वाराणसी: अयोध्या में 5 अगस्त को भूमि पूजन की तैयारी हो चुकी है. दोपहर के 12 बजे के बाद का मुहूर्त भूमि पूजन के लिए शुभ माना गया है और 32 सेकंड के अभिजीत मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों चांदी की ईंट रखकर भूमि पूजन का कार्य संपन्न कराया जाना है, लेकिन अब इस पूरे मामले पर विवाद पैदा हो गया है. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की तरफ से भादो मास में किसी शुभ कार्य के कराए जाने को लेकर निकाले मुहूर्त पर सवाल उठाए जाने के बाद वाराणसी में उनके प्रतिनिधि और शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने खुलकर विरोध शुरू कर दिया है.
'संघ के कार्यालय का होने जा रहा निर्माण'
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का साफ तौर पर कहना है कि अयोध्या में जो मंदिर निर्माण होने जा रहा है, वह सनातन परंपरा के नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है. अयोध्या में राम मंदिर का नहीं बल्कि संघ के कार्यालय का निर्माण होने जा रहा है, क्योंकि वह सनातन धर्म को नहीं मानते और आर्य समाज पर ही चलते हैं. इसलिए जब देवशयनी एकादशी संपन्न हो चुकी हो और 5 माह तक भगवान विष्णु योग निद्रा में हो तो कोई शुभ कार्य संपन्न नहीं हो सकता और भादो मास में तो शास्त्रों में भी वर्णित है कि न ही गृह प्रवेश होता है और न ही कोई शुभ कार्य, तब ऐसी स्थिति में किस आधार पर यह शुभ कार्य किया जा रहा है. इसको लेकर सरकार को जवाब देना चाहिए.
'भादो मास में भूमि पूजन होना गलत'
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि इस समय पूरा विश्व आर्थिक संकट और महामारी से लड़ रहा है. यह सब सरकार की तरफ से पिछले दिनों किए गए मनमाने कार्यों का परिणाम है. काशी में मंदिरों को तोड़कर कॉरिडोर बनाने का काम हुआ. स्थापित मंदिरों को हटाया गया, प्रतिमाओं को उखाड़ दिया गया, जिसकी वजह से महामारी की स्थिति देश को झेलनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि भादो मास में भी यदि इस तरह अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया जा रहा है तो यह गलत है. क्योंकि भादो मास में शास्त्रों में साफ तौर पर यह वर्णित है कि कोई भी शुभ कार्य इस दौरान नहीं हो सकता है.
'भूमि पूजन की क्यों है जल्दबाजी'
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि वास्तु शास्त्र ग्रंथों में साफ तौर पर कहा गया है कि भाद्रपद में किसी भी हाल में गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए. दैवज्ञ बल्लभ नाम के ग्रंथ में भी यह वर्णित है कि भाद्रपद मास में कोई शुभ कार्य या फिर गृह प्रवेश करने से निर्धनता आती है. वहीं वास्तु प्रदीप में कहा गया है कि भाद्रपद में किसी शुरुआत या गृह प्रवेश से हानि होती है. यानी एक नहीं कई धर्म ग्रंथों में यह साफ तौर पर वर्णित है कि भादो मास में किया गया गृह प्रवेश का कोई भी शुभ कार्य अच्छा नहीं होता है, तो फिर इतनी जल्दबाजी किस बात की है.
'राम भगवान हैं और भगवान ही रहेंगे'
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि पहले से ही आरएसएस प्रमुख भगवान राम के नाम पर अयोध्या में आदर्श पुरुष के तौर पर मंदिर बनाना चाहते थे, जबकि राम हमारे आराध्य हैं. उन्हें पुरुष की संज्ञा नहीं दी जा सकती है. वह भगवान हैं और भगवान ही रहेंगे. बीजेपी और आरएसएस मिलकर वहां मंदिर के नाम पर आरएसएस का कार्यालय खोलना चाह रही है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि यह संभव ही नहीं है कि 32 सेकंड में कहीं पर भूमि पूजन हो जाए. क्योंकि शास्त्रों में वर्णित है कोई भी शुभ मुहूर्त दो घटी जिसे 48 मिनट कहा जाता है, वह होता है. 32 सेकंड में न ही नींव की ईंट रखी जा सकती है और न ही गणेश पूजन संपन्न हो सकता है. यह सिर्फ और सिर्फ देश को गर्त में धकेलने की तैयारी है. पहले से ही देश विपत्ति से जूझ रहा है और इस तरह के कृत्य करके निश्चित तौर पर और भी स्थितियां बिगड़ जाएंगी.
'भगवान के लिए सब दिन अच्छे हैं'
इस पूरे मामले में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री राम नारायण द्विवेदी का कहना है कि कौन क्या कह रहा है और क्या नहीं, यह मायने नहीं रखता. मायने यह रखता है कि काम किसका होने जा रहा है. मंदिर भगवान प्रभु श्री राम का बनने जा रहा है और जब प्रभु का कोई काम होता है तो सारे ग्रह गोचर उनके हिसाब से होते है, क्योंकि जो सारे ग्रहों का मालिक है, सारे ग्रह जिसके अधीन हैं, उनके लिए क्या मुहूर्त और क्या शुभ मुहूर्त. भगवान के लिए तो सब दिन ही अच्छे हैं.
ये भी पढ़ें: राम मंदिर भूमि पूजन के लिए पीएम को किया गया आमंत्रित, पीएमओ लेगा अंतिम निर्णय: चंपत राय
'विवाद में नहीं पड़ना चाहिए'
राम नारायण द्विवेदी ने कहा कि 500 सालों से जिस दिन का इंतजार सभी को था, वह आ गया है. सब लोग मिलकर, पूजा-पाठ करके भगवान के मंदिर का निर्माण करने जा रहे हैं, जो कि महत्वपूर्ण है. कौन क्या कह रहा है, इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए और विवाद में नहीं पड़ना चाहिए.