाया गया शर्बत पित्त विकारों का नाश करता है.
- आंवला चूर्ण, अविपत्तिकरचूर्ण अथवा त्रिफला चूर्ण लेना चाहिए.
- आंवले को शक्कर के साथ खाना चाहिए. आंवला और शक्कर दोनों उत्तम पित्त शामक होते हैं.
- उशीर यानी खस का शर्बत पिएं.
- नहाने के लिए पानी में गुलाबजल या खस मिलाकर नहाएं.
- शरीर पर दाने या रैशेज आए तो नीम के पत्ते को उबालकर उसे पानी में मिलाकर नहाएं.
- प्रवाल पंचामृत, उशीरासव, सरिवारिष्ट जैसी औषधियां भी पित्त को शांत करती हैं लेकिन, इनका प्रयोग वैद्य की सलाह से ही करें.