वाराणसीः श्रृंगार गौरी मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का मामला न्यायालय में चल रहा है. जिसे लेकर साधु-संत मस्जिद में मिले तथाकथित शिवलिंग को लेकर लगातार अपने दावे कर रहे हैं. इस मामले में सुमेरु पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने न्यायालय पर ही सवाल उठाया है.
सुमेरू पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने गुरूवार को कहा कि 'न्यायालय के 20% जज देशद्रोही शक्तियों से मिले हुए हैं. इसलिए यहां के न्यायालय के जजों पर महाभियोग लाया जाए. उन्होंने कहा कि एक जज दूसरे जज के क्षेत्र में हस्तक्षेप न करें. आज जरूरत है कि न्यायपालिका की समीक्षा हो. भगवान विशेश्वर शासन, प्रशासन और न्यायपालिका को सद्बुद्धि दे.'
शंकराचार्य ने आगे कहा कि 'मस्जिद में जो शिवलिंग मिला है. वह अनादि शिवलिंग है. काशी विश्व की सबसे पुरातन नगरी है और रहेगी. काशी का कंकड़-कंकड़ शंकर कहलाता है. जो शिवलिंग मिला है वह आक्रांताओं के कब्जे में था. कोर्ट के आदेश के बाद उसे सर्वे में प्राप्त किया गया है. सनातनियों को उनके दर्शन का छूट मिलना चाहिए.' उन्होंने कहा कि 'पूरे देश में लगभग 180 मंदिरों को मस्जिदों में बदल दिया गया था, उनका सर्वे हो. भगवान विशेश्वर आदि विशेश्वर के रूप में वहां थे और रहेंगे. सभी मंदिरों में सनातनियों को पूजा उपासना का अधिकार मिलना चाहिए.
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स्वामी नरेंद्रानंद ने कहा कि 'सावन में भगवान शिव की उपासना सर्वाधिक फलदाई होती है. इस दौरान लोगों को गंगा स्नान करना चाहिए और प्रतिदिन भगवान शिव को गंगा स्नान चढ़ाना चाहिए. इसका फल अति उत्तम होता है.'
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